हजारों शिक्षकों को नहीं मिला स्कूल, अंतर जिला, जिले के अंदर तबादला एवं प्रमोशन प्रक्रिया से हाल-बेहाल

बेसिक शिक्षा परिषद के हजारों शिक्षक विद्यालय आवंटन की राह देख रहे हैं। करीब एक माह से इधर से उधर हुए शिक्षक घर बैठे वेतन ले रहे हैं। वहीं, जिन शिक्षकों को स्कूल मिल गए हैं वह संशोधन कराकर मनचाहे स्कूल में जाने की जुगत में हैं। जिले के अंदर हो रहे समायोजन में भी स्कूल आवंटन का पेंच फंसा है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी पूरे इत्मिनान से कार्य कर रहे हैं, लिहाजा स्कूलों में पढ़ाई लिखाई ठप है।

प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में तीन वर्ष के बाद अंतर जिला तबादले हुए हैं। इसमें 15 हजार शिक्षकों को मनचाहे जिले में जाने का मौका मिला है।
 तबादला आदेश अगस्त में जारी हुआ व 10 सितंबर तक शिक्षकों को विद्यालय आवंटित करके रिपोर्ट परिषद मुख्यालय भेजा जाना था। शिक्षक रिलीव होकर संबंधित जिलों में पहुंच गए हैं, लेकिन अभी तक सभी शिक्षकों को विद्यालय का आवंटन तक नहीं हो सका है। अधिकांश शिक्षक अब भी इंतजार कर रहे हैं। वहीं, जिन शिक्षकों को स्कूल आवंटन हो गया है, वे मनचाहे विद्यालय में जाने के लिए जोर लगाए हैं। इसी बीच जिले के अंदर समायोजन की प्रक्रिया शुरू हुई है उसमें भी विद्यालय आवंटन को लेकर मारामारी मची है। इससे तमाम विद्यालय प्रभावित हो गए हैं। 1जिलों में तीसरी प्रक्रिया प्राथमिक से उच्च प्राथमिक में सहायक अध्यापक एवं प्राथमिक में प्रधानाध्यापक के पद पर प्रमोशन की चल रही है। इसमें भी वही पेंच फंसा है। कई जिलों में प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों के विद्यालय में संशोधन भी किया गया है। अब तक यह प्रक्रिया जारी है। इससे स्कूलों में पठन-पाठन चौपट है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। यही नहीं परिषद मुख्यालय ने जिले के अंदर समायोजन एवं प्रमोशन प्रक्रिया की रिपोर्ट भी दस अक्टूबर तक मांगी थी, लेकिन किसी ने रिपोर्ट नहीं भेजी है।

तीन हजार शिक्षक अधर में अटके : अंतर जिला तबादलों के बाद जिन शिक्षकों को स्थानांतरण का लाभ नहीं मिला उनमें से तीन हजार ने परिषद मुख्यालय को प्रत्यावेदन भेजा। वह दूसरी लिस्ट जारी होने की उम्मीद संजोए हैं। वह तय नहीं कर पा रहे हैं कि इसी जिले में रहेंगे या फिर मनचाहे जिले में जाने का मौका मिलेगा। वहीं शिक्षक संगठन तबादले से बचे सभी पांच हजार शिक्षकों का स्थानांतरण करने की मांग कर रहे हैं।
15 से अर्धवार्षिक परीक्षा में खानापूरी : परिषदीय स्कूलों में 15 अक्टूबर से अर्धवार्षिक परीक्षाएं होनी हैं, लेकिन किताबों एवं ड्रेस आदि का वितरण अब तक चल रहा है। पहले किताब की समस्या थी, अब शिक्षक स्कूलों में नहीं है। ऐसे में परीक्षाओं के नाम पर सिर्फ खानापूरी ही होनी है। वहीं, टीईटी 2011 के शिक्षक व समायोजित शिक्षामित्रों की निगाह सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर टिकी है।
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