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पद रिक्त होने के बावजूद हजारों अभ्यर्थी भर्ती की दौड़ से बाहर, किसी न किसी विवाद में उलझीं भर्तियां

 प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा

आयोग (यूपीपीएससी) के पास आधा दर्जन से अधिक भर्तियों के अधियाचन पहुंचे हैं। लेकिन, सभी परीक्षाएं किसी न किसी विवाद में एक साल से अटकी हैं। परीक्षाओं के इंतजार में हजारों अभ्यर्थी ओवरएज होकर भर्ती की दौड़ से बाहर हो चुके हैं। आयोग को एलटी ग्रेड शिक्षक - भर्ती के लिए डेढ़ साल पहले तकरीबन छह हजार रिक्त पदों का अधियाचन मिला था। 


समकक्ष अर्हता स्पष्ट न होने के कारण आयोग ने विभाग को अधियाचन
वापस भेज दिया था। विभाग को अर्हता स्पष्ट करके अधियाचन दोबारा भेजना था। लेकिन, आयोग को अधियाचन दोबारा नहीं मिला। आयोग ने एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती दो चरणों के तहत प्रारंभिक और लिखित परीक्षा के माध्यम कराने के लिए शासन को
प्रस्ताव भी भेजा है, जो अभी स्वीकृत नहीं हुआ है।

इसी तरह खंड शिक्षा अधिकारी के तकरीबन 100 पदों और राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के चार सौ पदों का अधियाचन भी आयोग सालभर पहले मिला था। लेकिन, समकक्ष अर्हता स्पष्ट न होने के कारण यह दोनों भर्तियां भी फंसी रह गई।

वहीं, आयोग को सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा परीक्षा के तहत सहायक अभियंता के तकरीबन ढाई सौ पदों का अधियाचन मिल चुका है। अभ्यर्थी यह भर्ती भी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।

इनके अलावा आयोग को कुछ अन्य भर्तियों के अधियाचन मिले हैं, जिनका विज्ञापन अभी जारी नहीं हुआ है। आयोग की परीक्षाओं के

लिए सोमवार शाम तक 18 लाख 76 हजार 836 अभ्यर्थियों ने वन टाइम रजिस्ट्रेशन कराया है। यानी ये अभ्यर्थी आयोग की परीक्षाओं में शामिल होने की कतार में हैं। इनमें से हजारों अभ्यर्थी इस साल भी ओवरएज होकर बाहर हो जाएंगे और नए अभ्यर्थी रजिस्ट्रेशन कराएंगे।

जो अभ्यर्थी ओवरएज हो गए, उनके लिए परीक्षाओं में शामिल होने के दरवाजे बंद हो जाते हैं। अगर भर्तियां नियमित हों तो ओवरएज होने से पहले कई अभ्यर्थियों को नौकरी मिल सकती है।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि जो भर्तियां हर साल नियमित रूप से नहीं हो रही हैं, उनका विज्ञापन जारी होने पर जितने वर्षों की देर होती है। ओवरएज अभ्यर्थियों को आवेदन के लिए अधिकतम आयु सीमा में उतने वर्षों की छूट मिलनी चाहिए।

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