लखनऊ से ग्राउंड रिपोर्ट UP चुनाव: सैलरी 2 लाख , टारगेट 50% वोट बढ़ाने का

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पॉलिटिकल पार्टियों की हाईटेक तैयारियां कैसी है? वहां क्या चल रहा है? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर डॉट कॉम के रोहिताश्व मिश्रा और दिनेश मिश्रा प्रमुख पार्टियों के वॉर रूम पहुंचे और जाना वहां का पूरा माहौल...
एक लाख से ज्यादा लोग... हॉकी की पिच से बड़ा हाईटेक ऑफिस... दीवार पर लगी 52 इंच से बड़ी और छोटी एलईडी टीवी... IIT-IIM पासआउट वेल ड्रेस्ड केबिन में बैठे इम्प्लॉई... और सबके पास लेटेस्ट लैपटॉप..। यकीनन ये नजारा किसी बड़ी कंपनी के ऑफिस का लग रहा होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। ये दृश्य है यूपी विधानसभा चुनाव के लिए पॉलिटिकल पार्टियों की हाईटेक तैयारियों का है। हम आपको इसी हाईटेक इलेक्शन माइक्रो मैनेजमेंट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बाकी पार्टिंयां यूपी फतह का जरिया मान रही हैं। उत्तरप्रदेश में 1.40 लाख बूथ और करीब 1.07 लाख गांव हैं। पार्टियां इनके लिए वहां की लोकल केमेस्ट्री के हिसाब से स्ट्रैटजी बना रही हैं। इलेक्शन मैनेजमेंट से जुड़े एक नेता ने पार्टी और खुद का नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "हर बड़े बूथ के लिए हमने 8 से 12 लोगों की टीम बनाई है। वहीं, छोटे बूथ पर 2 बूथ को मर्ज कर 10 लोगों की टीम रखी है। पार्टी ने बूथ मेंबर्स को 10 से 50% तक वोट पर्सेंट बढ़ाने का टारगेट दिया है। जिसे पूरा करने पर उन्हें रिवार्ड भी मिलता है। हालांकि, ऐसा पार्टी के चुनाव जीतने पर ही होगा। सभी बूथ को मिलाकर करीब 10 लाख लोग रखे हैं, जिनमें हमारे कार्यकर्ता और बाहरी दोनों शामिल हैं।' इनमें 10% लोग सैलरी बेसिस पर और बाकी डेली खर्च के आधार पर होंगे। सैलरी 15 हजार से 2 लाख रुपए प्रति महीने तक है। वहीं, रोजाना खर्च वालों को 300 से 1000 रुपए मिलेंगे। ऐसे में 10 लाख लोगों का ये आंकड़ा करीब 3 लाख इम्प्लॉई वाली देश की सबसे बड़ी कंपनियां टीसीएस से भी ज्यादा है। यूपी में चारों पार्टियों ने अपनी टीम को प्राइवेट कंपनी की तरह अलग-अलग डिपार्टमेंट में बांटा है। इनमें आउटडोर और मीडिया, डाटा और टेलिफोनी, एनालिस्ट, मार्केटिंग, आईटी, डिजिटल प्रमोशन, रिसर्च, कम्युनिकेशन, स्ट्रैटजी-प्लानिंग, साइबर कैम्पेन, बूथ मैनेजमेंट, लॉ जैसे डिपार्टमेंट प्रमुख हैं। इन डिपार्टमेंट को IIM-IIT पासआउट्स, लॉयर्स, डिजिटल मीडिया एक्सपर्टस और मीडिया प्रोफेशनल्स हेड कर रहे हैं।
इलेक्शन वॉर रूम से लाइव...
सपा- विदेश से आए कार्यकर्ता, डिजिटल फर्म को किया हायर
लखनऊ में जनेश्वर मिश्रा ट्रस्ट के फर्स्ट फ्लोर पर बने इस वॉर रूम को कई देशों में बीबीसी के लिए काम कर चुके आशीष यादव लीड कर रहे हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल प्रेजेंस को मजबूत करने के लिए मुंबई की डिजिटल फर्म को हायर किया है। अहमद अफताब नकवी सोशल मीडिया को लीड करते हुए पार्टी को प्रमोट करने की स्ट्रैटजी बनाते हैं। क्रिएटिव जिंगल और सॉन्ग तैयार करने की जिम्मेदारी आजमगढ़ के मनोज यादव की है।
वॉर रूम 4 हिस्सों में बंटा है। मॉनिटरिंग, रिसर्च, ऑडियो-वीडियो और टेली कॉलिंग।
टेली कॉलिंग और रिसर्च वर्क को लीड कर रहे हार्वर्ड पासआउट अंशुमन शर्मा का कहना है, "सपा के यूपी में 1.60 लाख से ज्यादा बूथ लेवल वर्कर्स हैं। बाकी कई लाख कार्यकर्ता भी वॉर रूम में हेल्प कर रहे हैं।
न्यूरो सर्जन अजय भी खास तौर पर अमेरिका से 11 मार्च तक की छुट्टी लेकर सपा वॉर रूम में काम करने आए हैं। वे पॉलिसी लेवल पर काम करते हैं।
बीजेपी- 16000 फेसबुक पेज, हर पोस्ट 50 लाख लोगों तक जाती है
मुख्यालय में ही पार्टी ने अपना इलेक्शन रूम बनाया है। आईटी सेल हेड संजय राय इस वॉर रूम को लीड कर रहे हैं। ब्लैकबेरी के एशिया पेसिफिक स्तर के मैनेजर श्रेयांस भार्गव रिसर्च का काम कर रहे हैं। वो वॉर रूम में हेल्प करने के लिए जॉब छोड़कर आए हैं। वहीं, दुबई की एक कंपनी से छुट्टी लेकर आए घनश्याम सिंह रघुवंशी भी वॉर रूम में स्ट्रैटजी लेवल पर हेल्प कर रहे हैं।
पार्टी ने वॉर रूम को 8 हिस्सों में बांटा है। 25 को-ऑर्डिनेटर हैं, जो सभी डिपार्टमेंट के हेड के साथ हर वक्त कॉन्टेक्ट में रहते हैं।
6 प्रांतों - काशी, पश्चिम, ब्रज, कानपुर, अवध और गोरखपुर में बांटा है। हर प्रांत के लिए अलग से व्हाट्सएप ग्रुप,फेसबुक पेज।
6 हजार से ज्यादा व्हाट्सएप ग्रुप और 16 हजार फेसबुक पेज बनाए हैं। हर पोस्ट करीब 16 लाख लोगों को व्हाट्सएप पर और 40-50 लाख लोगों को फेसबुक पर जाती हैं।
कांग्रेस- 8060 व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए प्रचार में लगे हैं कार्यकर्ता
वॉर रूम में पीके के फॉर्मेट पर काम हो रहा है। गठबंधन के बाद ये टीम थोड़ा स्लो हो गई है। कन्वेंशन रूम में चर्चा हो रही थी कि नोटबंदी पर बीजेपी को कैसे घेरा जाए। एक मेंबर बनाए गए कार्टून का सैंपल डिस्कस करने आया। जिसमें दिखाया गया था कि कैसे जनता बेलन से थाली बजाकर मोदी को कोसती नजर आ रही थी।
ऑफिस में 4 फॉर्मेट पर काम होता है। सोशल मीडिया की क्रिएटर टीम शामिल है।
कांग्रेस की बनाई गई 2 हजार फेसबुक आईडी और 75 डिस्ट्रिक्‍ट लेवल के व्हाट्सएप ग्रुप और उनसे नीचे काम कर रहे 8060 ग्रुप में कन्टेंट भेजने को कहा गया।
हर विधानसभा में एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, एक ग्रुप में 265 की संख्या पूरी होने के बाद उसी नाम से अलग ग्रुप बनाते हैं।
बीएसपी- साेशल मीडिया से ज्यादा पारंपरिक प्रचार पर जोर
बीएसपी के इलेक्शन वॉर रूम में कोई बड़ा चेहरा या प्रोफेशनल नहीं है। पार्टी के कार्यकर्ता और नेता ही इस टीम को चला रहे हैं। 2 प्रमुख नेता परेश मिश्रा और राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ सोशल मीडिया को लीड कर रहे हैं। कैम्पेनिंग में सिंगर कैलाश खेर-दिव्य कुमार की आवाज का इस्तेमाल किया है। इलेक्शन वॉर रूम लीडर परेश मिश्रा का कहना है, "मायावती हमेशा कहती रही हैं कि हमारा वोटर टीवी चैनल्स की डिबेट और सोशल मीडिया से दूर रहता है, लेकिन अब वो ही फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप की मदद से ऑनलाइन कैम्पेन चला रही हैं।'
5 हिस्सों में बंटी है इलेक्शन मैनेजमेंट टीम
असम में बीजेपी को जिताने वाली रजत सेठी की इलेक्शन मैनेजमेंट टीम के मेंबर आशीष मिश्रा के मुताबिक, इलेक्शन मैनेजमेंट के लिए टीम को 5 हिस्सों में बाटा जाता है। स्टेट, एसेंबली, ब्लॉक, पंचायत और बूथ। बूथ लेवल सबसे महत्वपूर्ण होता है। हर बूथ पर मैनेजर और मेंबर अप्वाइंट किया जाता है। इनका सेलेक्शन वहां की लोकल केमेस्ट्री से होता है। टीम मेंबर्स के सेलेक्शन में भी बूथ कास्ट पॉलिटिक्स आधार बनती है। यानी जिस कास्ट के जितने वोटर्स उस कास्ट के उतने पर्सेंट बूथ मेंबर्स।
एप पर कार्यकर्ता अपलोड कर रहे हैं वोटर्स की डिटेल
यूपी में बीजेपी के एक इलेक्शन मैनेजर के मुताबिक, सेलेक्टेड बूथ मैनेजर्स को स्मार्ट फोन और सिटी लेवल पर लैपटॉप दिया गया है, इनमें पार्टी का जीपीएस बेस्ड एंड्रायड एप डाउनलोड है।
हर मेंबर अपने बूथ के वोटर्स से इंटरएक्शन के फोटो, वीडियो और उनके सवाल अपलोड करता है। इसे देखकर स्टेट टीम गाइडेंस देती है।
हर दिन शाम को विधानसभा स्तर पर बूथ मैनेजर्स की स्टेट टीम से ऑडियो कॉन्फ्रेसिंग होती है।
इन नंबर्स को स्टेट आईटी सेल व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ और डायरेक्ट कॉल कर वोटर्स को पार्टी के मैसेज देती है।
एप में एक फॉर्म भी होता है। मेंबर्स इसमें बूथ के वोटर्स की डिटेल और मोबाइल नंबर एड करते हैं।
जीपीएस गाड़ियां, हाईटेक रथ और सोशल मीडिया से हमला
कांग्रेस, बीजेपी जहां बूथ लेवल के लिए टीवी स्क्रीन वाली जीपीएस गाड़ी का यूज कर रही हैं। वहीं, सपा ने हाईटेक रथ तैयार किया है। पंचायत और सिटी लेवल पर इसे चलाया जा रहा। इसमें लगी टीवी स्क्रीन से पार्टी के अच्छे कामों की मार्केटिंग की जा रही हैं। बीजेपी से लेकर कांग्रेस सहित सभी पार्टियों ने अलग से सोशल मीडिया टीम बनाई है। इनका काम पार्टी के फेवर में पोस्ट डालना, कंट्रोवर्सी क्रिएट होने पर काउंटर करना, लोकल लेवल से लेकर पार्टी के बड़े नेताओं की रैलियों आदि की फोटो-इंफॉर्मेशन शेयर करना है।
5 हिस्सों में बंटी है इलेक्शन मैनेजमेंट टीम
असम में बीजेपी को जिताने वाली रजत सेठी की इलेक्शन मैनेजमेंट टीम के मेंबर आशीष मिश्रा के मुताबिक, इलेक्शन मैनेजमेंट के लिए टीम को 5 हिस्सों में बाटा जाता है। स्टेट, एसेंबली, ब्लॉक, पंचायत और बूथ। बूथ लेवल सबसे महत्वपूर्ण होता है। हर बूथ पर मैनेजर और मेंबर अप्वाइंट किया जाता है। इनका सेलेक्शन वहां की लोकल केमेस्ट्री से होता है। टीम मेंबर्स के सेलेक्शन में भी बूथ कास्ट पॉलिटिक्स आधार बनती है। यानी जिस कास्ट के जितने वोटर्स उस कास्ट के उतने पर्सेंट बूथ मेंबर्स।
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