डॉ.संजीव, लखनऊ सातवें वेतन आयोग के लिए केंद्र के बजट में प्रावधान होने के साथ प्रदेश
सरकार की सक्रियता भी बढ़ गयी है। प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों को इन
सिफारिशों का लाभ देने के लिए केंद्र सरकार से पहले वर्ष 26,573 करोड़
सहित हर वर्ष 22 हजार करोड़ से अधिक मदद मांगी है।
पिछले वर्ष सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां आने के बाद केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में जरूरी धन का प्रावधान किया है।
केंद्र सरकार द्वारा संस्तुतियां लागू करते ही राज्य को भी इन्हें लागू करना होगा। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी है।
बीते दिनों केंद्रीय वित्त मंत्रलय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 26573 करोड़ रुपये अनुदान की मांग की गयी। अगले वर्ष से प्रति वर्ष औसतन 22,777 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च का आकलन कर वार्षिक अनुदान की बात भी कही गयी है। केंद्रीय वित्त मंत्रलय को दिये गए प्रतिवेदन में कहा गया है कि अभी वेतन के लिए केंद्र सरकार से कोई सहायता नहीं मिलती है, इसलिए इस बाबत एक अलग मद सृजित किया जा सकता है।
इसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 के मुख्य व अनुपूरक बजट में की गयी अनुमानित व्यवस्था में तीन फीसद की वृद्धि करते हुए वित्तीय वर्ष 2016-17 के वर्तमान अनुमानित व्यय का आकलन हुआ है। महंगाई भत्ते में दस फीसद वृद्धि के साथ अन्य भत्ताें को यथावत मान लिया गया है। पेंशन व्यय में मौजूदा आधार पर भी छह फीसद वृद्धि की उम्मीद है। सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू किये जाने की स्थिति में अतिरिक्त व्यय भार में औसतन 25 फीसद वृद्धि होगी क्योंकि पुनरीक्षित वेतनमानों में महंगाई भत्ता वेतन में सम्मिलित होकर मूल वेतन बन जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रलय के साथ हुई बैठक में हमने सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू होने की स्थिति में आने वाले अतिरिक्त खर्च का पूरा ब्योरा सौंप दिया है।
इससे प्रदेश पर अत्यधिक धन का खर्च बढ़ेगा, इसलिए केंद्र से पहले वित्तीय वर्ष 2016-17 के साथ आगे को भी अनुदान की मांग की गयी है।
-राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव (वित्त)।
प्रदेश पर बढ़ेगा हर साल 22,777 करोड़ रुपये का खर्च
आधार बताने के साथ वार्षिक अनुदान देने की भी मांग
औसत वृद्धि
मूल वेतन : >>>>15 फीसद
अन्य भत्ते : >>>>50 फीसद
पेंशन : >>>>24 फीसद
डीए व अन्य : >>20 फीसद।
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पिछले वर्ष सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां आने के बाद केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के बजट में जरूरी धन का प्रावधान किया है।
केंद्र सरकार द्वारा संस्तुतियां लागू करते ही राज्य को भी इन्हें लागू करना होगा। ऐसे में राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी है।
बीते दिनों केंद्रीय वित्त मंत्रलय के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए 26573 करोड़ रुपये अनुदान की मांग की गयी। अगले वर्ष से प्रति वर्ष औसतन 22,777 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च का आकलन कर वार्षिक अनुदान की बात भी कही गयी है। केंद्रीय वित्त मंत्रलय को दिये गए प्रतिवेदन में कहा गया है कि अभी वेतन के लिए केंद्र सरकार से कोई सहायता नहीं मिलती है, इसलिए इस बाबत एक अलग मद सृजित किया जा सकता है।
इसमें वित्तीय वर्ष 2015-16 के मुख्य व अनुपूरक बजट में की गयी अनुमानित व्यवस्था में तीन फीसद की वृद्धि करते हुए वित्तीय वर्ष 2016-17 के वर्तमान अनुमानित व्यय का आकलन हुआ है। महंगाई भत्ते में दस फीसद वृद्धि के साथ अन्य भत्ताें को यथावत मान लिया गया है। पेंशन व्यय में मौजूदा आधार पर भी छह फीसद वृद्धि की उम्मीद है। सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू किये जाने की स्थिति में अतिरिक्त व्यय भार में औसतन 25 फीसद वृद्धि होगी क्योंकि पुनरीक्षित वेतनमानों में महंगाई भत्ता वेतन में सम्मिलित होकर मूल वेतन बन जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रलय के साथ हुई बैठक में हमने सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू होने की स्थिति में आने वाले अतिरिक्त खर्च का पूरा ब्योरा सौंप दिया है।
इससे प्रदेश पर अत्यधिक धन का खर्च बढ़ेगा, इसलिए केंद्र से पहले वित्तीय वर्ष 2016-17 के साथ आगे को भी अनुदान की मांग की गयी है।
-राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव (वित्त)।
प्रदेश पर बढ़ेगा हर साल 22,777 करोड़ रुपये का खर्च
आधार बताने के साथ वार्षिक अनुदान देने की भी मांग
औसत वृद्धि
मूल वेतन : >>>>15 फीसद
अन्य भत्ते : >>>>50 फीसद
पेंशन : >>>>24 फीसद
डीए व अन्य : >>20 फीसद।
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