उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) 2011 की 5 लाख 93 हजार आंसर शीट लापता हो गई है। यह खुलासा इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर एक अवमानना याचिका (कन्टेप्ट पिटीशन) की सुनवाई के दौरान आए जवाब से हुआ है।
याची के वकील अनिल सिंह बिसेन और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रमुख सचिव की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि, टीईटी 2011 की 5 लाख 96 हजार ओएमआर शीट में से 3114 कानपुर देहात के अकबरपुर थाने में मौजूद हैं। इनमें से 74 पर वाइटनर लगा है। टीईटी का आयोजन कराने वाली सरकारी संस्था के पास भी कोई रेकॉर्ड नहीं है। यह भी बताया गया है कि, टीईटी 2011 की आंसर शीट/ ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली एसके प्रिंटेक डेटा क्रिएटिव सॉल्यूशन, नई दिल्ली के पास बाकी 5 लाख 93 हजार शीट थीं। लेकिन इस फर्म का अब कोई पता नहीं है। पुराने पते पर इसका कोई कार्यालय भी नहीं है। ऐसे में आंसर शीट मिलना मुश्किल है।
प्रतीक्षा सिंह की अवमानना याचिका की सुनवाई कर रही जस्टिस मनोज मिश्रा की कोर्ट ने प्रमुख सचिव के इस जवाब पर सख्त नाराजगी जताई है।
रेकॉर्ड पर बोर्ड ने कहा कि रेकॉर्ड दे दिया गया है। वहीं एससीईआरटी ने कहा कि रेकॉर्ड नहीं मिला है। बाद में सख्ती पर यूपी बोर्ड ने रेकॉर्ड मौजूद होने की बात कही। भर्ती के दौरान भी हर जिले से फर्जी मार्कशीट लगाए जाने की शिकायतें आईं। कई जिलों में फर्जी मार्कशीट पकड़ी भी गईं। उसके बावजूद भर्तियां चलती रहीं। अब तक करीब 56 हजार भर्तियां हो चुकी हैं।
टीईटी घोटाला तो 2011 में ही हो गया था। उसी घोटाले के नींव पर 72 हजार टीईटी शिक्षक भर्ती करा दी गईं। इतना ही नहीं भर्तियों के दौरान भी फर्जी मार्कशीट की खूब शिकायतें आईं और कई जिलों में पकड़ी भी गईं। पहले रेकॉर्ड न मिलना और अब कॉपियां गायब होना इस बात का गवाह है कि टीईटी में किस तरह फर्जीवाडा हुआ। करीब छह लाख कॉपियां गायब होना उसी घोटाले को छुपाने की साजिश है।
नंबर बढ़ाने के खेल में जेल गए थे निदेशक
प्रदेश सरकार ने 2011 में टीईटी परीक्षा कराई थी। टीईटी अर्हता परीक्षा होते हुए प्रदेश सरकार ने इसे भर्ती परीक्षा बना दिया। इस दौरान पैसे लेकर नंबर बढ़ाने का मामला भी आया और तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन जेल गए। उस समय ये भर्तियां रुक गईं। लेकिन मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने पात्र अभ्यर्थियों की भर्ती के आदेश दिए। इसके बाद प्रदेश सरकार ने भर्तियां कराने शुरू कीं।
वाइटनर पर पहले ही उठे थे सवाल
टीईटी परीक्षा में वाइटनर लगी कॉपियों की जांच के आदेश भी पिछले साल दिए गए थे। अब प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की ओर से दिए गए एफिडेविट में ही कहा गया है कि 5.93 लाख कॉपियां गायब हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई में वाइटनर लगी कॉपियां भी उपलब्ध कराने को कहा है।
फंस सकते हैं बोर्ड के जिम्मेदार : टीईटी मार्कशीट और कॉपियां की जांच हो जाए तो अब भी हजारों भर्ती शिक्षकों की मार्कशीट फर्जी निकल सकती हैं। इसकी वजह है कि भर्ती के दौरान भी फर्जी मार्कशीट बनाए जाने की शिकायतें आई थीं। हर काउंसलिंग के बाद मेरिट बढ़ने के मामले भी आ रहे थे। इस मामले में यूपी बोर्ड के कई बड़े जिम्मेदार अफसर और कर्मचारी इस मामले में फंस सकते हैं।
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याची के वकील अनिल सिंह बिसेन और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रमुख सचिव की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि, टीईटी 2011 की 5 लाख 96 हजार ओएमआर शीट में से 3114 कानपुर देहात के अकबरपुर थाने में मौजूद हैं। इनमें से 74 पर वाइटनर लगा है। टीईटी का आयोजन कराने वाली सरकारी संस्था के पास भी कोई रेकॉर्ड नहीं है। यह भी बताया गया है कि, टीईटी 2011 की आंसर शीट/ ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली एसके प्रिंटेक डेटा क्रिएटिव सॉल्यूशन, नई दिल्ली के पास बाकी 5 लाख 93 हजार शीट थीं। लेकिन इस फर्म का अब कोई पता नहीं है। पुराने पते पर इसका कोई कार्यालय भी नहीं है। ऐसे में आंसर शीट मिलना मुश्किल है।
प्रतीक्षा सिंह की अवमानना याचिका की सुनवाई कर रही जस्टिस मनोज मिश्रा की कोर्ट ने प्रमुख सचिव के इस जवाब पर सख्त नाराजगी जताई है।
रेकॉर्ड पर बोर्ड ने कहा कि रेकॉर्ड दे दिया गया है। वहीं एससीईआरटी ने कहा कि रेकॉर्ड नहीं मिला है। बाद में सख्ती पर यूपी बोर्ड ने रेकॉर्ड मौजूद होने की बात कही। भर्ती के दौरान भी हर जिले से फर्जी मार्कशीट लगाए जाने की शिकायतें आईं। कई जिलों में फर्जी मार्कशीट पकड़ी भी गईं। उसके बावजूद भर्तियां चलती रहीं। अब तक करीब 56 हजार भर्तियां हो चुकी हैं।
टीईटी घोटाला तो 2011 में ही हो गया था। उसी घोटाले के नींव पर 72 हजार टीईटी शिक्षक भर्ती करा दी गईं। इतना ही नहीं भर्तियों के दौरान भी फर्जी मार्कशीट की खूब शिकायतें आईं और कई जिलों में पकड़ी भी गईं। पहले रेकॉर्ड न मिलना और अब कॉपियां गायब होना इस बात का गवाह है कि टीईटी में किस तरह फर्जीवाडा हुआ। करीब छह लाख कॉपियां गायब होना उसी घोटाले को छुपाने की साजिश है।
नंबर बढ़ाने के खेल में जेल गए थे निदेशक
प्रदेश सरकार ने 2011 में टीईटी परीक्षा कराई थी। टीईटी अर्हता परीक्षा होते हुए प्रदेश सरकार ने इसे भर्ती परीक्षा बना दिया। इस दौरान पैसे लेकर नंबर बढ़ाने का मामला भी आया और तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन जेल गए। उस समय ये भर्तियां रुक गईं। लेकिन मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने पात्र अभ्यर्थियों की भर्ती के आदेश दिए। इसके बाद प्रदेश सरकार ने भर्तियां कराने शुरू कीं।
वाइटनर पर पहले ही उठे थे सवाल
टीईटी परीक्षा में वाइटनर लगी कॉपियों की जांच के आदेश भी पिछले साल दिए गए थे। अब प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा की ओर से दिए गए एफिडेविट में ही कहा गया है कि 5.93 लाख कॉपियां गायब हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई में वाइटनर लगी कॉपियां भी उपलब्ध कराने को कहा है।
फंस सकते हैं बोर्ड के जिम्मेदार : टीईटी मार्कशीट और कॉपियां की जांच हो जाए तो अब भी हजारों भर्ती शिक्षकों की मार्कशीट फर्जी निकल सकती हैं। इसकी वजह है कि भर्ती के दौरान भी फर्जी मार्कशीट बनाए जाने की शिकायतें आई थीं। हर काउंसलिंग के बाद मेरिट बढ़ने के मामले भी आ रहे थे। इस मामले में यूपी बोर्ड के कई बड़े जिम्मेदार अफसर और कर्मचारी इस मामले में फंस सकते हैं।
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