ओबीसी छात्रों ने एससी कोटे से लिया प्रवेश
कानपुर। व्यापमं घोटाले की चर्चा के बीच उत्तर प्रदेश कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (यूपी सीपीएमटी) 2015 भी फर्जीवाड़े के आरोपों से घिर गया है। इसमें आरक्षण का गलत लाभ देकर तमाम विद्यार्थियों को राजकीय मेडिकल कॉलेजों की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन दे दिया गया है।
जिन विद्यार्थियों ने वर्ष 2012 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से सीपीएमटी का पेपर दिया, काउंसिलिंग कराई और कमजोर रैंक की वजह से एडमिशन नहीं पा सके, वही इस बार अनुसूचित जाति (एससी) से पेपर देकर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ में एडमिशन पा गए हैं। इन विद्यार्थियों के नाम, पिता के नाम और जन्म तिथि एक हैं। एक जनहित याचिका के जरिए इस गोलमाल की पूरी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और सीपीएमटी का पेपर नए सिरे से कराए जाने की मांग भी की गई है। इससे संबंधित जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है।
सीपीएमटी 2015 के पहले चरण की ऑनलाइन काउंसिलिंग के रिजल्ट आठ जून 2015 को घोषित हुए हैं। जिन विद्यार्थियों ने काउंसिलिंग कराई थी, उन सबको कॉलेज और उनकी एमबीबीएस, बीडीएस की सीटें आवंटित कर दी गई हैं। अब विद्यार्थी एडमिशन ले रहे हैं। इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले बृजेश मौर्या ने एमबीबीएस, बीडीएस की काउंसिलिंग और एडमिशन में आरक्षण का गलत लाभ दिए जाने का बम फोड़ दिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्ष 2012 में ओबीसी कैटेगरी से सीपीएमटी का पेपर देने और काउंसिलिंग कराने वाले 15 विद्यार्थी ऐसे हैं, जो कि एससी कैटेगरी का लाभ लेकर केजीएमयू लखनऊ, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर, राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन और राजकीय मेडिकल कॉलेज सहारनपुर में एडमिशन पा गए हैं। सबको एमबीबीएस की सीट मिली है, जो कि अच्छे रैंक वाले स्टूडेंट को मिल पाती है। दरअसल, स्टूडेंटों ने अपनी ओबीसी कैटेगरी बदलकर एससी कर दी और इसी के सहारे एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन ले लिया। नियमानुसार यह संभव नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस खेल में बड़ा गिरोह सक्रिय है।
यूपी सीपीएमटी घोटाला
2012 में जो विद्यार्थी ओबीसी थे, 2015 में एससी हो गए, कई और मामले भी सामने आए
रितिका पाल पुत्री राम शंकर पाल (रोल नंबर 486161, एप्लीकेशन नंबर 136261, जन्म तिथि 5 अगस्त 1988) ने वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से सीपीएमटी का पेपर दिया था। कंबाइंड जनरल रैंक 5030 और कैटेगरी रैंक (ओबीसी) 2298 हासिल करके सीपीएमटी की काउंसिलिंग भी कराई लेकिन एमबीबीएस में एडमिशन नहीं मिला। ओबीसी कैटेगरी की इसी स्टूडेंट ने इस बार 2015 में एससी कोटे (रोल नंबर 35170426, रजिस्ट्रेशन नंबर 010132214, जन्म तिथि 5 अगस्त 1988) से सीपीएमटी का पेपर दे दिया। एससी कोटे का लाभ यह हुआ कि रितिका पाल की कैटेगरी रैंक 48 आ गई और उसे किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन मिल गया।
सवाल -2012 में ओबीसी तो 2015 में एससी कैसे। वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से पेपर देने वाली रितिका को 145 मार्क्स मिले थे लेकिन एडमिशन नहीं मिला। इस बार एससी कोटे से 133 मार्क्स पाकर एमबीबीएस में एडमिशन पा गई है।
जय प्रकाश पाल पुत्र वासुदेव पाल (रोल नंबर 418132, अप्लीकेशन नंबर 129637, जन्म तिथि 12 अक्तूबर 1989) ने वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से सीपीएमटी का पेपर दिया। कंबाइंड जनरल रैंक 13889 और कैटेगरी रैंक (ओबीसी) 6032 हासिल करके सीपीएमटी की काउंसिलिंग भी कराई लेकिन एमबीबीएस में एडमिशन नहीं मिल सका। ओबीसी कैटेगरी के इसी स्टूडेंट ने इस बार 2015 में एससी कोटे (रोल नंबर 28080370, रजिस्ट्रेशन नंबर 010084486 जन्म तिथि 12 अक्तूबर 1989) से सीपीएमटी का पेपर दिया। इसका लाभ यह हुआ कि जय प्रकाश पाल की कैटेगरी रैंक 559 आ गई और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन मिल गया।
सवाल - 2012 में ओबीसी तो 2015 में एससी कैसे।
सुनील कुमार पाल पुत्र पारसनाथ पाल (रोल नंबर 474112, अप्लीकेशन नंबर 122751 और जन्म तिथि 25 अक्तूबर 1990) ने वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से सीपीएमटी का पेपर देकर कंबाइंड जनरल रैंक 13889 और कैटेगरी रैंक (ओबीसी) 6032 हासिल की और ऑनलाइन काउंसिलिंग भी कराई लेकिन अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल सका। ओबीसी कैटेगरी के इसी स्टूडेंट ने इस बार 2015 में एससी कोटे (रोल नंबर 34220490, रजिस्ट्रेशन नंबर 010016836 और जन्म तिथि 25 अक्तूबर 1990) से सीपीएमटी का पेपर दिया। सुनील की कैटेगरी रैंक 483 मिली और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन मिल गया।
सवाल - 2012 में ओबीसी तो 2015 में एससी कैसे। 2012 में ओबीसी कोटे से पेपर देने वाले सुनील को 121 मार्क्स मिले थे लेकिन एडमिशन नहीं मिला था। इस बार 114 मार्क्स पाकर एमबीबीएस की सीट पा गए हैं।
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कानपुर। व्यापमं घोटाले की चर्चा के बीच उत्तर प्रदेश कंबाइंड प्री मेडिकल टेस्ट (यूपी सीपीएमटी) 2015 भी फर्जीवाड़े के आरोपों से घिर गया है। इसमें आरक्षण का गलत लाभ देकर तमाम विद्यार्थियों को राजकीय मेडिकल कॉलेजों की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन दे दिया गया है।
जिन विद्यार्थियों ने वर्ष 2012 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से सीपीएमटी का पेपर दिया, काउंसिलिंग कराई और कमजोर रैंक की वजह से एडमिशन नहीं पा सके, वही इस बार अनुसूचित जाति (एससी) से पेपर देकर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) लखनऊ में एडमिशन पा गए हैं। इन विद्यार्थियों के नाम, पिता के नाम और जन्म तिथि एक हैं। एक जनहित याचिका के जरिए इस गोलमाल की पूरी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से मामले की निष्पक्ष जांच कराने और सीपीएमटी का पेपर नए सिरे से कराए जाने की मांग भी की गई है। इससे संबंधित जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर ली है।
सीपीएमटी 2015 के पहले चरण की ऑनलाइन काउंसिलिंग के रिजल्ट आठ जून 2015 को घोषित हुए हैं। जिन विद्यार्थियों ने काउंसिलिंग कराई थी, उन सबको कॉलेज और उनकी एमबीबीएस, बीडीएस की सीटें आवंटित कर दी गई हैं। अब विद्यार्थी एडमिशन ले रहे हैं। इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने वाले बृजेश मौर्या ने एमबीबीएस, बीडीएस की काउंसिलिंग और एडमिशन में आरक्षण का गलत लाभ दिए जाने का बम फोड़ दिया। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्ष 2012 में ओबीसी कैटेगरी से सीपीएमटी का पेपर देने और काउंसिलिंग कराने वाले 15 विद्यार्थी ऐसे हैं, जो कि एससी कैटेगरी का लाभ लेकर केजीएमयू लखनऊ, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर, राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन और राजकीय मेडिकल कॉलेज सहारनपुर में एडमिशन पा गए हैं। सबको एमबीबीएस की सीट मिली है, जो कि अच्छे रैंक वाले स्टूडेंट को मिल पाती है। दरअसल, स्टूडेंटों ने अपनी ओबीसी कैटेगरी बदलकर एससी कर दी और इसी के सहारे एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन ले लिया। नियमानुसार यह संभव नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस खेल में बड़ा गिरोह सक्रिय है।
यूपी सीपीएमटी घोटाला
2012 में जो विद्यार्थी ओबीसी थे, 2015 में एससी हो गए, कई और मामले भी सामने आए
रितिका पाल पुत्री राम शंकर पाल (रोल नंबर 486161, एप्लीकेशन नंबर 136261, जन्म तिथि 5 अगस्त 1988) ने वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से सीपीएमटी का पेपर दिया था। कंबाइंड जनरल रैंक 5030 और कैटेगरी रैंक (ओबीसी) 2298 हासिल करके सीपीएमटी की काउंसिलिंग भी कराई लेकिन एमबीबीएस में एडमिशन नहीं मिला। ओबीसी कैटेगरी की इसी स्टूडेंट ने इस बार 2015 में एससी कोटे (रोल नंबर 35170426, रजिस्ट्रेशन नंबर 010132214, जन्म तिथि 5 अगस्त 1988) से सीपीएमटी का पेपर दे दिया। एससी कोटे का लाभ यह हुआ कि रितिका पाल की कैटेगरी रैंक 48 आ गई और उसे किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन मिल गया।
सवाल -2012 में ओबीसी तो 2015 में एससी कैसे। वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से पेपर देने वाली रितिका को 145 मार्क्स मिले थे लेकिन एडमिशन नहीं मिला। इस बार एससी कोटे से 133 मार्क्स पाकर एमबीबीएस में एडमिशन पा गई है।
जय प्रकाश पाल पुत्र वासुदेव पाल (रोल नंबर 418132, अप्लीकेशन नंबर 129637, जन्म तिथि 12 अक्तूबर 1989) ने वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से सीपीएमटी का पेपर दिया। कंबाइंड जनरल रैंक 13889 और कैटेगरी रैंक (ओबीसी) 6032 हासिल करके सीपीएमटी की काउंसिलिंग भी कराई लेकिन एमबीबीएस में एडमिशन नहीं मिल सका। ओबीसी कैटेगरी के इसी स्टूडेंट ने इस बार 2015 में एससी कोटे (रोल नंबर 28080370, रजिस्ट्रेशन नंबर 010084486 जन्म तिथि 12 अक्तूबर 1989) से सीपीएमटी का पेपर दिया। इसका लाभ यह हुआ कि जय प्रकाश पाल की कैटेगरी रैंक 559 आ गई और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन मिल गया।
सवाल - 2012 में ओबीसी तो 2015 में एससी कैसे।
सुनील कुमार पाल पुत्र पारसनाथ पाल (रोल नंबर 474112, अप्लीकेशन नंबर 122751 और जन्म तिथि 25 अक्तूबर 1990) ने वर्ष 2012 में ओबीसी कोटे से सीपीएमटी का पेपर देकर कंबाइंड जनरल रैंक 13889 और कैटेगरी रैंक (ओबीसी) 6032 हासिल की और ऑनलाइन काउंसिलिंग भी कराई लेकिन अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल सका। ओबीसी कैटेगरी के इसी स्टूडेंट ने इस बार 2015 में एससी कोटे (रोल नंबर 34220490, रजिस्ट्रेशन नंबर 010016836 और जन्म तिथि 25 अक्तूबर 1990) से सीपीएमटी का पेपर दिया। सुनील की कैटेगरी रैंक 483 मिली और उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज जालौन की एमबीबीएस सीट पर एडमिशन मिल गया।
सवाल - 2012 में ओबीसी तो 2015 में एससी कैसे। 2012 में ओबीसी कोटे से पेपर देने वाले सुनील को 121 मार्क्स मिले थे लेकिन एडमिशन नहीं मिला था। इस बार 114 मार्क्स पाकर एमबीबीएस की सीट पा गए हैं।
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