राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : शिक्षकों के अंतरजिला तबादले की प्रक्रिया भले ही मंगलवार से शुरू हुई है, लेकिन सोमवार तक प्रदेश भर में जिलों के अंदर हजारों शिक्षकों के तबादले कर दिए गए। न कोई औपचारिक आदेश
निकला और न अलग से आवेदन लेने का निर्देश हुआ, केवल बेसिक शिक्षा अधिकारी व बाबुओं ने मिलकर बड़े पैमाने पर फेरबदल का खेल कर दिया।
इसमें उन्हीं शिक्षकों को लाभ मिला जो अफसर एवं लिपिकों के किसी न किसी वजह से करीबी थे। आम शिक्षक जिले के अंदर तबादला आदेश जारी होने की राह देखते रह गए।
दरअसल जिले के अंदर तबादला प्रक्रिया शुरू होने के बाद पंचायत चुनाव की अधिसूचना ने रास्ता रोक दिया। इस वर्ष अंतरजिला तबादले का राग छिड़ा तो जिले के अंदर तबादला होने का प्रकरण पीछे छूट गया। काफी इंतजार के बाद अंतरजिला तबादलों का शासनादेश हुआ और अब ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो पाई है। इसी बीच कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने बाबुओं की सलाह पर जिले के अंदर तबादला करने का प्रस्ताव बनाकर परिषद मुख्यालय भेजना शुरू कर दिया। बीएसए के प्रस्तावों पर परिषद के बड़े अफसरों ने उदारतापूर्वक मुहर लगाई तो यह बात लगभग पूरे प्रदेश में फैल गई। जून में लगभग सभी जिलों से ताबड़तोड़ प्रस्ताव परिषद मुख्यालय पहुंचने लगे। उसी रफ्तार से उन पर मुहर भी लग रही थी। सुबह से शाम तक परिषद कार्यालय में तबादला चाहने वाले शिक्षकों का जमावड़ा लगा रहा।
परिषद मुख्यालय ने भले ही जिलों से भेजे प्रस्तावों पर तुरत-फुरत मुहर लगा दी हो, लेकिन जिलों में एक विकासखंड से दूसरे ब्लाक या तहसील या फिर विद्यालय में भेजे जाने के एवज में खूब ‘माल’ बटोरा गया। प्रस्ताव बनवाने से लेकर उसके अनुमोदन और फिर संबंधित स्कूल जाने का तबादला आदेश देने के दौरान कब, कहां और किससे और कैसे मिलना है यह सब संबंधित जिला मुख्यालय से ही तय होता रहा। इसी बीच शिक्षा निदेशक बेसिक ने सभी बीएसए से रिपोर्ट मांग ली कि आखिर एक साल में कितने शिक्षकों का तबादला किससे आदेश पर हुआ। साथ ही संबद्ध शिक्षकों को तत्काल हटाने का फरमान भी जारी हुआ। इसकी काट भी बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने परिषद मुख्यालय से आदेश लेकर निकाल ली। यही नहीं संबद्ध रहने वाले शिक्षकों ने इसी बीच अपना तबादला उसी विद्यालय में कराया जहां वह संबद्ध थे। इस पूरी प्रक्रिया में बीएसए, बाबू और बिचौलियों की मौज रही, वहीं आम शिक्षक अब ठगा सा महसूस कर रहा है क्योंकि वह जिले के अंदर तबादला आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था। सचिव परिषद संजय सिन्हा को इसकी भनक लगने पर प्रक्रिया अब पूरी तरह से रोक दी गई है।
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निकला और न अलग से आवेदन लेने का निर्देश हुआ, केवल बेसिक शिक्षा अधिकारी व बाबुओं ने मिलकर बड़े पैमाने पर फेरबदल का खेल कर दिया।
इसमें उन्हीं शिक्षकों को लाभ मिला जो अफसर एवं लिपिकों के किसी न किसी वजह से करीबी थे। आम शिक्षक जिले के अंदर तबादला आदेश जारी होने की राह देखते रह गए।
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दरअसल जिले के अंदर तबादला प्रक्रिया शुरू होने के बाद पंचायत चुनाव की अधिसूचना ने रास्ता रोक दिया। इस वर्ष अंतरजिला तबादले का राग छिड़ा तो जिले के अंदर तबादला होने का प्रकरण पीछे छूट गया। काफी इंतजार के बाद अंतरजिला तबादलों का शासनादेश हुआ और अब ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो पाई है। इसी बीच कई जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने बाबुओं की सलाह पर जिले के अंदर तबादला करने का प्रस्ताव बनाकर परिषद मुख्यालय भेजना शुरू कर दिया। बीएसए के प्रस्तावों पर परिषद के बड़े अफसरों ने उदारतापूर्वक मुहर लगाई तो यह बात लगभग पूरे प्रदेश में फैल गई। जून में लगभग सभी जिलों से ताबड़तोड़ प्रस्ताव परिषद मुख्यालय पहुंचने लगे। उसी रफ्तार से उन पर मुहर भी लग रही थी। सुबह से शाम तक परिषद कार्यालय में तबादला चाहने वाले शिक्षकों का जमावड़ा लगा रहा।
परिषद मुख्यालय ने भले ही जिलों से भेजे प्रस्तावों पर तुरत-फुरत मुहर लगा दी हो, लेकिन जिलों में एक विकासखंड से दूसरे ब्लाक या तहसील या फिर विद्यालय में भेजे जाने के एवज में खूब ‘माल’ बटोरा गया। प्रस्ताव बनवाने से लेकर उसके अनुमोदन और फिर संबंधित स्कूल जाने का तबादला आदेश देने के दौरान कब, कहां और किससे और कैसे मिलना है यह सब संबंधित जिला मुख्यालय से ही तय होता रहा। इसी बीच शिक्षा निदेशक बेसिक ने सभी बीएसए से रिपोर्ट मांग ली कि आखिर एक साल में कितने शिक्षकों का तबादला किससे आदेश पर हुआ। साथ ही संबद्ध शिक्षकों को तत्काल हटाने का फरमान भी जारी हुआ। इसकी काट भी बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने परिषद मुख्यालय से आदेश लेकर निकाल ली। यही नहीं संबद्ध रहने वाले शिक्षकों ने इसी बीच अपना तबादला उसी विद्यालय में कराया जहां वह संबद्ध थे। इस पूरी प्रक्रिया में बीएसए, बाबू और बिचौलियों की मौज रही, वहीं आम शिक्षक अब ठगा सा महसूस कर रहा है क्योंकि वह जिले के अंदर तबादला आदेश की प्रतीक्षा कर रहा था। सचिव परिषद संजय सिन्हा को इसकी भनक लगने पर प्रक्रिया अब पूरी तरह से रोक दी गई है।
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