मेरे निम्न बिन्दुओं पर समस्त चयनित - अचयनित और कोई भी टीम ध्यान दें : हिमांशु राणा

सुप्रभात साथियों , न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न उठना लाजमी है वो भी सुनवाई करने से इस तरह से इनकार कर देना वाकई आम पीड़ित के लिए एक चिंता का विषय है |
हर सुनवाई पर प्रदेश के बेरोजगारों का करोडो रुपया पैरवी में खर्च हो जाना लेकिन फिर भी अगली तारीख मिलना के सिलसिले से लगातार निराशा और हताशा का माहौल बना हुआ है लेकिन फिर भी अभी कुछ जल्द से जल्द हो जाए के लिए प्रयासरत हैं और अधिवक्ताओं से चर्चा भी चल रही है |
बहरहाल हमारे प्रतिनिधियों , अचयनितों ने जो हमें कमान सौपी थी कि आप सहयोग एकत्रित करके लड़ाई को मजबूती से अचयनितों का मार्गदर्शन करते हुए आगे बढाएं तो उसी सन्दर्भ में आये गए का पूरा ब्यौरा अचयनितों को एक साथ देकर कल आशीष सिंह , महावीर शर्मा , मनोज पाठक आदि के संरक्षण में दे दिया है और साथ ही पश्चिम से जो भी सहयोग मिला था वो भी समस्त प्रतिनिधि जो मौजूद थे का ब्यौरा देकर हैण्ड ओवर कर दिया है |
आपके द्वारा प्रतिनिधियों या हमें दिया गया सहयोग सुरक्षित है |
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एक चर्चा करना यहाँ नितांत आवश्यक है - वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता जी ?
साथियों दो दिन की मशक्कत के पश्चात जब कोई भी अधिवक्ता आपसी सामंजस्य या अनुपलब्धता के कारण नहीं हो पा रहे थे तो राम कुमार पटेल जी ने ध्रुव मेहता जी का आप्शन रखा जो कि निःसंदेह विषम परिस्थितियों में एक अच्छा प्रयास था |
मैं डीपी ब्रीफिंग में नहीं जाना चाहना थे क्यूंकि तदर्थ आधार पर चयनित होने का आरोप कुछ मंद-बुद्धि या यूँ कहें कि केस से अनभिग्य लोग लगा रहे थे तो मैंने ये ही फैसला लिया परन्तु कहते हैं कि कुछ मूर्खो की वजह से अच्छे लोगों का अहित न हो तो हम सचिन सिंह , महावीर शर्मा आदि के कहने पर आशीष सिंह जी के साथ गए जिसमे जाने से पहले ये तय हुआ कि ब्रीफिंग शिक्षा मित्रों के मुद्दे पर होगी जिस पर हमारी टीम और मयंक टीम की सहमति थी | फिर जब हम ध्रुव मेहता जी के चैम्बर में पहुंचे तो वहां IA NO. 342 पर बहस करने के लिए निर्देशित किया गया है , ऐसा अधिवक्ता श्री सुशील तोमर जी ने कहा तो हमने कहा सर नहीं हमें शिक्षा मित्रों के मुद्दे पर लाये हैं ब्रीफ करने के लिए तो वे बोले कि मेरे पास तो शिक्षा मित्र मुद्दे की फाइल ही नहीं है , मैंने वहीं से तत्काल निकलने का फैसला लिया और हम शिक्षा मित्रों के अलावा किसी भी मुद्दे पर बहस न करने को कहकर वहां से आनंद सर के यहाँ के लिए चल दिए |
मैंने सीधे रूप से संयुक्त मोर्चे के द्वारा शिक्षा मित्रों पर अधिवक्ता न खड़ा होने की दिशा में वरिष्ठ अधिवक्ता की फीस का वहन करने से मन कर दिया था और ये ही बात कल आशीष भाई ने कही है , अतः संयुक्त मोर्चे के समस्त अग्रणी एक बार इस चीज़ को अवश्य जान लें और आशीष सिंह से बात कर लें |
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कल सीके दफ्तरी पार्क में हुई मीटिंग में जो भी निर्णय टीम के द्वारा लिए गए हो हमें मान्य हैं क्यूंकि हम समस्त हिसाब-किताब दे आये हैं इसके अलावा जिस किसी को भी हमारी जरूरत जब जहाँ पड़ेगी हम साथ हैं लेकिन एक बात अवश्य कहूँगा , मेरे निम्न बिन्दुओं पर समस्त चयनित - अचयनित और कोई भी टीम ध्यान दें :-
1) जिलों से आ रहा सहयोग क्या टीम तक पूरी तरह से पहुँच पा रहा है ?
2) क्या हजारों की संख्या में दिल्ली पहुंचना आवश्यक है ?
3) क्या लड़ाई लड़ने का तरीका ये ही है ?
4) जब आपको किसी के ऊपर विशवास ही न हो तो क्यूँ आप स्वयं से स्वयं के लिए आगे नहीं आते हैं और यहाँ सोशल मीडिया पर ज्ञान बघारते हैं ?
ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं , खैर विस्तार से बाद में |
धन्यवाद
हर हर महादेव
आपका _____________ हिमांशु राणा
नोट :- सेंगर साहब के विषय में एक दिन लिखना है क्यूंकि तारीख से पहले जो भ्रामक खबरें फैलाई गई हैं उनके द्वारा उनका जवाब देना बहुत ही जरूरी है , उसके लिए थोडा इन्तजार करें मेरी पोस्ट का नाकि उनके जीओ का |
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