उत्तर प्रदेश में जल्द ही सत्ता परिवर्तन , यह निश्चित रूप से आगामी सुनवाई पर आपके हित में : मयंक तिवारी

नमस्कार दोस्तों, 7 दिसम्बर 2015 को हुए लगभग 1100 याचियों को याची राहत के रूप एडहॉक नियुक्ति के आदेश के बाद से चले "याची बनाओ प्रतियोगिता" के बाद 24फरबरी से कोर्ट की पैरवी इस दिशा में प्रारम्भ हुई।
हमने 24फरबरी, 26अप्रैल, 9मई, 27जुलाई, और 24अगस्त तक एकल अपनी टीम के माध्यम से पैरवी की। यहाँ तक हमारे सीनियर एडवोकेट का पैनल 7दिन पहले ही प्रदेश को पता होता था, 3दिन पूर्व ही ब्रीफिंग आदि सभी कार्य पूर्ण भी कर लिए जाते थे।

जिसका परिणाम भी हमें मिला, 24 फरबरी के आदेश में हमारे सीनियर के वेणुगोपाल जी का प्रमुख योगदान था, 26 अप्रैल को एल नागेश्वर रॉव जी जैसे सीनियर एडवोकेट की कोर्ट में उपस्तिथि, 9मई को एक बार फिर वेणुगोपाल जी द्वारा टेट की वैद्यता आदि को अगल से कोर्ट में प्रस्तुत किया, 27जुलाई को जब न्यायधीश रोहिंटम फली नरीमन जी के बैंच में होने के कारण सुनवाई टली तो हमारी सीनियर वी मोहना जी के प्रयास द्वारा एक माह से भी कम की तारीख प्राप्त कर ली। 24फरबरी को भी वेणुगोपाल सर ने पुनः शानदार तरीके से अपना पक्ष रखा और 7दिसम्बर, 24फरबरी के आदेश को कॉउंटिनु कराया और उस दिन जब दीपक मिश्रा जी IA नोट कर रहे थे तो उन्होंने हमारी IA431/2016 को नोट भी करा दिया था। दुर्भाग्य से उस दिन आप सभी के मध्य उपस्तिथि आपके ही पैरोकारों के जूनियर वकील ने मामला को घुमा दिया अन्यथा उस दिन वेणुगोपाल सर के प्रयास से स्पस्ट अंतरिम आदेश होने ही वाला था। इसके अलग हाइकोर्ट में भी हमारे द्वारा प्रयास किये गए है। वहां भी सीनियर अशोक खरे जी और सीनियर अनिल भूषण जी अरविन्द श्रीवास्तव जी द्वारा तीन-तीन केस में नोटिस हो चुके है और सरकार के काउंटर भी वहां आ चुके है।

इसके बाद प्रदेश चिल्लाया सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई हेतु एक हो जाओ, सब साथ होकर लड़ो तब हम संयुक्त हुए। 5अक्टूबर, 17नवम्बर और इस बार 22फरबरी को भी किन्तु बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि जब से संयुक्त हुए है आप सभी अचयनित की पैरवी से मैं व्यतिगत रूप से संतुष्ट नही हूँ, अब सब अंतिम दिन तक भी फाइनल नही हो पा रहा है।

5अक्टूबर की डेट लगने वाली थी, उससे पहले लखनऊ में मीटिंग हुई सब कुछ तय हो गया फिर भी जब सब दिल्ली पहुँचे तो अपनी-अपनी शर्तें और एक दिन पूर्व तक एडवोकेट फाइनल नही। अंत में सीनियर सी एस वैद्यनाथन जी को (WP167/2015 या WP244/2016 पर) के वेणुगोपाल जी, हीरेन रावल जी, जयंत भूषण जी, आदि को याची लाभ हेतु फाइनल किया गया। यहाँ हमारी टीम ने सबसे पहले अपना हिस्सा जमा किया, बाकि का बाद में एक चेक तो यहीं से फेमस हुआ है।

सीनियर वैद्यनाथन जी की ब्रीफिंग के लिए जब मैं, अखिलेश पाण्डेय जी, आशीष सिंह जी पहुँचे वहाँ हमारी रिट तो साथ में गईं हुईं थी किन्तु एक IA342/2016 Ram Kumar Patel & Ors पहले से पहुँची हुई थी। उसी के आधार पर ब्रीफिंग के दौरान वैद्यनाथन सर ने बोला हम तो वो है जो 90/105 को पूरा करते है। इस पर सबसे पहले मैंने और अखिलेश पांडेय जी ने ऑब्जेक्शन किया और उनको केस के विषय में प्रारम्भ से लेकर अंत तक बताया। एक बार जब ब्रीफिंग करके हम बाहर निकल आये लेकिन वहां जब मैं संतुष्ट नही हुआ मैं पुनः अंदर गया और सर को बोला कि सर हम उन सभी अभ्यर्थियों के लिए रिलीफ चाहते है जो टी ई टी पास है मतलब 83/90 अंक प्राप्त किये हुए है। कृपया इसका ध्यान रखिएगा। इसके बाद हम वापस आये तो सबको बताया गया कि ब्रीफ तो हमें पूरा कराया है किंतु वैद्यनाथन को IA342/2016 पर क्यों खड़ा किया जा रहा है तब भी रात भर विवाद रहा..????

वहीँ दूसरी तरफ के वेणुगोपाल जी की ब्रीफिंग में अमित कपिल जी, अमृत सागर जी, शैलेंद्र कुमार जी, गये हुए थे। उन्होंने वापस आकर बताया कि वास्तव में केस को किस प्रकार से ब्रीफ किया जाता है आज देखा हमने। हर मुद्दे पर उसके बॉटम तक जाकर समझना-समझाना।

इसके बाद 17नवम्बर को पुनः सब संयुक्त हुए तब भी अंत तक वहीँ आपमें घमासान और बिलकुल अंत में वकील फाइनल। इस बार फिर राम कुमार पटेल जी से कहा गया कि सीनियर एडवोकेट ध्रुव मेहता जी को WP244/2016 पर खड़ा कीजियेगा उस दिन भी मेहता जी को IA पर ही खड़ा किया गया। एक दिन पूर्व ही मेहता जी की ब्रीफिंग चेम्बर में ही हुई थी जहाँ मैं, अजय ठाकुर, अमृत सागर जी बस पहुँच ही पाये थे और कुछ समय में ही ब्रीफिंग पूरी। वो तो भला हो कि हम अपने सीनियर के वेणुगोपाल जी को पहले से सभी मुद्दों पर ब्रीफ करते है और वो कोर्ट रूम में समय पर पहुँचकर अंत तक शानदार आरगु भी करते है यही कारण भी था कि 17नवम्बर को पहले कोर्ट ने तारीख दी और बाद में आदेश में बहुत कुछ जोड़ा।

अब तक संयुक्त में जो हुआ वो क्षम्य भी था किंतु इस बार फाइनल पर लगी डेट में जो हुआ वह माफ़ी योग्य नही है। पूरा प्रदेश लगातार चिल्लाता है कि अचयनित अपनी लड़ाई खुद लड़े। 22की फाइनल डेट लगी हुई थी और 21की शाम 5बजे तक सच में तथाकथित अचयनित ईमानदार नेतागण सुप्रीम कोर्ट के मीडिया ग्राउंड में ही अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। उस सबको देखकर अंत में मैंने बोला कि इस तरह मैं संयुक्त में नही जाऊंगा, कल कोर्ट में सब अपने अपने सीनियर्स के साथ। फिर लास्ट में तय हुआ कि सीनियर ध्रुव मेहता जी को संयुक्त रूप से शिक्षामित्रों के विरुद्ध SLP पर खड़ा कर लिया जाये। शेष अपने-अपने एडवोकेट के साथ जाएँ। इस शर्त पर हमने अपनी सहमति दी। जहाँ मैं, मान बहादुर जी, अमृत सागर जी, मयंक चतुर्वेदी जी, राम कुमार पटेल जी और रवि सक्सेना जी, आशीष सिंह जी, दुर्गेश प्रताप, हिमांशु राणा, आदि गये थे। इस बार फिर मेहता जी के पास पहले से वही IA थी जिस पर प्रदेश में हो हल्ला-मचा हुआ है। इस विषय में वहां बात हुई तो हम लोगों से कहा गया आप अपने अनुसार ब्रीफ कर लीजियेगा। जब हम वहां अंदर ब्रीफ करा रहे थे तब ब्रीफिंग में हमारे द्वारा सब बताया गया लेकिन मेरा ऑब्जेक्शन सिर्फ इस बात पर था कि फाइनल पर लगे केस में IA पर क्यों भेजी गयी। जबकि शिक्षामित्रों की SLP (State Of Up & Ors Vrs Anand Kumar Yadav & Ors) पर खड़ा करना था। हमने ब्रीफिंग में तो सब कुछ बताया गया, अशोक भूषण जी के आदेश से शिक्षामित्रों के विरुद्ध आदेश तक, 12वें संशोधन से 16वें, 19वें तक किन्तु कोर्ट में एडवोकेट सिर्फ वही बोल सकता है जिस पर ऑन रिकॉर्ड खड़ा हुआ होता है..?????? आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है..??? यह अवश्य तय करना होगा। यदि राम कुमार पटेल जी को लीगल कम जानकारी है तो अपने एडवोकेट से जरूर पूछें कि ऑन रिकॉर्ड क्या होना चाहिए था तीनों बार संयुक्त में आपके द्वारा खड़े किये गए सीनियर्स के लिए..????? यदि तीनों बार IA ही ऑन रिकॉर्ड रखनी थी तो भाई हमें संयुक्त ना कराया होता...?????

यदि आप व्यतिगत रूप से किसी को कहीं भी खड़ा करते है आपसे कोई कुछ भी बोलने का अधिकार हमें नही है लेकिन यदि यह जानबूझकर किया गया है तो हमारी टीम द्वारा आपको 5अक्टूबर को सीनियर के लिए सबसे पहले 1,20,000, 17नवम्बर को 96,000 दिया गया और इस बार का संयुक्त 2,50,000। यह हमारे और प्रदेश के साथ धोखा है।

सुनवाई के बाद इस बात को स्पस्ट रूप से मेरे द्वारा सभी के सामने आपके एडवोकेट समक्ष भी और सी के दफ्तरी पार्क में भी और जब यहाँ से फुर्सक्त होकर जब मैं अपने चैंबर में गया तो हमारे सर ने बताया कि तुम्हारे कहने पर आज हमने सुनवाई पूर्व मेहता जी से मुलाकात की और केस के विषय में शार्ट में कुछ बताना चाहा तो मेहता जी का पहला कमेंट यह था कि "फाइनल में मुझे IA पर क्यों खड़ा किया गया है यह समझ नही आया।" राम भाई यह लाइन निश्चिंत रूप से चिंता जनक है जिसका जबाब देना होगा।

दोस्तों, जब से संयुक्त हुए है तब से अपने एडवोकेट्स पर खर्च के अतिरिक्त सबसे पहले हम अपना हिस्सा देते आएं है। ज़मीन पर भी हमने हर स्थान पर अपना योगदान दिया है यहाँ तक कि हमारे द्वारा जितेंद्र सिंह सेंगर को भी अलग से 8,50,000 दिया गया है। जैसा आपसे तय था उसके अनुसार आप भी हमें तत्काल यह पैसा वापस कर दीजिए।

दोस्तों, हमारी टीम द्वारा याची बनाते वक़्त आपसे जो सहयोग लिया था उससे आज तक सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में भी लड़ा गया तथा आंदोलनों आदि में भी बिना पैसा वसूले वहां भी पूरी व्यवस्था की। जब आपसे इस बार सहयोग माँगा तो पता चल रहा है कि कई स्थान पर लिया बहुत ज्यादा लिया जाता है और फिर हम तक पहुँचाया नही जाता है, पहले का लाखों दावे बैठे है वो अलग से। आप सभी से निवेदन है कि इस दिशा में आपका सहयोग ही हमें मजबूत करेगा और हम तभी आपके लिए वैसी ही पैरवी कर पाएंगे जैसी हम एकल टीम के रूप में करते आये हैं।

दोस्तों, इस बार फाइनल सुनवाई हेतु 3फरबरी को ही हमने सीनियर मोस्ट एडवोकेट के पाराशरण जी को हायर कर लिया गया था, अपनी याचिका, और टोकनमनी भी पहुंचा दी गयी थी, किन्तु पिछले शुक्रवार को जब उनका दो चर्चों का मामला इस सप्ताह भी रेगुलर हो गया तो वहां से हमें उपलब्ध ना हो पाने की सूचना प्राप्त हुई। दोस्तों, यहाँ एक बात फिर विचार करने की है कि यदि हमारे द्वारा हायर किये गए एडवोकेट ने हमें मना किया तो किसी अन्य का केस नही लिया तो फिर सीनियर नेफड़े जी के साथ ऐसा क्यों नही हुआ.? किन्तु उस टीम का अनिल बी दीवान के लिए इस बार सहयोगात्मक रवैया था दुर्भाग्य से दीवान जी और सुन्दरम जी का भी व्यस्त होने चिंता कर दे जाने वाला रहा।

दोस्तों, इस बार सुनवाई फाइनल पर लगी हुई थी इसलिए हम आप सभी के भविष्य हेतु व्यतिगत रूप से अमित पवन सर से मिलने उनके घर उनके ऑफिस भी गये और वहां भी पूरी तरह चर्चा की और अन्य सीनियर्स पर भी विचार किया।

अंत में एक बात मैं बड़े दावे के साथ कह सकता हूँ आप सभी की तरफ से हर सुनवाई पर हमारी तरफ से कोर्ट रूम में रहने वाले सीनियर एडवोकेट के वेणुगोपाल जी ही पूरे केस पर अच्छी तरह से तैयार थे जिसकी पुष्टि उनकी ब्रीफिंग में रहने वाले विनोद सोनी जी, डॉ नीलेश शुक्ला जी, मंगल सिंह जी और शैलेंद्र सिंह जी कर सकते है।

दोस्तों ऊपर लिखी गयी किसी बात में किंचित मात्र भी झूठ नही है और आज यह सब इसलिए लिखा गया है ताकि आपके भविष्य के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ ना होने पाए। यहाँ जो प्रश्न है उनका जबाब आप अवश्य तलाशिये। शेष उत्तर प्रदेश में जल्द ही सत्ता परिवर्तन होने जा रहा है और यह निश्चित रूप से आगामी सुनवाई पर आपके हित में होगा। इस बार सुप्रीम कोर्ट में केस के पूरा दिन लगने के बाद भी सुनवाई का ना होना निराशाजनक अवश्य था किंतु कुछ भी आपके विरुद्ध नही। शेष कोर्ट में जल्द सुनवाई सुनिश्चित करने हेतु हमारे द्वारा अर्जेंसी एप्लीकेसन फाइल की जायेगी। यदि आपका सहयोग और विश्वास इसी प्रकार रहा तो सभी योग्य को उसका अधिकार और अयोग्य को उसका स्थान दिला दिया जायेगा।धन्यबाद

आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
Image may contain: 2 people, people sitting and indoor
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines