जनसत्ता ऑनलाइन सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने शुक्रवार को कहा है कि 500 और 1000 के नोट बैन करने के बाद दो दिनों के बैंकिंग कारोबार में 53000 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।
मंगलवार की रात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 500 और 1000 के नोट के बैन करने की घोषणा के बाद गुरुवार से लोग इन नोटों के बैंकों में जमा कर रहे हैं। यह प्रक्रिया 30 दिसंबर तक चलेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था का करीब 86 फीसदी मुद्रा 500 और 1000 के करेंसी नोटों में 14 लाख करोड़ रुपये मूल्य के बराबर है। एसबीआई सूत्रों के मुताबिक इनमें से अभी तक सिर्फ 3.7 फीसदी मुद्रा ही बैंकों में वापस आ सकी है। हालांकि, आर्थिक विशेषज्ञों को शक है कि नोटों को जमा करने की प्रक्रिया में अपनाई जा रही सख्त स्क्रूटनी की वजह से काले कुबेर नोटों को जला सकते हैं। ढाई लाख से अधिक राशि जमा करने पर आयकर विभाग उनके आय के विवरणों की लेखा-जोखा जांच सकता है। गलत विवरण देने पर भारी टैक्स चुकाना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि इससे पहले जनवरी 1946 में और फिर 1978 में 1,000 रुपए और इससे बड़ी राशि के नोटों को वापस लिया जा चुका है। रिजर्व बैंक ने अब तक सबसे बड़ा नोट 1938 और फिर 1954 में 10,000 रुपए का छापा था लेकिन इन नोटों को पहले जनवरी 1946 में और फिर जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया। रिजर्व बैंक के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। जनवरी 1946 से पहले 1,000 और 10,000 रुपए के बैंक नोट प्रचलन में थे। इसके बाद 1954 में 1,000 रुपए, 5,000 रुपए और 10,000 रुपए के बैंक नोट जारी किये गए। इन सभी को जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया।
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गौरतलब है कि इससे पहले जनवरी 1946 में और फिर 1978 में 1,000 रुपए और इससे बड़ी राशि के नोटों को वापस लिया जा चुका है। रिजर्व बैंक ने अब तक सबसे बड़ा नोट 1938 और फिर 1954 में 10,000 रुपए का छापा था लेकिन इन नोटों को पहले जनवरी 1946 में और फिर जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया। रिजर्व बैंक के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। जनवरी 1946 से पहले 1,000 और 10,000 रुपए के बैंक नोट प्रचलन में थे। इसके बाद 1954 में 1,000 रुपए, 5,000 रुपए और 10,000 रुपए के बैंक नोट जारी किये गए। इन सभी को जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया।
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