टीजीटी-2009 के गड़े मुर्दे : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

फिर खड़े हो रहे टीजीटी-2009 के गड़े मुर्दे
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की प्रशिक्षित स्नातक परीक्षा-2009 (सामाजिक विज्ञान) के आधार पर नियुक्तियां भले ही हो चुकी हैं लेकिन विवाद अभी खत्म नहीं हुए हैं। अब अभ्यर्थियों ने सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी के आधार पर दावा किया है कि चयन बोर्ड ने हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में मनमानी नियुक्तियां की हैं। जुटाए गए तथ्यों को शासन को तो बेजा ही गया है, बोर्ड से भी जानकारी मांगी गई है।
टीजीटी-2009 की सामाजिक विज्ञान विषय की परीक्षा सालों तक विवादों में फंसी रही थी। 604 पदों के लिए हुई इस परीक्षा में नियुक्ति पत्र जारी करने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर परिणाम संशोधित किया गया था। इसमें सात सवाल गलत पाए गए थे। इसके बाद मई 2014 में नए सिरे से नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे और 138 अभ्यर्थियों को बाहर किया गया था।

http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ अब अभ्यर्थियों का कहना है कि चयन बोर्ड ने हाईकोर्ट के आदेशों की आड़ में मनमानी की। परीक्षा में एक प्रश्न 3.4 अंकों का था। चूंकि सात सवाल गलत पाए गए थे जिनके अंकों को परीक्षाफल में जोड़ने का निर्देश दिया गया था। इस तरह अधिकतम 23.8 अंक ही बढ़ाए जा सकते थे। अभ्यर्थी प्रशांत सिंह ने पूछा है कि चयन बोर्ड ने किस आधार पर जालौन और मथुरा के विद्यालयों में 44.2 और 54.4 अंक बढ़ाकर दो अभ्यर्थियों को नियुक्त कर लिया। यह जानकारी उन्होंने चयन बोर्ड से मिली जानकारी के आधार पर ही सत्यापित की है। इसके अलावा कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनका चयन कटआफ मार्क से कम होने पर भी कर लिया गया। यह स्थिति सामान्य ही नहीं ओबीसी वर्ग में भी रही है। अभ्यर्थियों सूचना अधिकार कानून के आधार पर सोलह बिंदुओं पर जानकारी मांगी है और वह तथ्य बी सामने रखे हैं जिनके आधार पर सवाल पूछे गए हैं। उनके अनुसार भले ही चयन बोर्ड ने नियुक्तियां देकर अपना काम पूरा कर लिया है लेकिन इस बिंदु पर अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा।


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