शिक्षामित्र बोले, हमारे बारे में भी सोचे सरकार

लखनऊ। “मानदेय केवल 35 सौ रुपए, वह भी पिछले दो महीने से मिला नहीं है। लेकिन काम की जिम्मेदारी उन शिक्षकों से ज्यादा निभानी पड़ती है जो 35 हजार या इससे ज्यादा वेतन पा रहे हैं।
अब बिना वेतन के निर्वाचन की ड्यूटी भी निभानी पड़ रही है।” शिक्षामित्र शिव किशोर द्विवेदी ने कहा।
पिछले दो महीनों से मानदेय न मिल पाने के बावजूद चुनाव में अपनी भूमिका निभाने वाले शिक्षामित्रों ने अपनी मन की बात गाँव कनेक्शन से साझा की। उनका कहना है कि जब हम सरकार का साथ इतने महत्वपूर्ण समय में दे रहे हैं तो सरकार को भी हमारे विषय में सोचना चाहिए।

प्राथमिक विद्यालय माधवपुर, काकोरी में पढ़ाने वाले शिक्षामित्र शिव किशोर द्विवेदी कहते हैं, “पिछले तीन महीने से बीएलओ की ड्यूटी में लगा हुआ हूं। अब मुझे चुनाव की ड्यूटी करनी है। पढ़ाने की जिम्मेदारी भी निभा रहा हूं, लेकिन वेतन के नाम पर केवल 3500 रुपए मानदेय मिलता है, जो पिछले दो महीने से मिला नहीं है।”

घर का खर्च यहां-वहां से उधार लेकर मैनेज करना पड़ता है, क्योंकि परिवार बड़ा है और मानदेय बहुत कम, वह भी पिछले दो महीनों से मिला नहीं हैं। जब हम लोगों को चुनाव जैसे महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी सौंपी गयी है तो सरकार को हमारे विषय में सोचना चाहिये।

रूबी चौरसिया, शिक्षामित्र

वो आगे कहते हैं, “बड़ी मुश्किल से घर चल पा रहा है। जब सरकार को हम लोगों की जरूरत इतने महत्वपूर्ण समय में होती है तो हम लोगों को भी अन्य शिक्षकों की तरह ही समझा जाना चाहिये। हम भी उसी तरह से अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं जैसे अन्य शिक्षक तो फिर हम लोगों में यह भेदभाव क्यों है।” प्राथमिक विद्यालय गोहरामऊ में पढ़ा रहीं शिक्षामित्र रूबी चौरसिया कहती हैं, “घर का खर्च यहां-वहां से उधार लेकर मैनेज करना पड़ता है, क्योंकि परिवार बड़ा है और मानदेय बहुत कम, वह भी पिछले दो महीनों से मिला नहीं हैं।

जब हम लोगों को चुनाव जैसे महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी सौंपी गयी है तो सरकार को हमारे विषय में सोचना चाहिये।” प्राथमिक स्कूल नरौना, काकोरी में पढ़ाने वाले शिक्षामित्र मोहित तिवारी कहते हैं, “हम अन्य शिक्षकों की तरह चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्य में सरकार का साथ दे रहे हैं। हमें भी इस बात का संतोष है कि हम सरकार के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। एक तो हमें समायोजित नहीं कर रही उस पर फिलहाल जो मानदेय मिल रहा है वह भी समय पर नहीं मिल रहा है जो ठीक नहीं है।”
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