हाई कोर्ट ने किन बिंदुओं के आधार पर किया था शिक्षामित्र समायोजन निरस्त
कोर्ट के आदेश का निष्कर्ष निम्नवत हैं
● उत्तर प्रदेश के समस्त प्राथमिक अध्यापकों की नियुक्ति अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अधीन होती है।
● एनसीटीई एक्ट 1993 के सेक्शन32(2)(d) के अनुसार एनसीटीई के पास अध्यापक के पद के लिए न्यूनतम योग्यता का निर्धारण करने के लिए रेगुलेशन बनाने की शक्ति है।
● एनसीटीई रेगुलेशन 2001 के अनुसार अध्यापक बनने की योग्यता 'इंटरमीडिएट' तथा 'द्विवर्षीय बीटीसी' कोर्स है।
● बीएड को बीटीसी के बराबर नहीं कहा जा सकता।
● 1999 के बाद नियुक्त शिक्षा मित्र एनसीटीई रेगुलेशन 2001 में निहित न्यूनतम योग्यता पूरी नहीं करते, अतः उनको शिक्षक नहीं कहा जा सकता।
● आरटीई एक्ट 2009 के सेक्शन 23(1) के अनुसार अध्यापक बनने हेतु एनसीटीई द्वारा विहित न्यूनतम योग्यता प्राप्त करना अनिवार्य है।
● सेक्शन 23(1) के क्रम में एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 को एक नोटिफिकेशन के माध्यम से अध्यापक बनने की न्यूनतम योग्यता 'इंटरमीडिएट' + 'द्विवर्षीय बीटीसी' + टीईटी कर दी।
● आरटीई एक्ट 2009 का सेक्शन 23(2) केंद्र सरकार को शक्ति देता है कि वह राज्य सरकारों को सेक्शन 23(1) में विहित न्यूनतम योग्यता से अधिकतम 5 साल की छूट दे सके।
● उपरोक्त छूट केवल तब ही दी जा सकती है जब सम्बन्धित राज्य में 'न्यूनतम योग्यता' रखने वाले लोग अथवा 'बीटीसी' प्रशिक्षण देने के लिए पर्याप्त संस्थान न हों।
● एनसीटीई एक्ट के प्रारम्भ के समय जो अध्यापक न्यूनतम योग्यता न धारण करते हों उनको ऐसी योग्यता धारण करने के लिए उनको 5 वर्ष का समय दिया गया।
● 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया।
● 23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन के पैरा 4 में एनसीटीई ने मुख्यतः 3 श्रेणी के लोगों को टीईटी से छूट दी है।
१) ऐसे अध्यापक जिनकी नियुक्ति एनसीटीई के 3 सितम्बर 2001 के नोटिफिकशन के बाद तथा नोटिफिकेशन में विहित न्यूनतम योग्यता की शर्तों के अनुरूप हुई।
२) बीएड किये हुए लोग जिन्होंने 6 माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण पूर्ण किया हो।
३) जिनकी नियुक्ति 3 सितम्बर 2001 के पूर्व हुई।
● शिक्षा मित्र उपरोक्त तीनों श्रेणियों में किसी में भी नहीं आते हैं।
● शिक्षा मित्रों की नियुक्ति अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अधीन नहीं हुई।
● आरटीई एक्ट 2009 के सेक्शन 23(2) के अंतर्गत दी जाने वाली 5 वर्ष की छूट केवल 'स्थायी नियुक्ति' पाए शिक्षकों के लिए है जिनका चयन अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अंतर्गत हुआ है अर्थात शिक्षा मित्रों को 5 साल वाली छूट का लाभ प्राप्त नहीं है।
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कोर्ट के आदेश का निष्कर्ष निम्नवत हैं
● उत्तर प्रदेश के समस्त प्राथमिक अध्यापकों की नियुक्ति अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अधीन होती है।
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● एनसीटीई एक्ट 1993 के सेक्शन32(2)(d) के अनुसार एनसीटीई के पास अध्यापक के पद के लिए न्यूनतम योग्यता का निर्धारण करने के लिए रेगुलेशन बनाने की शक्ति है।
● एनसीटीई रेगुलेशन 2001 के अनुसार अध्यापक बनने की योग्यता 'इंटरमीडिएट' तथा 'द्विवर्षीय बीटीसी' कोर्स है।
● बीएड को बीटीसी के बराबर नहीं कहा जा सकता।
● 1999 के बाद नियुक्त शिक्षा मित्र एनसीटीई रेगुलेशन 2001 में निहित न्यूनतम योग्यता पूरी नहीं करते, अतः उनको शिक्षक नहीं कहा जा सकता।
● आरटीई एक्ट 2009 के सेक्शन 23(1) के अनुसार अध्यापक बनने हेतु एनसीटीई द्वारा विहित न्यूनतम योग्यता प्राप्त करना अनिवार्य है।
● सेक्शन 23(1) के क्रम में एनसीटीई ने 23 अगस्त 2010 को एक नोटिफिकेशन के माध्यम से अध्यापक बनने की न्यूनतम योग्यता 'इंटरमीडिएट' + 'द्विवर्षीय बीटीसी' + टीईटी कर दी।
● आरटीई एक्ट 2009 का सेक्शन 23(2) केंद्र सरकार को शक्ति देता है कि वह राज्य सरकारों को सेक्शन 23(1) में विहित न्यूनतम योग्यता से अधिकतम 5 साल की छूट दे सके।
● उपरोक्त छूट केवल तब ही दी जा सकती है जब सम्बन्धित राज्य में 'न्यूनतम योग्यता' रखने वाले लोग अथवा 'बीटीसी' प्रशिक्षण देने के लिए पर्याप्त संस्थान न हों।
● एनसीटीई एक्ट के प्रारम्भ के समय जो अध्यापक न्यूनतम योग्यता न धारण करते हों उनको ऐसी योग्यता धारण करने के लिए उनको 5 वर्ष का समय दिया गया।
● 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया।
● 23 अगस्त 2010 के नोटिफिकेशन के पैरा 4 में एनसीटीई ने मुख्यतः 3 श्रेणी के लोगों को टीईटी से छूट दी है।
१) ऐसे अध्यापक जिनकी नियुक्ति एनसीटीई के 3 सितम्बर 2001 के नोटिफिकशन के बाद तथा नोटिफिकेशन में विहित न्यूनतम योग्यता की शर्तों के अनुरूप हुई।
२) बीएड किये हुए लोग जिन्होंने 6 माह का विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण पूर्ण किया हो।
३) जिनकी नियुक्ति 3 सितम्बर 2001 के पूर्व हुई।
● शिक्षा मित्र उपरोक्त तीनों श्रेणियों में किसी में भी नहीं आते हैं।
● शिक्षा मित्रों की नियुक्ति अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अधीन नहीं हुई।
● आरटीई एक्ट 2009 के सेक्शन 23(2) के अंतर्गत दी जाने वाली 5 वर्ष की छूट केवल 'स्थायी नियुक्ति' पाए शिक्षकों के लिए है जिनका चयन अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अंतर्गत हुआ है अर्थात शिक्षा मित्रों को 5 साल वाली छूट का लाभ प्राप्त नहीं है।
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