उत्तर प्रदेश में करीब 72 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ
हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा
(टीईटी) में प्राप्त अंकों के आधार पर मेधा सूची तैयार की जाए और शिक्षकों
की नियुक्ति की जाए।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा कि टीईटी में 70 फीसदी अंक हासिल करने वाले सामान्य वर्ग के और 65 फीसदी अंक हासिल करने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त किया जाए। पीठ ने राज्य सरकार से ऐसे सभी छात्रों को छह हफ्ते के भीतर नियुक्त करने को कहा। अदालत ने कहा कि राज्य में करीब तीन लाख शिक्षकों के पद खाली हैं, लिहाजा शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है।
विवाद इस बात को लेकर चल रहा था कि शिक्षकों की भर्ती सिर्फ टीईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर हो या फिर टीईटी और अकादमी योग्यता (क्वालिटी मार्क्स) के आधार पर हो। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार की राय जाननी चाही थी।
बुधवार को सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने बताया टीईटी के अंकों के आधार पर मेधा सूची तैयार की जा सकती है। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल ने पूछा कि टीईटी के अंकों को कितना वेटेज मिल सकता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 100 फीसदी तक।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि नियम खेल के बीच में नहीं बदले जा सकते। मालूम हो कि मायावती सरकार ने करीब 76 हजार शिक्षकों की भर्ती का निर्णय लिया था। सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर नियुक्ति का आधार टीईटी रखा। टीईटी में सफल उम्मीदवारों को काउंसलिंग भी शुरू हो गई थी। इसके बाद सत्ता में आई सपा सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर इस नियम में बदलाव करने का निर्णय लिया गया।
नए नियम के तहत टीईटी और क्वालिटी मार्क्स, दोनों को नियुक्ति का आधार बनाया गया। छात्रों ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने छात्रों के हक में फैसला देते हुए मायावती सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी।
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न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा कि टीईटी में 70 फीसदी अंक हासिल करने वाले सामान्य वर्ग के और 65 फीसदी अंक हासिल करने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त किया जाए। पीठ ने राज्य सरकार से ऐसे सभी छात्रों को छह हफ्ते के भीतर नियुक्त करने को कहा। अदालत ने कहा कि राज्य में करीब तीन लाख शिक्षकों के पद खाली हैं, लिहाजा शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी है।
विवाद इस बात को लेकर चल रहा था कि शिक्षकों की भर्ती सिर्फ टीईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर हो या फिर टीईटी और अकादमी योग्यता (क्वालिटी मार्क्स) के आधार पर हो। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार की राय जाननी चाही थी।
बुधवार को सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने बताया टीईटी के अंकों के आधार पर मेधा सूची तैयार की जा सकती है। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल ने पूछा कि टीईटी के अंकों को कितना वेटेज मिल सकता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 100 फीसदी तक।
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि नियम खेल के बीच में नहीं बदले जा सकते। मालूम हो कि मायावती सरकार ने करीब 76 हजार शिक्षकों की भर्ती का निर्णय लिया था। सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर नियुक्ति का आधार टीईटी रखा। टीईटी में सफल उम्मीदवारों को काउंसलिंग भी शुरू हो गई थी। इसके बाद सत्ता में आई सपा सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर इस नियम में बदलाव करने का निर्णय लिया गया।
नए नियम के तहत टीईटी और क्वालिटी मार्क्स, दोनों को नियुक्ति का आधार बनाया गया। छात्रों ने सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने छात्रों के हक में फैसला देते हुए मायावती सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी।
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