बदल डाली लिस्ट
प्रिंसिपल भर्ती की जांच में बड़े पैमाने पर घपले की बात भी सामने आई। पुराने आवेदकों की मूल लिस्ट ही बदलने का मामला सामने आया। नए अध्यक्ष बने डॉ. परशुराम पाल ने फिर भर्तियां शुरू कर दीं। इन भर्तियों को लेकर फिर शिकायतें आईं। उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा। डॉ. पाल के हटने के बाद अनीता यादव को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। अनीता यादव के साथ बोर्ड के अन्य सदस्यों ललित श्रीवास्तव और आशा लता सिंह पर आरोप लगाया गया है कि वे इंटरव्यू लेने के योग्य नहीं हैं।
विवादों की जड़ है प्रिंसिपल भर्ती
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में सबसे बड़े विवाद की जड़ 925 प्रिंसिपलों की भर्ती है। इस भर्ती को लेकर कई बार विवाद उठे। घोटालों के आरोप लगे और इसमें ही दो अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों को पद से हाथ धोना पड़ा। इसको लेकर बोर्ड की अंदरूनी कलह भी लगातार सामने आती रही है। नया विवाद की जड़ में भी प्रिंसिपल भर्ती है।
इसी विवाद में हटे दो अध्यक्ष
RTE के बाद से हुई विवादों से मित्रता
पहले से शिक्षा मित्रों की नौकरी पर लटकती रही तलवार• प्रसं, लखनऊ : आरटीई(शिक्षा का अधिकार अधिनियम) लागू होने के बाद से ही शिक्षा मित्रों पर लगातार तलवार लटकती रही। आरटीई में पूर्णकालिक शिक्षक का प्रावधान है। ऐसे में शिक्षा मित्रों को हटाए जाने की बात भी उठी थी। प्रदेश में भारी संख्या में शिक्षकों की कमी को देखते हुए यह तय हुआ कि इन्हें ही प्रशिक्षण देकर शिक्षक बना दिया जाए। पांच साल बाद अब शिक्षा मित्र नियमित हुए तो अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इस बीच इनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े हुए। प्रदेश में कुल 1,72,000 शिक्षा मित्र हैं।
शिक्षा मित्रों का समायोजन पुराने शासनादेश के तहत किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने टीईटी में छूट का अधिकार प्रदेश सरकार को दिया था। हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
-गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ
यह है मामला
यूपी में 2009 में नियम में बदलाव कर 12वां संशोधन किया गया। इसके तहत टीईटी की मेरिट लिस्ट के आधार पर टीचरों की भर्ती का नियम तय किया गया। इसके बाद टीईटी के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए और भर्ती के लिए पेपर हुए। इसी बीच 2011 में यूपी में नई सरकार ने नियम में 15 वां संशोधन किया और नए नियम के तहत कहा गया कि क्वालिटी मार्क्स के आधार पर टीचरों की भर्ती होगी। इसके तहत एकेडमिक क्वालिफिकेशन के मार्क्स को तरजीह दी जाएगी। इसके बाद इस मामले में विवाद हुआ।• प्रमुख संवादददाता, लखनऊ
2011 से फंसी है भर्ती
चयन बोर्ड ने 2011 में प्रिंसिपल भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। उस समय बोर्ड का कोरम पूरा न होने के कारण मामला कोर्ट में पहुंचा और भर्तियां रुक गईं। कोरम पूरा होने पर बोर्ड ने इन भर्तियों की प्रक्रिया 2013 में फिर शुरू कर दी। बोर्ड ने पुराने आवेदनों के साथ कुछ नए आवेदन भी मांग लिए। इसको लेकर काफी विवाद हुआ। उस समय के अध्यक्ष डॉ़ आशाराम पर बोर्ड के ही अन्य पदाधिकारियों ने घपलों के आरोप लगाए। शासन स्तर से जांच हुई और इंटरव्यू रोकने के आदेश दिए गए। फिर भी इंटरव्यू जारी रहे। इस पर बोर्ड ने अध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों को हटा दिया।
प्रिंसिपल भर्ती की जांच में बड़े पैमाने पर घपले की बात भी सामने आई। पुराने आवेदकों की मूल लिस्ट ही बदलने का मामला सामने आया। नए अध्यक्ष बने डॉ. परशुराम पाल ने फिर भर्तियां शुरू कर दीं। इन भर्तियों को लेकर फिर शिकायतें आईं। उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा। डॉ. पाल के हटने के बाद अनीता यादव को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। अनीता यादव के साथ बोर्ड के अन्य सदस्यों ललित श्रीवास्तव और आशा लता सिंह पर आरोप लगाया गया है कि वे इंटरव्यू लेने के योग्य नहीं हैं।
विवादों की जड़ है प्रिंसिपल भर्ती
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में सबसे बड़े विवाद की जड़ 925 प्रिंसिपलों की भर्ती है। इस भर्ती को लेकर कई बार विवाद उठे। घोटालों के आरोप लगे और इसमें ही दो अध्यक्षों और अन्य पदाधिकारियों को पद से हाथ धोना पड़ा। इसको लेकर बोर्ड की अंदरूनी कलह भी लगातार सामने आती रही है। नया विवाद की जड़ में भी प्रिंसिपल भर्ती है।
इसी विवाद में हटे दो अध्यक्ष
RTE के बाद से हुई विवादों से मित्रता
पहले से शिक्षा मित्रों की नौकरी पर लटकती रही तलवार• प्रसं, लखनऊ : आरटीई(शिक्षा का अधिकार अधिनियम) लागू होने के बाद से ही शिक्षा मित्रों पर लगातार तलवार लटकती रही। आरटीई में पूर्णकालिक शिक्षक का प्रावधान है। ऐसे में शिक्षा मित्रों को हटाए जाने की बात भी उठी थी। प्रदेश में भारी संख्या में शिक्षकों की कमी को देखते हुए यह तय हुआ कि इन्हें ही प्रशिक्षण देकर शिक्षक बना दिया जाए। पांच साल बाद अब शिक्षा मित्र नियमित हुए तो अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इस बीच इनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े हुए। प्रदेश में कुल 1,72,000 शिक्षा मित्र हैं।
शिक्षा मित्रों का समायोजन पुराने शासनादेश के तहत किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने टीईटी में छूट का अधिकार प्रदेश सरकार को दिया था। हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।
-गाजी इमाम आला, प्रदेश अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ
यह है मामला
यूपी में 2009 में नियम में बदलाव कर 12वां संशोधन किया गया। इसके तहत टीईटी की मेरिट लिस्ट के आधार पर टीचरों की भर्ती का नियम तय किया गया। इसके बाद टीईटी के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए और भर्ती के लिए पेपर हुए। इसी बीच 2011 में यूपी में नई सरकार ने नियम में 15 वां संशोधन किया और नए नियम के तहत कहा गया कि क्वालिटी मार्क्स के आधार पर टीचरों की भर्ती होगी। इसके तहत एकेडमिक क्वालिफिकेशन के मार्क्स को तरजीह दी जाएगी। इसके बाद इस मामले में विवाद हुआ।• प्रमुख संवादददाता, लखनऊ
2011 से फंसी है भर्ती
चयन बोर्ड ने 2011 में प्रिंसिपल भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। उस समय बोर्ड का कोरम पूरा न होने के कारण मामला कोर्ट में पहुंचा और भर्तियां रुक गईं। कोरम पूरा होने पर बोर्ड ने इन भर्तियों की प्रक्रिया 2013 में फिर शुरू कर दी। बोर्ड ने पुराने आवेदनों के साथ कुछ नए आवेदन भी मांग लिए। इसको लेकर काफी विवाद हुआ। उस समय के अध्यक्ष डॉ़ आशाराम पर बोर्ड के ही अन्य पदाधिकारियों ने घपलों के आरोप लगाए। शासन स्तर से जांच हुई और इंटरव्यू रोकने के आदेश दिए गए। फिर भी इंटरव्यू जारी रहे। इस पर बोर्ड ने अध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों को हटा दिया।
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