चौक स्थित दिगम्बर जैन इण्टर कालेज में पिछले दिनों हुई छह अवैध नियुक्तियों का वेतन मुख्य कोषाधिकारी कलेक्ट्रेट कोषागार ने रोक दी हैं।
अब कार्रवाई हो सकती है बल्कि उनसे पैसे की भी वसूली की जा सकती है। चौक स्थित दिगम्बर जैन इण्टर कालेज में पिछले दिनों डीआईओएस के छह चहेतों की नौकरियां अब फंस गयी हैं। आरोप है कि इन नियुक्तियों में उमेश त्रिपाठी ने लाखों रुपये की उगाही की थी, जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रिश्तेदारों समेत अन्य चहेतों को नियुक्ति पत्र थमा दिया गया था। लाखों रुपये वसूली की भनक पाते ही प्रबन्धक नृपेन्द्र जैन ने संयुक्त शिक्षा निदेशक दीपचन्द के पत्र का हवाला देते हुए सभी छहों नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसी के बाद अचानक उमेश त्रिपाठी ने कालेज को एकल संचालन करते हुए डीडीओ के पावर को भी दरकिनार करते हुए सभी छहों नियुक्तियों का वेतन उनके बैंक खातों में भेज दिया था। प्रतिष्ठा की लड़ाई मान रहे डीआईओएस ने प्रबन्धक के खिलाफ जांच बैठा दी थी, लेकिन इस मामले में भी वह अपने पूर्व के निर्णय/आदेश में बुरी तरह फंस गये हैं। बहरहाल एक बार फर्जी तरीके से छहों अवैध शिक्षकों का वेतन निकालने के मामले में फंस चुके उमेश त्रिपाठी को मुख्य कोषाधिकारी ने पत्र संख्या 2285 में साफ शब्दों में लिखा है कि स्कूल के प्रबन्धक नृपेन्द्र जैन की शिकायत के आधार पर नवनियुक्त शिक्षक बलवन्त सिंह, रवि कुमार, अरुणिमा पाण्डेय, शशिकला सिंह, रिंकी सिंह व रश्मि मिश्रा की नियुक्ति निरस्त की जाती है। पत्र में यह निर्देश भी दिये हैं कि वह दोबारा अवैध नियुक्तियों का वेतन बिल न भेजें। बहरहाल इस पत्र के आने के बाद से विभाग में हड़कम्प मच गया है। बताया जाता है कि शनिवार को भी कार्यालय में बैठे बाबू इस मामले को निपटाने की जुगत में लगे हुए थे।
द गिरीश तिवारीलखनऊ।
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अब कार्रवाई हो सकती है बल्कि उनसे पैसे की भी वसूली की जा सकती है। चौक स्थित दिगम्बर जैन इण्टर कालेज में पिछले दिनों डीआईओएस के छह चहेतों की नौकरियां अब फंस गयी हैं। आरोप है कि इन नियुक्तियों में उमेश त्रिपाठी ने लाखों रुपये की उगाही की थी, जिसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों के रिश्तेदारों समेत अन्य चहेतों को नियुक्ति पत्र थमा दिया गया था। लाखों रुपये वसूली की भनक पाते ही प्रबन्धक नृपेन्द्र जैन ने संयुक्त शिक्षा निदेशक दीपचन्द के पत्र का हवाला देते हुए सभी छहों नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था। इसी के बाद अचानक उमेश त्रिपाठी ने कालेज को एकल संचालन करते हुए डीडीओ के पावर को भी दरकिनार करते हुए सभी छहों नियुक्तियों का वेतन उनके बैंक खातों में भेज दिया था। प्रतिष्ठा की लड़ाई मान रहे डीआईओएस ने प्रबन्धक के खिलाफ जांच बैठा दी थी, लेकिन इस मामले में भी वह अपने पूर्व के निर्णय/आदेश में बुरी तरह फंस गये हैं। बहरहाल एक बार फर्जी तरीके से छहों अवैध शिक्षकों का वेतन निकालने के मामले में फंस चुके उमेश त्रिपाठी को मुख्य कोषाधिकारी ने पत्र संख्या 2285 में साफ शब्दों में लिखा है कि स्कूल के प्रबन्धक नृपेन्द्र जैन की शिकायत के आधार पर नवनियुक्त शिक्षक बलवन्त सिंह, रवि कुमार, अरुणिमा पाण्डेय, शशिकला सिंह, रिंकी सिंह व रश्मि मिश्रा की नियुक्ति निरस्त की जाती है। पत्र में यह निर्देश भी दिये हैं कि वह दोबारा अवैध नियुक्तियों का वेतन बिल न भेजें। बहरहाल इस पत्र के आने के बाद से विभाग में हड़कम्प मच गया है। बताया जाता है कि शनिवार को भी कार्यालय में बैठे बाबू इस मामले को निपटाने की जुगत में लगे हुए थे।
द गिरीश तिवारीलखनऊ।
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