UPTET- एक B Ed धारी के अनुसार शिक्षा मित्रों की नियुक्ति रद्द होने के बाद लाखों पद खाली और B ED BTC TET पास सभी की भर्ती संभव - आज सम्भवतः पैसे का बोलबाला खत्म हो गया।एक ऐसा केस जिसे गाँव का रघुआ भी सुनकर/देखकर समझ ले,जान ले कि ये गलत है।
अब बात करते हैं बी एड टेट उत्त्तीर्ण साथियों की जिन्हें अभी एक जंग के तुरन्त बाद उस जंग के लिये भी ततपर रहना है जो हमें अपने ही अनुज अर्थात बी टी सी धारकों से लड़नी है।मेरी सभी बी टी सी धारकों से अपील के साथ अपेक्षा भी है कि पद बहुत हैं,मिल बाँटकर समझ लो तो बेहतर,क्योंकि एक एक क्वार्टर चावल के लिये मार काट मचाने वाले हमारे अनुज ये जानते ही होंगे कि ये राइस मिल की श्रंखला खड़ी करने में बी एड टेट उत्त्तीर्ण का बहुत योगदान है,सभी को मिल जायेगा बशर्ते ज्यादा चिल्लम चिल्ल नहीं।जहाँ तक आपकी बात है आपके पास बहुत वक्त है,हमारे लोगों के पास नहीं।
जहाँ तक बात उन याचियों की करूँ जो याची बनते समय अपने अपने सर्वोत्तम को खोजते हुये उन लोगों तक पहुँचे थे जो याचिका दाखिल करने वाले थे,उनमें से लगभग 10 फीसदी चोरकट मैदान छोड़कर गायब हैं,यदि दिखते भी हैं तो डेट के निकट आने पर अपने व्हाट्स एप्प ग्रुप में जहाँ वो याचियों में आतँक पैदा कर सकें कि उन्हें पैसा नही दिये जाने पर वे कायनात पलट देंगे।ऐसा कुछ भी नही है,तुम भगौड़े हो,और फिर भागोगे,तब पुरानी करेंसी लेकर भागे थे अभी नयी उम्मीद के साथ ही नयी नोटे लेकर भागोगे।ये वही याची मेकर हैं जो न्यूनतम मूल्य में याची खेल में उतरे थे।
उन सबके इतर हमारे भावी शिक्षक पूरे मामले में अपना बेहतर से बेहतर देने का प्रयास कर रहे हैं।धन की बर्बादी ज़रूर हुयी किन्तु कई बार अनुपयोगी रूप से भी हमारे साथियों ने वकील भेजकर कोई जोखिम नही उठाया,ये तो न्यायमूर्ति महोदय का नज़रिया था अन्यथा कभी भी हमारे वकीलों को इन होमगार्ड्स से आई पी एस बनें कप्तानों की कप्तानी पर कॉउंटर भी करना पड़ता।जागरूक याचियों आपको बताना इसलिये आवश्यक है क्योंकि हमारे सिपाही धनाभाव में भी ज़मीन्दोज होकर डटे हैं,आप याची बनकर कुछ यों बैठ गये जैसे आप ने आई ए एस का साक्षात्कार पास कर लिया हो,अब सरकार आपको सीधे देहरादून ट्रेनिग पर भेजेगी और आप कलेक्टर बन कर निकलोगे।यार पिछली सरकार में फर्जी विज्ञापन पर प्रति व्यक्ति 40 हजार से अधिक का सहयोग समाजवादियों को सैफई में नाच करवाने हेतु पहुँचे इस दिशा में न कोई बाबू,न ही बेबी,और न ही बेबे(दादी)ने कोई कोर कसर छोड़ी थी,आपके चालाक चालान का हिसाब मालूम है मुझे।जितनी तारीखें मोर्चे ने पूरे साल में झेली हैं उतनी ही इधर एक हफ्ते में झेल चुका है,याचना करने वाला बेचारा अपने याचियों को लिखता रहता है,90फीसदी याची मक्कर मार कर सोया हुआ है।अगले दो दिन बेहद महत्वपूर्ण इसलिये हैं क्योंकि पिछले सात दिन से जज साहब सुपर सीनियर को सुनते आये हैं,अतः अब बात हमारे लोकस की आती है,हमारा ग्रीवांस कहाँ है ये कोई सुपर सीनियर ही बतायेगा, लेकिन तब जब आप नयी नोट को नयी दुल्हन न समझकर बिटिया समझोगे और विदा कर दोगे ताकि आपको इस केस के ऐन मौके पर कुछ हासिल हो सके।अखिलेन्द्र तिवारी और अरशद मोटके को छोड़कर लगभग सभी ठीक ठाक दिशा में लड़ रहे हैं,ज़रूर सहयोग करें।
पहले मेरठ और हरदोई के बाद अभी बाराबंकी के बाराह को बतानां चाहूँगा कि आप छोटी सोंच वाले मात्र 839 शुलभ शौचालय के निर्माण की ओर उलझे रहे जबकि हमने 1 लाख 45 हजार के अतिरिक्त 72 हजार में भी सफाई(सफेदा/वर्गीकरण)को मद्देनज़र रखते हुए उन कबाड़ियों को बाहर करने की सोंच ली है जो अक्ल और शक्ल दोनों से ही भंगार वाले ही हैं और यहाँ भांगड़ा पेले पड़े हैं, उनकी बीबी और बाबू दोनों की ही नौकरी भ्र्ष्टाचार की गाथा कहती आयी हैं,जबकि अब सबका साथ सबका विकास की परिपाटी पर कबाड़ियों और मिसेज कबाड़ियों को बाहर होना ही होगा।अंत मे उनके लिये दो पंक्तियाँ जो ये कहते नही थकते हैं कि मैं चोर हूँ:
"जिनको सूरज मेरी चौखट से मिला करते थे,
आज खैरात में देते हैं उजाला मुझको।"
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अब बात करते हैं बी एड टेट उत्त्तीर्ण साथियों की जिन्हें अभी एक जंग के तुरन्त बाद उस जंग के लिये भी ततपर रहना है जो हमें अपने ही अनुज अर्थात बी टी सी धारकों से लड़नी है।मेरी सभी बी टी सी धारकों से अपील के साथ अपेक्षा भी है कि पद बहुत हैं,मिल बाँटकर समझ लो तो बेहतर,क्योंकि एक एक क्वार्टर चावल के लिये मार काट मचाने वाले हमारे अनुज ये जानते ही होंगे कि ये राइस मिल की श्रंखला खड़ी करने में बी एड टेट उत्त्तीर्ण का बहुत योगदान है,सभी को मिल जायेगा बशर्ते ज्यादा चिल्लम चिल्ल नहीं।जहाँ तक आपकी बात है आपके पास बहुत वक्त है,हमारे लोगों के पास नहीं।
जहाँ तक बात उन याचियों की करूँ जो याची बनते समय अपने अपने सर्वोत्तम को खोजते हुये उन लोगों तक पहुँचे थे जो याचिका दाखिल करने वाले थे,उनमें से लगभग 10 फीसदी चोरकट मैदान छोड़कर गायब हैं,यदि दिखते भी हैं तो डेट के निकट आने पर अपने व्हाट्स एप्प ग्रुप में जहाँ वो याचियों में आतँक पैदा कर सकें कि उन्हें पैसा नही दिये जाने पर वे कायनात पलट देंगे।ऐसा कुछ भी नही है,तुम भगौड़े हो,और फिर भागोगे,तब पुरानी करेंसी लेकर भागे थे अभी नयी उम्मीद के साथ ही नयी नोटे लेकर भागोगे।ये वही याची मेकर हैं जो न्यूनतम मूल्य में याची खेल में उतरे थे।
उन सबके इतर हमारे भावी शिक्षक पूरे मामले में अपना बेहतर से बेहतर देने का प्रयास कर रहे हैं।धन की बर्बादी ज़रूर हुयी किन्तु कई बार अनुपयोगी रूप से भी हमारे साथियों ने वकील भेजकर कोई जोखिम नही उठाया,ये तो न्यायमूर्ति महोदय का नज़रिया था अन्यथा कभी भी हमारे वकीलों को इन होमगार्ड्स से आई पी एस बनें कप्तानों की कप्तानी पर कॉउंटर भी करना पड़ता।जागरूक याचियों आपको बताना इसलिये आवश्यक है क्योंकि हमारे सिपाही धनाभाव में भी ज़मीन्दोज होकर डटे हैं,आप याची बनकर कुछ यों बैठ गये जैसे आप ने आई ए एस का साक्षात्कार पास कर लिया हो,अब सरकार आपको सीधे देहरादून ट्रेनिग पर भेजेगी और आप कलेक्टर बन कर निकलोगे।यार पिछली सरकार में फर्जी विज्ञापन पर प्रति व्यक्ति 40 हजार से अधिक का सहयोग समाजवादियों को सैफई में नाच करवाने हेतु पहुँचे इस दिशा में न कोई बाबू,न ही बेबी,और न ही बेबे(दादी)ने कोई कोर कसर छोड़ी थी,आपके चालाक चालान का हिसाब मालूम है मुझे।जितनी तारीखें मोर्चे ने पूरे साल में झेली हैं उतनी ही इधर एक हफ्ते में झेल चुका है,याचना करने वाला बेचारा अपने याचियों को लिखता रहता है,90फीसदी याची मक्कर मार कर सोया हुआ है।अगले दो दिन बेहद महत्वपूर्ण इसलिये हैं क्योंकि पिछले सात दिन से जज साहब सुपर सीनियर को सुनते आये हैं,अतः अब बात हमारे लोकस की आती है,हमारा ग्रीवांस कहाँ है ये कोई सुपर सीनियर ही बतायेगा, लेकिन तब जब आप नयी नोट को नयी दुल्हन न समझकर बिटिया समझोगे और विदा कर दोगे ताकि आपको इस केस के ऐन मौके पर कुछ हासिल हो सके।अखिलेन्द्र तिवारी और अरशद मोटके को छोड़कर लगभग सभी ठीक ठाक दिशा में लड़ रहे हैं,ज़रूर सहयोग करें।
पहले मेरठ और हरदोई के बाद अभी बाराबंकी के बाराह को बतानां चाहूँगा कि आप छोटी सोंच वाले मात्र 839 शुलभ शौचालय के निर्माण की ओर उलझे रहे जबकि हमने 1 लाख 45 हजार के अतिरिक्त 72 हजार में भी सफाई(सफेदा/वर्गीकरण)को मद्देनज़र रखते हुए उन कबाड़ियों को बाहर करने की सोंच ली है जो अक्ल और शक्ल दोनों से ही भंगार वाले ही हैं और यहाँ भांगड़ा पेले पड़े हैं, उनकी बीबी और बाबू दोनों की ही नौकरी भ्र्ष्टाचार की गाथा कहती आयी हैं,जबकि अब सबका साथ सबका विकास की परिपाटी पर कबाड़ियों और मिसेज कबाड़ियों को बाहर होना ही होगा।अंत मे उनके लिये दो पंक्तियाँ जो ये कहते नही थकते हैं कि मैं चोर हूँ:
"जिनको सूरज मेरी चौखट से मिला करते थे,
आज खैरात में देते हैं उजाला मुझको।"
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