जागरण संवाददाता, गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
कार्यपरिषद द्वारा 10 अनुदानित कालेजों की बीएड सीटें शून्य किए जाने का
मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सोमवार को एक ओर जहां प्राचार्यो ने कुलपति से
मुलाकात कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई वहीं सीटों की संख्या आधी किए जाने से
नाराज स्ववित्तपोषित कालेज प्रबंधकों ने लखनऊ में उच्च शिक्षा सचिव से
मिलकर हस्तक्षेप की मांग की।
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सोमवार
को दिग्विजयनाथ पीजी कालेज में हुई प्राचार्य परिषद की बैठक में इस फैसले
को दुर्भाग्यपूर्ण कहा गया। प्राचार्यो का कहना था कि शिक्षकों की कमी का
हवाला देते हुए बीएड की सीटें शून्य कर देना, उचित नहीं है। पहली बार ऐसा
हुआ कि किसी कालेज में सीटें घटाई गई। बैठक के बाद प्राचार्यो के एक
प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति प्रो.अशोक कुमार से भेंट कर फैसले पर पुनर्विचार
का आग्रह किया। प्राचार्यो का कहना है कि कालेजों में जो शिक्षक बचे हैं,
उसी अनुपात में बीएड की सीटें आवंटित की जाएं।
प्राचार्य परिषद की आपत्तियां एवं सुझाव
- शिक्षकों की कमी आयोग स्तर से नहीं हो रही, महाविद्यालयों का दोष नहीं।
- कार्यपरिषद की बैठक में प्राचार्यो का प्रतिनिधित्व न होना दुर्भाग्यपूर्ण
- महाविद्यालय ही हर वर्ष क्यों कराए सीटों का निर्धारण?
- जहां जितने शिक्षक शेष हैं, उसी अनुपात में सीट आवंटन हो।
- कालेजों की स्थिति जाने बगैर निर्णय लिया जाना गलत।
- प्रकरण पहले प्रवेश समिति के माध्यम से कार्यपरिषद में लाया जाना चाहिए था।
प्रबंधकों ने सचिव से की हस्तक्षेप की मांग :
सोमवार को ही स्ववित्तपोषित महाविद्यालय प्रबंधक महासभा ने उच्च शिक्षा सचिव से मामले में हस्तक्षेप की मांग की। प्रबंधक महासभा के महामंत्री डा.सुधीर कुमार राय ने बताया कि सचिव ने अन्य विश्वविद्यालयों की स्थिति जानने के बाद गोरखपुर विवि प्रकरण में विवि प्रशासन से बात करने की बात कही है। बता दें कि इस वर्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध ज्यादातर कालेजों की बीएड सीटें 100 से घटाकर 50 कर दी गई हैं।
प्राचार्य परिषद की आपत्तियां एवं सुझाव
- शिक्षकों की कमी आयोग स्तर से नहीं हो रही, महाविद्यालयों का दोष नहीं।
- कार्यपरिषद की बैठक में प्राचार्यो का प्रतिनिधित्व न होना दुर्भाग्यपूर्ण
- महाविद्यालय ही हर वर्ष क्यों कराए सीटों का निर्धारण?
- जहां जितने शिक्षक शेष हैं, उसी अनुपात में सीट आवंटन हो।
- कालेजों की स्थिति जाने बगैर निर्णय लिया जाना गलत।
- प्रकरण पहले प्रवेश समिति के माध्यम से कार्यपरिषद में लाया जाना चाहिए था।
प्रबंधकों ने सचिव से की हस्तक्षेप की मांग :
सोमवार को ही स्ववित्तपोषित महाविद्यालय प्रबंधक महासभा ने उच्च शिक्षा सचिव से मामले में हस्तक्षेप की मांग की। प्रबंधक महासभा के महामंत्री डा.सुधीर कुमार राय ने बताया कि सचिव ने अन्य विश्वविद्यालयों की स्थिति जानने के बाद गोरखपुर विवि प्रकरण में विवि प्रशासन से बात करने की बात कही है। बता दें कि इस वर्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध ज्यादातर कालेजों की बीएड सीटें 100 से घटाकर 50 कर दी गई हैं।
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