अनिल यादव की नियुक्ति पर घिरी सपा सरकार
हाईकोर्ट ने पूछा : 82 अभ्यर्थियों की योग्यता पर विचार किए बिना क्यों किया गया चयन
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर योग्यता और मानकों को दरकिनार कर अनिल यादव की नियुक्ति करने पर प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में घिर गई है। नियुक्ति संबंधी दस्तावेज देखने के बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और अनिल यादव को नोटिस जारी कर बताने को कहा है कि चेयरमैन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों का ठीक से सत्यापन कराए बिना नियुक्ति कैसे की गई।
आखिर अनिल यादव में सरकार को ऐसी क्या खूबी दिखी जो दूसरे अभ्यर्थियों में नहीं थी। इस फाइल को देखने से साफ है कि हम सरकार हैं तो कुछ भी कर सकते हैं।
मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने यह भी पूछा है कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के तहत प्रदेश में आयोग का चेयरमैन बनाने के लिए कोई गाइडलाइन बनाई गई है या नहीं। पीठ ने 82 अन्य अभ्यर्थियों के आवेदन पर विचार किए बिना अपनी पसंद के व्यक्ति को चेयरमैन बनाने की मानसिकता पर भी कड़ी टिप्पणी की। कहा कि आवेदन करने वालों मेें कम से कम 29 लोग ऐसे हैं, जिनके पास पीएचडी की डिग्री है। वह रीडर या प्रोफेसर हैं । यह कैसे संभव है कि सरकार ने सभी 83 आवेदनों पर एक ही दिन में विचार कर अनिल यादव की नियुक्ति पर विचार कर लिया।
उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग
तीन सदस्यों की नियुक्ति के दस्तावेज तलब
इलाहाबाद (ब्यूरो)। लोक सेवा आयोग की ही तरह उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी सदस्यों की मनमानी नियुक्ति को लेकर प्रदेश सरकार कटघरे में है। हाईकोर्ट ने खराब शैक्षणिक रिकॉर्ड वाले लोगों को आयोग का सदस्य और चेयरमैन बनाने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. रामवीर सिंह यादव, रूदल यादव और अनिल कुमार सिंह की नियुक्ति से संबंधित मूल दस्तावेज तलब कर लिए हैं। प्राचार्य के साक्षात्कार में सफल न होने वाले लोगों की सदस्य के रूप में नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार चलाने के लिए फेलियर ही मिल रहे हैं।
याचिका की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने यह भी पूछा है कि क्या इन सदस्यों के शैक्षणिक रिकॉर्ड यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार ‘गुड एकेडमिक रिकार्ड’ के तहत आते हैं। यह बताने को कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में इन सदस्यों का क्या उल्लेखनीय योगदान है जिसकी वजह से इन महत्वपूर्ण पदों पर इनको नियुक्तियां दी गई। मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि डॉ. रामवीर सिंह यादव को साक्षात्कार में करीब 44 फीसदी अंक मिले थे। कोर्ट का कहना था कि इससे मतलब नहीं है कि अंक कितने मिले, क्या वह साक्षात्कार में सफल हुए थे। मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि रामवीर को हाईस्कूल हाईस्कूल में 51.2 फीसदी, इंटरमीडिएट में 54.8 फीसदी तथा स्नातक में 58 फीसदी और परास्नातक में 65 फीसदी अंक प्राप्त हुए थे।
रूदल यादव को मिले अंकों का पूरा ब्यौरा नहीं दिया गया है। इन सदस्यों की नियुक्तियां क्लाज जी सेक्शन 2 (ए) 1980 के एक्ट 16 के तहत की गई है। इस एक्ट में निर्धारित योग्यता को यह लोग पूरा नहीं करते हैं। याचिका पर अगली सुनवाई छह अगस्त को होगी।
क्योें नहीं बनी सर्च कमेटी
आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर कोई नियम तरीका नहीं अपनाए जाने पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि नियमानुसार एक सर्च कमेटी बनानी चाहिए थी ताकि वह योग्य व्यक्ति की तलाश कर सके। आवेदकों के बायोडाटा का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना चाहिए। कई बार योग्य व्यक्ति आवेदन करता ही नहीं, ऐसे में सर्च कमेटी अपने स्तर से पता लगाकर उसे तलाश करती है जो पद के लिए सर्वाधिक योग्य हो।
प्रतियोगियों में खुशी की लहर
अनिल यादव की नियुक्ति के मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश से प्रतियोगी छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई, उत्साहित प्रतियोगियों ने नई लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। इस मामले में 13 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई के साथ प्रतियोगियों का पूरा ध्यान आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई पर भी है।
आपराधिक मुकदमों की जांच भी नहीं हुई, एक ही दिन में लगा दी गई रिपोर्ट
रविवार को एक ही दिन में कर लिया चरित्र सत्यापन
याची के वकील ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि 29 मार्च, 2013 को मुख्य सचिव ने सभी 83 लोगों का बायोडेटा देखने के बाद 30 मार्च, 2013 को अनिल यादव का नाम मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा। मुख्यमंत्री के यहां से 31 मार्च, 2013 कोे डीएम मैनपुरी को अनिल यादव के चरित्र का सत्यापन के लिए भेजा था। वह रविवार का दिन था।
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हाईकोर्ट ने पूछा : 82 अभ्यर्थियों की योग्यता पर विचार किए बिना क्यों किया गया चयन
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर योग्यता और मानकों को दरकिनार कर अनिल यादव की नियुक्ति करने पर प्रदेश सरकार हाईकोर्ट में घिर गई है। नियुक्ति संबंधी दस्तावेज देखने के बाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार और अनिल यादव को नोटिस जारी कर बताने को कहा है कि चेयरमैन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों का ठीक से सत्यापन कराए बिना नियुक्ति कैसे की गई।
आखिर अनिल यादव में सरकार को ऐसी क्या खूबी दिखी जो दूसरे अभ्यर्थियों में नहीं थी। इस फाइल को देखने से साफ है कि हम सरकार हैं तो कुछ भी कर सकते हैं।
मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने यह भी पूछा है कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश के तहत प्रदेश में आयोग का चेयरमैन बनाने के लिए कोई गाइडलाइन बनाई गई है या नहीं। पीठ ने 82 अन्य अभ्यर्थियों के आवेदन पर विचार किए बिना अपनी पसंद के व्यक्ति को चेयरमैन बनाने की मानसिकता पर भी कड़ी टिप्पणी की। कहा कि आवेदन करने वालों मेें कम से कम 29 लोग ऐसे हैं, जिनके पास पीएचडी की डिग्री है। वह रीडर या प्रोफेसर हैं । यह कैसे संभव है कि सरकार ने सभी 83 आवेदनों पर एक ही दिन में विचार कर अनिल यादव की नियुक्ति पर विचार कर लिया।
उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग
तीन सदस्यों की नियुक्ति के दस्तावेज तलब
इलाहाबाद (ब्यूरो)। लोक सेवा आयोग की ही तरह उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में भी सदस्यों की मनमानी नियुक्ति को लेकर प्रदेश सरकार कटघरे में है। हाईकोर्ट ने खराब शैक्षणिक रिकॉर्ड वाले लोगों को आयोग का सदस्य और चेयरमैन बनाने पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. रामवीर सिंह यादव, रूदल यादव और अनिल कुमार सिंह की नियुक्ति से संबंधित मूल दस्तावेज तलब कर लिए हैं। प्राचार्य के साक्षात्कार में सफल न होने वाले लोगों की सदस्य के रूप में नियुक्ति पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार चलाने के लिए फेलियर ही मिल रहे हैं।
याचिका की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने यह भी पूछा है कि क्या इन सदस्यों के शैक्षणिक रिकॉर्ड यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार ‘गुड एकेडमिक रिकार्ड’ के तहत आते हैं। यह बताने को कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में इन सदस्यों का क्या उल्लेखनीय योगदान है जिसकी वजह से इन महत्वपूर्ण पदों पर इनको नियुक्तियां दी गई। मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि डॉ. रामवीर सिंह यादव को साक्षात्कार में करीब 44 फीसदी अंक मिले थे। कोर्ट का कहना था कि इससे मतलब नहीं है कि अंक कितने मिले, क्या वह साक्षात्कार में सफल हुए थे। मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि रामवीर को हाईस्कूल हाईस्कूल में 51.2 फीसदी, इंटरमीडिएट में 54.8 फीसदी तथा स्नातक में 58 फीसदी और परास्नातक में 65 फीसदी अंक प्राप्त हुए थे।
रूदल यादव को मिले अंकों का पूरा ब्यौरा नहीं दिया गया है। इन सदस्यों की नियुक्तियां क्लाज जी सेक्शन 2 (ए) 1980 के एक्ट 16 के तहत की गई है। इस एक्ट में निर्धारित योग्यता को यह लोग पूरा नहीं करते हैं। याचिका पर अगली सुनवाई छह अगस्त को होगी।
क्योें नहीं बनी सर्च कमेटी
आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर कोई नियम तरीका नहीं अपनाए जाने पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा कि नियमानुसार एक सर्च कमेटी बनानी चाहिए थी ताकि वह योग्य व्यक्ति की तलाश कर सके। आवेदकों के बायोडाटा का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना चाहिए। कई बार योग्य व्यक्ति आवेदन करता ही नहीं, ऐसे में सर्च कमेटी अपने स्तर से पता लगाकर उसे तलाश करती है जो पद के लिए सर्वाधिक योग्य हो।
प्रतियोगियों में खुशी की लहर
अनिल यादव की नियुक्ति के मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश से प्रतियोगी छात्रों में खुशी की लहर दौड़ गई, उत्साहित प्रतियोगियों ने नई लड़ाई की तैयारी शुरू कर दी है। इस मामले में 13 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई के साथ प्रतियोगियों का पूरा ध्यान आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई पर भी है।
आपराधिक मुकदमों की जांच भी नहीं हुई, एक ही दिन में लगा दी गई रिपोर्ट
रविवार को एक ही दिन में कर लिया चरित्र सत्यापन
याची के वकील ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि 29 मार्च, 2013 को मुख्य सचिव ने सभी 83 लोगों का बायोडेटा देखने के बाद 30 मार्च, 2013 को अनिल यादव का नाम मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा। मुख्यमंत्री के यहां से 31 मार्च, 2013 कोे डीएम मैनपुरी को अनिल यादव के चरित्र का सत्यापन के लिए भेजा था। वह रविवार का दिन था।
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