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उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में एक ‘सपने’ का कत्ल : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में एक ‘सपने’ का कत्ल हो गया है। वह सपना जिसे न केवल आयोग के अफसरों ने देखा, बल्कि प्रतियोगी छात्रों में भी गजब का उत्साह रहा। पूरे जोश के साथ परीक्षा हुई और परिणाम आने के पहले ही परत-दर-परत वह स्याह पक्ष धीरे-धीरे सामने आया, जो किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को कलंकित
करने के लिए काफी है। 1सादी कॉपियां मिलने और उसमें आयोग के ही ‘बड़ों’ पर अंगुलियां उठने पर प्रतियोगी हताश-निराश हैं। वे कह रहे हैं कि यह परीक्षा अब किसी काम नहीं है। वहीं आयोग के अफसर इस पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि वहां सारे अहम पद महीने से खाली हैं।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रदेश के अशासकीय डिग्री कालेजों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर आदि की भर्ती करता है। नियुक्ति की यह प्रक्रिया पहले मेरिट के आधार पर होती रही है। आयोग ने विज्ञापन संख्या 46 को 21 मार्च 2014 को जारी किया और इसमें 1652 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्तियां करना था। आयोग ने परंपरा तोड़ते हुए पहली बार इसकी लिखित परीक्षा कराने की ठानी और लंबे इंतजार व ऊहापोह के बाद परीक्षा करा लेने में सफलता भी हासिल की। इसके बाद ओएमआर शीट का मूल्यांकन भी हुआ और परीक्षा परिणाम जारी करने की तैयारी थी। इसी बीच नियुक्तियों को लेकर एक से बढ़कर एक आरोप लगने की प्रक्रिया शुरू हुई। आयोग के ही पूर्व अध्यक्ष लाल बिहारी पांडेय ने खुद दो सौ से अधिक ओएमआर शीट सादी मिलने की बात कही थी। बताते हैं कि इसका लाभ आयोग के अफसर व कर्मचारियों के रिश्तेदारों को ही मिलना था इसीलिए उन पर अंगुलियां उठीं। यह प्रकरण चर्चा में आने के बाद से आयोग में खलबली रही।
प्रतियोगी छात्रों ने इस भर्ती के संबंध में आरटीआइ भेजकर पूछा था कि इस परीक्षा में कितने लोगों ने आवेदन किया था, कितने शामिल हुए, खाली ओएमआर शीट कितनों ने छोड़ी और इस परीक्षा के दौरान शासनादेश बदलने का औचित्य क्या था। इस जनसूचना का जवाब भी युवाओं को नहीं मिला है। माना जा रहा है कि शासन जल्द ही यहां नया अध्यक्ष, सदस्य एवं नियमित सचिव की तैनाती करेगा। पिछले दिनों प्रतियोगी छात्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा रद करने का अनुरोध किया। उनका कहना था कि जिस परीक्षा को कराने वाले सभी अफसर खुद संदेह के घेरे में हैं उस परीक्षा का क्या हाल होगा। गौरतलब है कि अध्यक्ष एवं तीन सदस्यों की नियुक्ति को हाईकोर्ट रद कर चुका है और कार्यवाहक सचिव के प्रकरण की सुनवाई अब भी चल रही है। आयोग में मात्र एक सदस्य है। इससे यहां सारी गतिविधियां ठप पड़ी हैं। युवा यह नियुक्तियां नए सिरे से कराने की मांग तेज करने के लिए बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।

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