लखनऊ : चुनावी साल में परिषदीय स्कूलों के अध्यापकों को एक से
दूसरे जिले में तबादले की सुविधा देने का सुर्रा छोड़कर ढीली पड़ी सरकार
ने शिक्षकों की बेचैनी बढ़ा दी है।
अंतरजनपदीय तबादलों को लेकर शासन का रुख
अब तक साफ न होने के कारण एक तरफ जहां शिक्षकों में असमंजस की स्थिति बनी
हुई है, वहीं जुलाई में स्कूल खुलने पर पढ़ाई पर इसका असर पड़ना तय है।
शिक्षकों
को खुश करने के लिए शासन ने उन्हें एक से दूसरे जिले में तबादले का मौका
देने का सुर्रा तो छोड़ दिया है लेकिन परिषदीय स्कूलों में गर्मी की
छुट्टियां आधी बीत जाने के बाद भी शिक्षक अंतर जनपदीय तबादले का शासनादेश
जारी होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अंतर जनपदीय तबादले के लिए
बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से शासन को अप्रैल में ही प्रस्ताव भेजा जा चुका
है। यह स्थिति तब है जब बेसिक शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय को
लगभग 15 दिन पहले प्रस्ताव भेज दिया है।
सूत्रों की मानें
तो मुख्यमंत्री कार्यालय इस बात को लेकर मुतमईन होना चाहता था कि कहीं अंतर
जनपदीय तबादलों की वजह से कुछ जिलों में शिक्षकों की कमी तो नहीं हो
जाएगी।
बेसिक शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय को
बताया है कि चूंकि एक से दूसरे जिले में तबादले जिले में रिक्त पदों के
सापेक्ष किये जाएंगे, इसलिए शिक्षकों की कमी होने की गुंजायश नहीं है।
बेसिक
शिक्षा विभाग ने हिसाब लगाया था कि 20 मई को परिषदीय स्कूलों में गर्मी की
छुट्टियां होते ही शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले की प्रक्रिया शुरू कर
जाएगी और पहली जुलाई को स्कूल खुलने तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। मई का
महीना बीतने के बाद अब जून के 10 दिन भी बीत चुके हैं। ऐसे में अब अंतर
जनपदीय तबादले का शासनादेश जारी होने पर जुलाई में स्कूल खुलने पर तबादला
प्रक्रिया का जारी रहना तय है। शिक्षक एक जिले से दूसरे जिलों में जाने के
लिए जोड़तोड़ में लगे रहेंगे और बच्चों की पढ़ाई इससे प्रभावित होगी।
जुलाई में किताबें भी मिलना मुश्किल
परिषदीय
स्कूलों में बच्चों को बांटी जाने वाली पाठ्यपुस्तकों की छपाई के लिए हुए
टेंडर के विवाद के लंबा खिंच जाने की वजह से जुलाई में बच्चों को किताबें
मिल पाना भी मुश्किल है। बच्चों को बांटने को तकरीबन 14 करोड़ नग किताबों
की छपाई में वक्त लगेगा।
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