राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में बनने वाले मॉडल स्कूलों का संचालन निजी क्षेत्र की बड़ी संस्थाओं के हाथ में दिया जाएगा ताकि इनमें पढ़ने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। ये संस्थाएं ही शिक्षकों व अन्य स्टाफ की नियुक्तियां करेंगी। दाखिले में सरकारी नियमों का पूरा पालन होगा।
इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग निजी संस्था से करार करेगा। इनके चयन में स्कूल चलाने का अनुभव भी देखा जाएगा। स्कूलों का मालिकाना हक माध्यमिक शिक्षा विभाग के पास ही रहेगा। जिले स्तर पर निगरानी की जिम्मेदारी डीआईओएस और मंडल स्तर पर मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की होगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग जल्द ही इस संबंध में कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराने की तैयारी में है। केंद्र ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में 2010-11 में 148 और 2012-13 में 45 मॉडल स्कूल यूपी के लिए स्वीकृत किए। इनमें से 191 का निर्माण पूरा हो चुका है।
राज्य सरकार इनमें सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कराना चाहती थी। इसके लिए प्रधानाचार्य और शिक्षकों की भर्तियां भी शुरू हो चुकी थीं। मगर केंद्र ने अब इन स्कूलों को चलाने के लिए धन देने से इन्कार कर दिया है। इस नाते प्रधानाचार्य व शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई है।
राज्य सरकार चाहती है कि इन स्कूलों को निजी क्षेत्रों को दे दिया जाए ताकि इनका बेहतर ढंग से संचालन हो सके।
माध्यमिक शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने इसके लिए प्रस्ताव बनाते हुए शासन को भेजा है। इसके मुताबिक इन मॉडल स्कूलों को नामी-गिरामी स्कूल चलाने वाली संस्थाओं या ऐसे घरानों को दिया जाए जो सामाजिक सेवाओं में लगी हों।
इसके लिए प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी और इसमें वित्त, न्याय, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी सदस्य होंगे।
समिति की देखरेख में विशेषज्ञ परामर्शदाता का चयन, निविदा शर्तों व मापदंडों का निर्धारण तथा अनुबंध पत्र तैयार किया जाएगा।
स्कूल चलाने के लिए उच्च क्षमता, अच्छी छवि और पर्याप्त अनुभव रखने वाली संस्था का चयन करते हुए अधिकतम 15 साल के लिए करार किया जाएगा।
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इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग निजी संस्था से करार करेगा। इनके चयन में स्कूल चलाने का अनुभव भी देखा जाएगा। स्कूलों का मालिकाना हक माध्यमिक शिक्षा विभाग के पास ही रहेगा। जिले स्तर पर निगरानी की जिम्मेदारी डीआईओएस और मंडल स्तर पर मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की होगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग जल्द ही इस संबंध में कैबिनेट से प्रस्ताव मंजूर कराने की तैयारी में है। केंद्र ने राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान में 2010-11 में 148 और 2012-13 में 45 मॉडल स्कूल यूपी के लिए स्वीकृत किए। इनमें से 191 का निर्माण पूरा हो चुका है।
राज्य सरकार इनमें सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कराना चाहती थी। इसके लिए प्रधानाचार्य और शिक्षकों की भर्तियां भी शुरू हो चुकी थीं। मगर केंद्र ने अब इन स्कूलों को चलाने के लिए धन देने से इन्कार कर दिया है। इस नाते प्रधानाचार्य व शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई है।
राज्य सरकार चाहती है कि इन स्कूलों को निजी क्षेत्रों को दे दिया जाए ताकि इनका बेहतर ढंग से संचालन हो सके।
माध्यमिक शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय ने इसके लिए प्रस्ताव बनाते हुए शासन को भेजा है। इसके मुताबिक इन मॉडल स्कूलों को नामी-गिरामी स्कूल चलाने वाली संस्थाओं या ऐसे घरानों को दिया जाए जो सामाजिक सेवाओं में लगी हों।
इसके लिए प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी और इसमें वित्त, न्याय, बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी सदस्य होंगे।
समिति की देखरेख में विशेषज्ञ परामर्शदाता का चयन, निविदा शर्तों व मापदंडों का निर्धारण तथा अनुबंध पत्र तैयार किया जाएगा।
स्कूल चलाने के लिए उच्च क्षमता, अच्छी छवि और पर्याप्त अनुभव रखने वाली संस्था का चयन करते हुए अधिकतम 15 साल के लिए करार किया जाएगा।
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