टेट मेरिट से नियुक्त साथियों
सादर नमन , जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की डेट निकट आती है ,कुछ लोग एकता की दुहाई देने लगते हैं।
एकता की अवधारणा अपने आप में बड़ी ही आदर्शवादी लगती है। टेट मेरिट से नियुक्त हर शिक्षक का बौद्धिक स्तर उच्चकोटि का है। मैं अपने शिक्षक साथियों से तार्किक चिंतन करने का निवेदन करता हूँ।
हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के हमारे केस के इतिहास को जानने वाले लोग इस बात से अवगत हैं कि जब कमान एक व्यक्ति के हाथ में थी तो थर्ड पार्टी और इम्पलीडमेंट के नाम पर कितने दिनों तक वह तथाकथित मसीहा लोगों को बेवकूफ बनाते रहे। फिर सिंगल बेंच के आदेशानुसार नया विज्ञापन आया तो अखिलेश त्रिपाठी की लीडिंग रिट जिस पर खरे साहब बहस करते थे वह लीडिंग रिट नहीं होकर आशीष मिश्रा नामक व्यक्ति की रिट लीडिंग हो गयी , आशीष मिश्र के सिंगल बेंच के एक आर्डर में खरे साहब नए विज्ञापन में फीस कम करवाने की मांग कर रहे थे ,ऐसा आदेश में वर्णित था।
क्या खरे साहब नए विज्ञापन पर भर्ती करवाना चाहते थे?
व्यक्ति विशेष की मोनोपॉली के कारण सिंगल बेंच में केस हारता हुआ महसूस करके इसके बाद इलाहाबाद में दूसरे गुट का उदय हुआ।
डबल बेंच में नविन श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक तीसरा गुट भी बना और नए विज्ञापन पर स्टे आया।
जब अपना केस सुप्रीम कोर्ट केस गया तो अनिल बागपत और पश्चिम की टीम जो हाई कोर्ट में पाठक के पीछे थे अपनी अलग टीम बनाकर पी पी राव को उतारे।पाठक जी की अलग टीम थी। अवनीश यादव नवीन श्रीवास्तव की अलग टीम थी।
अब आप स्वयं तार्किक चिंतन करें टेट संघर्ष मोर्चा अनेकता में एकता का परिचायक है। क्या अलग अलग गुट होते हुए भी हम हाई कोर्ट में विजेता नही बने ?एक नेतृत्वकर्ता वाली कपिलदेवयादव की एकेडेमिक टीम क्या हारी नहीं?
कोर्ट की लड़ाई बौद्धिक लड़ाई है , यहाँ किसी एक टीम पर भरोसा करना सर्वथा घातक है। एक टीम से गलती हो सकती है पर जब ज्यादा टीमें होंगी तो उनमे अच्छा करने और केस जीतने की प्रतिस्पर्धा होगी।
धर्मेंद्र श्रीवास्तव भाई उन्नाव की एक पुरानी पोस्ट स्क्रीन शॉट अटैच कर रहा हूँ।
मित्रों आप किसी भी टीम को सपोर्ट अवश्य करें। हमारी टीम वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण , अधिवक्ता और सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी सहित एक और दमदार वरिष्ठ अधिवक्ता को कोर्ट में उतारेगी।
22 फरवरी के लिए कुल 3 वकीलों का हमारा बजट 5 लाख और ऑफिस खर्च 35 हजार अर्थात 5 लाख 35 हजार है।
याद रखें सुप्रीम कोर्ट के आगे कोई कोर्ट नही , केवल रिव्यू अपील होती है और कोई जज अपने फैसले कोई रिव्यू अपील में पलटता है।
आपका साथी
पूर्णेश शुक्ल महाकाल
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
सादर नमन , जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की डेट निकट आती है ,कुछ लोग एकता की दुहाई देने लगते हैं।
एकता की अवधारणा अपने आप में बड़ी ही आदर्शवादी लगती है। टेट मेरिट से नियुक्त हर शिक्षक का बौद्धिक स्तर उच्चकोटि का है। मैं अपने शिक्षक साथियों से तार्किक चिंतन करने का निवेदन करता हूँ।
हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के हमारे केस के इतिहास को जानने वाले लोग इस बात से अवगत हैं कि जब कमान एक व्यक्ति के हाथ में थी तो थर्ड पार्टी और इम्पलीडमेंट के नाम पर कितने दिनों तक वह तथाकथित मसीहा लोगों को बेवकूफ बनाते रहे। फिर सिंगल बेंच के आदेशानुसार नया विज्ञापन आया तो अखिलेश त्रिपाठी की लीडिंग रिट जिस पर खरे साहब बहस करते थे वह लीडिंग रिट नहीं होकर आशीष मिश्रा नामक व्यक्ति की रिट लीडिंग हो गयी , आशीष मिश्र के सिंगल बेंच के एक आर्डर में खरे साहब नए विज्ञापन में फीस कम करवाने की मांग कर रहे थे ,ऐसा आदेश में वर्णित था।
क्या खरे साहब नए विज्ञापन पर भर्ती करवाना चाहते थे?
व्यक्ति विशेष की मोनोपॉली के कारण सिंगल बेंच में केस हारता हुआ महसूस करके इसके बाद इलाहाबाद में दूसरे गुट का उदय हुआ।
डबल बेंच में नविन श्रीवास्तव के नेतृत्व में एक तीसरा गुट भी बना और नए विज्ञापन पर स्टे आया।
जब अपना केस सुप्रीम कोर्ट केस गया तो अनिल बागपत और पश्चिम की टीम जो हाई कोर्ट में पाठक के पीछे थे अपनी अलग टीम बनाकर पी पी राव को उतारे।पाठक जी की अलग टीम थी। अवनीश यादव नवीन श्रीवास्तव की अलग टीम थी।
अब आप स्वयं तार्किक चिंतन करें टेट संघर्ष मोर्चा अनेकता में एकता का परिचायक है। क्या अलग अलग गुट होते हुए भी हम हाई कोर्ट में विजेता नही बने ?एक नेतृत्वकर्ता वाली कपिलदेवयादव की एकेडेमिक टीम क्या हारी नहीं?
कोर्ट की लड़ाई बौद्धिक लड़ाई है , यहाँ किसी एक टीम पर भरोसा करना सर्वथा घातक है। एक टीम से गलती हो सकती है पर जब ज्यादा टीमें होंगी तो उनमे अच्छा करने और केस जीतने की प्रतिस्पर्धा होगी।
धर्मेंद्र श्रीवास्तव भाई उन्नाव की एक पुरानी पोस्ट स्क्रीन शॉट अटैच कर रहा हूँ।
मित्रों आप किसी भी टीम को सपोर्ट अवश्य करें। हमारी टीम वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र शरण , अधिवक्ता और सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी सहित एक और दमदार वरिष्ठ अधिवक्ता को कोर्ट में उतारेगी।
22 फरवरी के लिए कुल 3 वकीलों का हमारा बजट 5 लाख और ऑफिस खर्च 35 हजार अर्थात 5 लाख 35 हजार है।
याद रखें सुप्रीम कोर्ट के आगे कोई कोर्ट नही , केवल रिव्यू अपील होती है और कोई जज अपने फैसले कोई रिव्यू अपील में पलटता है।
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पूर्णेश शुक्ल महाकाल
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