शिक्षामित्रों को सरकार विद्यालय समन्वयक बनाकर विद्यालय के शिक्षण कार्य के इतर सम्पूर्ण दायित्व सौंप देगी

विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षामित्रों को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलने की स्थित मे केंद्र व राज्य सरकार ने मिलकर नायाब रास्ता निकाल लिया है जिससे उनकी नौकरी को बचाया जा सके और फिर इस नौकरी पर कोर्ट दखल न दे ।
जानकारी के अनुसार मोदी योगी की सरकारे मिलकर इस रणनीति को अंतिम रूप भी दे चुकी हैं।ताकि आपात स्थिति मे शिक्षामित्रों को विकट स्थित से बचाकर उनका भविष्य सुरक्षित किया जा सके और शिक्षामित्रों कोई अप्रिय कदम न उठाये।ऐसी स्थिति उतपन्न होने पर शिक्षामित्रों को सरकार विद्यालय समन्वयक बनाकर विद्यालय के शिक्षण कार्य के इतर सम्पूर्ण दायित्व सौंप देगी और यह समन्वयक के रुप मे ग्राम पंचायत अभिभावक शिक्षक व बच्चों के मध्य सेतु के रुप में कार्य करेगें।उनको वेतन प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक के समान निर्धारित करने की योजना बनाई गई हैं।इनके समन्वयक बनाये जाने से शिक्षकों को शिक्षण कार्य के अलावा अन्य कार्यो से मुक्त करने की सरकार व न्यायालय की मंशा भी पूरी हो सकेगी और शिक्षकों से अन्य कार्यो का बोझ हटाने में मदद मिल जायेगा और सरकारी स्कूलों की शिक्षा में क्रातिंकारी परिवर्तन लाने में मदद मिल सकेगा।शिक्षक को अन्य कार्यो का बहाना बनाकर स्कूलों से गायब रहनें की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी।शिक्षामित्रों को इस पद पर नियुक्ति करने का आधार उनके विद्यालयी कार्य के दीर्घ अनुभव को बनाया जायेगा साथ ही ग्राम पंचायत के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय के संचालन का सम्पूर्ण दायित्व इन्ही शिक्षामित्रों को सौपा जा सकता है।सूत्र के मुताबिक केंद्र व राज्य के मंत्रियों व वरिष्ठ अधिकारियों की संयुक्त टीम द्वारा दो दिन के मंथन मे यह विकल्प निकाला गया है।सरकार की मंशा डिग्री धारी बीएड बीटीसी टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान रखकर यह निर्णय लिया गया है जिससे अधिक से अधिक योग्य बेरोजगारों को शिक्षक पद पर नियुक्ति करके उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा सके और शिक्षामित्रों के भविष्य को भी संरक्षित किया जा सके।
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