शादाब आलम व्यंग रचना से बेरोजगार टी ई टी अभ्यर्थीयों की पीड़ा बताते हुए , इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई ?

शादाब आलम व्यंग रचना से बेरोजगार टी ई टी अभ्यर्थीयों की पीड़ा बताते हुए -
इमाम चाचा :- इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई ? :( .......... 27 जुलाई आने में तो अभी भी वक़्त है ........... अरे ओ बसंती ! ....

अरे कोई तो बोलो भाई :(
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वीरू :- ... इमाम चाचा :( ............... वो :( ............. वो बात ये है कि :(
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इमाम चाचा :- .. कौन ? :O ..... वीरू :( ............. हाँ ... हाँ ... बोल !
चुप क्यूँ हो गया ? :(
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वीरू :- इमाम चाचा ! ....... ये ........... तूफ़ान से पहले का सन्नाटा है
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इमाम चाचा :- हुंह :-/ .... तूफ़ान ? :-/ ...........
कैसा तूफ़ान और काहे का तूफ़ान ? .........
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अरे तूफ़ान तो उन नौजवानों की जिंदगियों में कब का आ चुका ... जिनकी इन्साफ मिलने की उम्मीदें दम तोड़ रही हैं :-/
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जानते हो ? :(............. दुनिया में सबसे बड़ा बोझ क्या है ? :(
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एक over age होने के कगार पर पहुँच चुके बेरोजगार के हाथों में
वैलिडिटी ख़त्म होने वाली TET की डिग्री :( :( :(
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आज पूछूंगा ऊपर वाले से
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कि ये बातें सुप्रीम कोर्ट कब समझेगी ? :( :( :(


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