बिना साक्ष्य के अपील दाखिल करने पर एक लाख हर्जाना

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के आरोप में बरी होने के फैसले के खिलाफ बिना साक्ष्य के दाखिल आपराधिक अपील खारिज कर दी है और राज्य सरकार पर एक लाख रुपये हर्जाना लगाया है।
कोर्ट ने कहा है कि जांच कर व्यर्थ के मुकदमे दाखिल करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और सरकार चाहे तो हर्जाना राशि अधिकारियों से वसूल कर सकती है। 1यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शशिकांत की खंडपीठ ने मनोज विश्वकर्मा व अन्य के खिलाफ दाखिल राज्य सरकार की आपराधिक अपील पर दिया है।
 गोरखपुर के झागा थाना क्षेत्र में श्रीमती मीरा देवी ने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न के आरोप में केस दर्ज कराया। साक्ष्य के अभाव में सत्र न्यायालय ने आरोपी को बरी कर दिया।
अब पति-पत्नी में सुलह हो गई है और दोनों एक साथ रह रहे हैं। इस तथ्य के बावजूद राज्य सरकार ने अपराध से बरी करने के आदेश के खिलाफ बिना किसी ठोस साक्ष्य के अपील दाखिल की। कोर्ट ने कहा कि अपील दाखिल करते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया। पति-पत्नी  में शिकायत नहीं तो सरकार ने क्यों अपील दाखिल कर दी। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की कि इसी तरह की कई अपीलें दाखिल की जा रही हैं। यह न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग है वरन कोर्ट पर अनावश्यक बोझ डालना भी है। बेकार के मुकदमों के चलते जरूरी मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। सरकार के अधिकारियों की लापरवाही त्वरित न्याय देने में बाधक बन रही है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए।

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