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सर्वोच्च न्यायालय से 2011 विज्ञापन में कोई फेरबदल होना असंभव , आदेश पर ही सब कुछ होगा स्पष्ट

नमस्कार मित्रो !! जैसा कि हम सभी भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मा० आदर्श कुमार गोयल और मा० उदय उमेश ललित की पीठ से शिक्षा विभाग की भर्तियों से संबंधित आने वाले कालजयी फैसले का इंतजार कर रहे हैं, तो इस पर निम्न बातों को अपने दिल-दिमाग पर पहले से बिठा लें तो बेहतर होगा....

सबसे पहले ये समझ लें कि 72,825 भर्ती हो या 99 हजार 15/16वें संशोधन से हुईं 2011 से अबतक की भर्तियां हों या फिर 2014 का शिक्षामित्र समायोजन हो, सब कुछ अवैद्य ही हैं कोई भी भर्ती NCTE के मानकों के अनुसार नहीं हुईं हैं, सारी भर्तियां स्टेट के पॉवर पर हुईं हैं... मा० कोर्ट के अधीन यदि कोई भर्ती हुई है तो वो 72,825 भर्ती हुई है, यदि सारी भर्तियों में सबसे सुरक्षित भर्ती मानी जाये तो वो यही भर्ती है। और यदि मा० कोर्ट ने अभी तक अतिरिक्त कुछ दिया है तो वो है 1100 का याची लाभ, जिसमें 839+2 लोग कोर्ट का पारितोष प्राप्त करके परिषदीय विद्यालयों में सहा० अध्यापक पद पर स्थापित हैं, बस यही एक कारण है जो 24 फरवरी 2016 यानि 26 अप्रैल 2016 के आदेश में संबंद्ध सभी इम्प्लीडमेंट एप्लीकेशन के याचिओं को जॉब मिलने का ठोस आधार देती है।
जबकि 15/16वें संशोधन पर आधारित अब तक हुईं 99 हजार भर्तियों को डेंजर जोन में रखा जा सकता है, पर NCTE काउंटर स्टेट को पॉवर देने की बात करता है, साथ-साथ 'टेट वेटेज के स्कोर को भी शामिल होना चाहिये' पर भी जोर देता है जिससे ये भर्तियां डेंजर जोन में जाती हुईं प्रतीत होती हैं। पर कोर्ट एक तरफ ये भी कहता है कि अब तक कि हुई भर्तियों पर कोई छेड़छाड़ नहीं की जायेगी। अब इन भर्तियों पर क्या फैसला आता है ये तो आने वाला वक्त बतायेगा। यदि ये भर्तियां बचती हैं तो 12 दिसंबर 2012 के 72,825 पदों के विज्ञापन को भी बहाल होने का बल मिलता है।
अब शिक्षामित्र समायोजन मेटर की बात की जाये तो ये पहले ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आदेशित उच्च न्यायालय इलाहाबाद के मा० धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ जी की त्रिस्तरीय पीठ से अवैद्य घोषित किये जा चुके हैं। ये भी सच है कि इस बार शिक्षामित्रों द्वारा भारत के टॉप टेन महाधिवक्ता हायर कर अपना पक्ष मजबूती से रखने की कोशिश की गई, पर सभी को ज्ञात है कि सभी महाधिवक्ता शिक्षामित्रों के लिये दया की भीख मांगते ही नजर आये, कोई भी महाधिवक्ता इनके समायोजन पर कोई ठोस आधार रखने पर कामयाब नहीं हुआ सभा अधिवरक्ता मानवीय आधार की दृष्टि से शिक्षमित्रों क् समायोजन को बचाने की दुहाई देते नजर आये यहां तक कि कई दिग्गज वकीलों ने तो अंत में अपने हाथ खड़े कर दिये तथा स्टेट व NCTE भी कमजोर पड़ते दिखाई दिये हैं।
अब जो भी होगा वो आने वाले कुछ दिनों में आदेश पर ही सब कुछ स्पष्ट होगा, पर ये निश्चित है कि फैसले के बाद कई चेहरे खिले नजर आयेंगे तो कई घरों के चूल्हे ठ़डे पड़ जायेंगे, पर नुकसान किसी का ज्यादा नहीं होगा क्योंकि भारत सरकार ने आदेश को भांपते ही शिक्षामित्रों का मानदेय 10,000/-₹ कर दिया है, जिससे उनकी रोजी-रोटी आराम से चल सकेगी।
अब फैसले के बाद सबसे बड़ी जो बात होगी वो ये है कि उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बहुत बड़ी संख्या में पद रिक्त होंगे, जिसके लिये अधिवक्ता विभा माखीजा ने बी० एड० टेट 2011 वालों के लिये मजबूत पैरवी करते हुये टेट वैलेडिटी को पांच वर्ष की जगह सात वर्ष करते हुये सभी टेट 2011 वालों से भरने के लिये कोर्ट को संतुष्ट किया है। यदि ऐसा होता है तो विभा माखीजा इस केस की महानायिका अधिवक्ता मानी जायेंगी।
और अंत में एक बात में अपनी तरफ से रखना चाहूँगा कि कोर्ट से 2011 विज्ञापन पूरण रूप से बहाल होना है, जिसमें कोई फेरबदल होना असंभव है।
ये 12,091 लिस्ट का मुद्दा, 90/105 क्राईटेरिया का मुद्दा हो या रिशफ़लिंग मुद्दा हो, ये सब बेवुनियाद हैं। हां इन मुद्दईयों को कुछ फायदा मिलेगा तो याची लाभ के फायदे की संभावना हो सकती है।
धन्यवाद
आपका
शुभाकांक्षी
- नागर
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