असफल सहायक अध्यापकों की अपील पर चयन बोर्ड के सचिव से जवाब मांगा
इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव से पूछा है कि 2010 में हुई सोशल साइंस सहायक अध्यापक चयन परीक्षा में गलत प्रश्नों का विशेषज्ञों से जांच करायी गयी है अथवा नहीं। कोर्ट ने अध्यक्ष या सचिव को हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है।
याचिका की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति सतीश चन्द्रा की खण्डपीठ ने प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों के सहायक अध्यापक रमेश चन्द्र सहित 27 अध्यापकों की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि चयन बोर्ड ने 15 जनवरी 2009 को सोशल साइंस सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन निकाला।
परिणाम घोषित हुआ और नवम्बर 2010 में चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। परीक्षा में सात प्रश्नों के उत्तर सही नहीं होने को लेकर याचिका दाखिल की गयी। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने याचिका स्वीकार करते हुए नये सिरे से परिणाम घोषित करने का आदेश दिया। 12 मई 2014 को पुनरीक्षित परिणाम घोषित हुआ जिसमें कई पास हुए तो कई पहले से चयनित सहायक अध्यापकों को असफल घोषित कर दिया गया। इस आदेश को यह कहते हुए अपील में चुनौती दी गयी है कि प्रश्नों की जांच विशेषज्ञ से नहीं करायी गयी। चयन प्रक्रिया में दोष नहीं है। साथ ही चयनित अध्यापकों को पक्षकार नहीं बनाया गया। परशुराम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चंदौली, पीपी जनता इंटर कालेज मथुरा सहित दो दर्जन विद्यालय के असफल घोषित हुए सहायक अध्यापकों ने अपील दाखिल की है।
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इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव से पूछा है कि 2010 में हुई सोशल साइंस सहायक अध्यापक चयन परीक्षा में गलत प्रश्नों का विशेषज्ञों से जांच करायी गयी है अथवा नहीं। कोर्ट ने अध्यक्ष या सचिव को हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है।
याचिका की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति सतीश चन्द्रा की खण्डपीठ ने प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों के सहायक अध्यापक रमेश चन्द्र सहित 27 अध्यापकों की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि चयन बोर्ड ने 15 जनवरी 2009 को सोशल साइंस सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन निकाला।
परिणाम घोषित हुआ और नवम्बर 2010 में चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार ग्रहण कर लिया। परीक्षा में सात प्रश्नों के उत्तर सही नहीं होने को लेकर याचिका दाखिल की गयी। न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने याचिका स्वीकार करते हुए नये सिरे से परिणाम घोषित करने का आदेश दिया। 12 मई 2014 को पुनरीक्षित परिणाम घोषित हुआ जिसमें कई पास हुए तो कई पहले से चयनित सहायक अध्यापकों को असफल घोषित कर दिया गया। इस आदेश को यह कहते हुए अपील में चुनौती दी गयी है कि प्रश्नों की जांच विशेषज्ञ से नहीं करायी गयी। चयन प्रक्रिया में दोष नहीं है। साथ ही चयनित अध्यापकों को पक्षकार नहीं बनाया गया। परशुराम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चंदौली, पीपी जनता इंटर कालेज मथुरा सहित दो दर्जन विद्यालय के असफल घोषित हुए सहायक अध्यापकों ने अपील दाखिल की है।
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