अबकी सुनबाई हमारी टक्कर एक बहुत बड़े शिक्षा मित्र शंघटन से है , और वो हर तरीके से शक्षम है

हमें अबकी सुनबाई पर इस संघटित सोच के साथ उतरना होगा , वर्ना कुछ नहीं , क्योंकि हमारी टक्कर एक बहुत बड़े शिक्षा मित्र शंघटन से है , और वो हर तरीके से शक्षम है , और हम हर मोर्चे पर बिखरे हुए , अगर जीत चाहिए तो समय रहते एक मजबूत एकता और अच्छे सीनियर द्वारा sm का विरोद्ध किया जाए ,
और आर्थिक मजबूती के लिए पहले संभव हो सके तो जियो , याचि शुल्क और याचि वेरिफिकेशन के नाम पर जमा हुए धन को निकलवाया जाए , वो इसीलिए क्योंकि मुझे अबकी सहयोग की उम्मीद कम ही दिख रही , और हकीकत ये भी है कि याचि मेकर और उनके प्रतिनिधि ने आज भी बहुत सा पैसा डंप कर के रखा है , जो हमें आर्थिक रूप से कमजोर किये हुए है , एक तरफ नामी गिरामी वकील और एक तरफ चुटपूजिया वकील होगा तो बाज़ी कंही पलट न जाए , और जो भी इस मुहीम मे शामिल हुए हैं उनका ये दायित्व है कि वो अपनी टीम से वकील के लिए नए सहयोग का भी समर्पित भावना से सहयोग करवाएं और ब्रीफिंग मे सिर्फ अचयनित ही जाएँ , चयनित अगर हो तो वो सिर्फ सलाहकार की तरह वो भी बाहर , और अबकी अनाप शनाप मुद्दे न हों जैसे 90-105 , याचि सिर्फ याचि है , उसके लिए अगर कोई मुद्दा है तो वो है शिक्षा मित्र मुद्दा , इसके अलावा कोई रास्ता नहीं जो किसी भी याचि का भला कर पाए , मेरा मानना है अगर ये काम आप अचयनित टीम द्वारा कर लिया गया तो याचियों का भला निश्चित है, एक बात याद रखना शिक्षा मित्र मैटर पर ब्रीफिंग ऐसी हो जो उनके पूरे इतिहास को बता सके इसके लिए हाई कोर्ट के ऑर्डर को आप उस बकील को दिखा और उस पर उसको ब्रीफ करा सकते हैं कोई भी चीज छूटनी नहीं चाहिए , और इसके साथ वो भौतिक सबूत भी उस वकील के पास होने चाहिए जो शिक्षा मित्रों की कब्र खोदने मे काम आ सकें , और जब आप वकील द्वारा जज साहब को ये कन्विन्स करा सके ये समायोजन गलत है तो फिर आपको लगे हाथ इनकी ट्रेनिंग को टारगेट कर देना है , इसके लिए 19837 अशोक तिवारी वाली slp जो इनकी ट्रेनिंग पर बीएड वालों के द्वारा दायर पहली और अंतिम रिट थी जो हाई कोर्ट मे 28004 थी को उठा देना है , ये कहते हुए कि जब ये इन सर्विस टीचर ही नहीं तो इनकी ट्रेनिंग किस बेस पर करा दी फिर देखो मज़ा , बस इतना करिए बाकी सब खुद ब खुद होगा ।
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