माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में अयोग्य सदस्यों की नियुक्ति पर मुख्य सचिव से जवाब तलब
इलाहाबाद। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष और दो सदस्यों के काम करने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पद पर नियुक्ति कि इनकी योग्यता पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ने मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। इस मामले की सुनवाई अब आठ अगस्त को होगी। याचिका में चयन बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति एके मिश्र की खंडपीठ ने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी तीखी टिप्पणी की है।
शिक्षक अभ्यर्थी अभिलाषा मिश्रा द्वारा दाखिल याचिका में चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष अनीता यादव तथा सदस्य आशालता सिंह और ललित कुमार श्रीवास्तव की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि तीनों ही यह पद धारण करने की योग्यता नहीं रखते हैं। चयन बोर्ड का अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकता है जो किसी विश्वविद्यालय का कुलपति रहा हो या सरकार में सचिव स्तर का अधिकारी रह चुका हो। अथवा शिक्षा के क्षेत्र में कोई ख्यातिलब्ध व्यक्ति को भी चयन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। मौजूदा कार्यवाहक अध्यक्ष के पास इनमें से कोई योग्यता नहीं है। वह इंटर कालेज में एलटी ग्रेड की अध्यापिका रही हैं। आशालता भी 2007 तक विषय विशेषज्ञ थीं। ललित कुमार श्रीवास्तव 2003 तक डीआईओएस कार्यालय में क्लर्क थे। बाद में अध्यापक नियुक्त हुए और फिर उनको चयन बोर्ड का सदस्य बना दिया गया। ऐसे लोग अब इंटर कालेज के प्रधानाचार्यों और प्रवक्ताओं का साक्षात्कार लेंगे। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी थी। सोमवार को सरकार की ओर से नियुक्तियों की बाबत जो जानकारी दी गई उससे अदालत संतुष्ट नहीं थी। प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते कार्यवाहक अध्यक्ष और दोनों सदस्यों के काम करने पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में कार्यवाहक अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता का मामला सबसे पहले अमर उजाला ने प्रमुखता से उठाया था।
अमर उजाला ने उठाया था चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष, सदस्यों की योग्यता पर सवाल
इलाहाबाद। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष और दो सदस्यों के काम करने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। पद पर नियुक्ति कि इनकी योग्यता पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ने मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। इस मामले की सुनवाई अब आठ अगस्त को होगी। याचिका में चयन बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति एके मिश्र की खंडपीठ ने सरकार की कार्यप्रणाली पर भी तीखी टिप्पणी की है।
शिक्षक अभ्यर्थी अभिलाषा मिश्रा द्वारा दाखिल याचिका में चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष अनीता यादव तथा सदस्य आशालता सिंह और ललित कुमार श्रीवास्तव की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि तीनों ही यह पद धारण करने की योग्यता नहीं रखते हैं। चयन बोर्ड का अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकता है जो किसी विश्वविद्यालय का कुलपति रहा हो या सरकार में सचिव स्तर का अधिकारी रह चुका हो। अथवा शिक्षा के क्षेत्र में कोई ख्यातिलब्ध व्यक्ति को भी चयन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। मौजूदा कार्यवाहक अध्यक्ष के पास इनमें से कोई योग्यता नहीं है। वह इंटर कालेज में एलटी ग्रेड की अध्यापिका रही हैं। आशालता भी 2007 तक विषय विशेषज्ञ थीं। ललित कुमार श्रीवास्तव 2003 तक डीआईओएस कार्यालय में क्लर्क थे। बाद में अध्यापक नियुक्त हुए और फिर उनको चयन बोर्ड का सदस्य बना दिया गया। ऐसे लोग अब इंटर कालेज के प्रधानाचार्यों और प्रवक्ताओं का साक्षात्कार लेंगे। हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रदेश सरकार से जानकारी मांगी थी। सोमवार को सरकार की ओर से नियुक्तियों की बाबत जो जानकारी दी गई उससे अदालत संतुष्ट नहीं थी। प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते कार्यवाहक अध्यक्ष और दोनों सदस्यों के काम करने पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में कार्यवाहक अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यता का मामला सबसे पहले अमर उजाला ने प्रमुखता से उठाया था।
अमर उजाला ने उठाया था चयन बोर्ड की कार्यवाहक अध्यक्ष, सदस्यों की योग्यता पर सवाल
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