UPTET Shiksha Mitra News -शिक्षा मित्र का सुझाव की सरकार रिव्यू में जाये और समय मांगे, तब तक शिक्षा मित्र नोकरी में बने रहें, कानून में ही संसोधन की बात
अरे भाई RTE कानून पूरे देश के लिए बना है, और शिक्षा को सुधारने के लिए बना है, किसी एक प्रदेश के लिए कानून बदलने का मतलब सारे देश के लिए बदलना है।
दूसरी तरफ टेट पास योग्य लोग भी लाखों की संख्या में पूरे देश मे हैं अगर यही सब करना होता तो RTE कानून ही नहीं बनता।
ऊपर से BJP सरकार तो गुणवत्ता पर जोर देकर 50 से ऊपर के अयोग्य कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करा रही है तो फिर वह ऐसा कानून क्यों बनाएगी। जब सुप्रीम कोर्ट भी गुणवत्ता को बताते हुए समायोजन रद्द करने का ऑर्डर दे चुकी है।
देखें क्या है सुझाव :-
Yograj Singh Singh कुछ सुझाव है।।>>>
1 सरकार को रिव्यू के लिए राजी करे।।
सरकार अगर लॉ एंड ऑर्डर,स्कूल के सत्र,व नई भर्ती में लगने वाले समय का हवाला देकर कोर्ट से 6 माह का समय मांगे।।
ताकि बीच मे नई भर्ती की जा सके शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सके।
1000% सरकार को समय मिल जाएगा।।
तब तक सभी लोग अपने पद पर बने रहकर शिक्षण कार्य करते हुए टेट की तैयारी कर टेट उत्तीर्ण कर सकते है व नई भर्ती में चयनित हो सकते है।।
2 सरकार से वार्ता करके नए चयन में अपने लिए अपनी सीनियरटी को मानने के लिए प्रावधन कराए।।(त्रिपुरा राज्य के समान)
3 कुछ टेट पास शिक्षा मित्र के अति उतावले पन के कारण सरकार अब इस बात को समझ गई है।।
हम लोग वापस शिक्षा मित्र पद पर जाने के लिए तैयार है।।
अगर हम खुद जाकर सरकार से बार बार वेटेज अनुभव के लिए लड़ेंगे तो सरकार किलयर समझ जाएगी कि हम मानसिक रूप से बेक करने के लिए तैयार हो चूके है।।
4 वापस शिक्षा मित्र पद पर जाना ओर टेट करके भर्ती में आने वाले प्रस्ताव को स्वीकार करना मतलब आप 2022 तक शिक्षा मित्र ही रहेंगे।।।।
ये मानना बहुत ही बड़ी भूल है कि कोई भर्ती 1 साल में पूरी हो सकती है।।
2011 की भर्ती 2017 में पूरी हुई 72825 का उदाहरण आपके सामने है।।
5 टेट सहित नई भर्ती स्वीकार करने का मतलब है 80000 महिला शिक्षा मित्र को आजीवन बेरोजगार बना देना।।
6 टेट सहित नई भर्ती स्वीकार करने का मतलब है।।कमसे कम 40000 पुरुष शिक्षा मित्रों को बेरोज़गारी का दंश देना।।
7 बहुत जोर लगाने पर भी मेरी नज़र में 2 साल में 70 हज़ार से अधिक लोग सहायक अध्यापक नही बन पाएंगे।।
ये भी जब है जब भर्तियां समय से पूरी हो।।
जिसकी 1 प्रतिशत भी सम्भवना नही है।।
8 सरकारे कानून जनता के लिए बनाती है।।
ओर इसी किये जनता इन को चुनती है।।
अगर 1.72 लाख लोग भी सरकार से कानून नही बनवा सके तो समझ लेना के हम 2200 रुपए के लायक थे।।
9 bsa ऑफीस के आगे धरना करना।झुनझुना बजाने के समान है।।
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अरे भाई RTE कानून पूरे देश के लिए बना है, और शिक्षा को सुधारने के लिए बना है, किसी एक प्रदेश के लिए कानून बदलने का मतलब सारे देश के लिए बदलना है।
दूसरी तरफ टेट पास योग्य लोग भी लाखों की संख्या में पूरे देश मे हैं अगर यही सब करना होता तो RTE कानून ही नहीं बनता।
ऊपर से BJP सरकार तो गुणवत्ता पर जोर देकर 50 से ऊपर के अयोग्य कर्मचारियों की स्क्रीनिंग करा रही है तो फिर वह ऐसा कानून क्यों बनाएगी। जब सुप्रीम कोर्ट भी गुणवत्ता को बताते हुए समायोजन रद्द करने का ऑर्डर दे चुकी है।
देखें क्या है सुझाव :-
Yograj Singh Singh कुछ सुझाव है।।>>>
1 सरकार को रिव्यू के लिए राजी करे।।
सरकार अगर लॉ एंड ऑर्डर,स्कूल के सत्र,व नई भर्ती में लगने वाले समय का हवाला देकर कोर्ट से 6 माह का समय मांगे।।
ताकि बीच मे नई भर्ती की जा सके शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सके।
1000% सरकार को समय मिल जाएगा।।
तब तक सभी लोग अपने पद पर बने रहकर शिक्षण कार्य करते हुए टेट की तैयारी कर टेट उत्तीर्ण कर सकते है व नई भर्ती में चयनित हो सकते है।।
2 सरकार से वार्ता करके नए चयन में अपने लिए अपनी सीनियरटी को मानने के लिए प्रावधन कराए।।(त्रिपुरा राज्य के समान)
3 कुछ टेट पास शिक्षा मित्र के अति उतावले पन के कारण सरकार अब इस बात को समझ गई है।।
हम लोग वापस शिक्षा मित्र पद पर जाने के लिए तैयार है।।
अगर हम खुद जाकर सरकार से बार बार वेटेज अनुभव के लिए लड़ेंगे तो सरकार किलयर समझ जाएगी कि हम मानसिक रूप से बेक करने के लिए तैयार हो चूके है।।
4 वापस शिक्षा मित्र पद पर जाना ओर टेट करके भर्ती में आने वाले प्रस्ताव को स्वीकार करना मतलब आप 2022 तक शिक्षा मित्र ही रहेंगे।।।।
ये मानना बहुत ही बड़ी भूल है कि कोई भर्ती 1 साल में पूरी हो सकती है।।
2011 की भर्ती 2017 में पूरी हुई 72825 का उदाहरण आपके सामने है।।
5 टेट सहित नई भर्ती स्वीकार करने का मतलब है 80000 महिला शिक्षा मित्र को आजीवन बेरोजगार बना देना।।
6 टेट सहित नई भर्ती स्वीकार करने का मतलब है।।कमसे कम 40000 पुरुष शिक्षा मित्रों को बेरोज़गारी का दंश देना।।
7 बहुत जोर लगाने पर भी मेरी नज़र में 2 साल में 70 हज़ार से अधिक लोग सहायक अध्यापक नही बन पाएंगे।।
ये भी जब है जब भर्तियां समय से पूरी हो।।
जिसकी 1 प्रतिशत भी सम्भवना नही है।।
8 सरकारे कानून जनता के लिए बनाती है।।
ओर इसी किये जनता इन को चुनती है।।
अगर 1.72 लाख लोग भी सरकार से कानून नही बनवा सके तो समझ लेना के हम 2200 रुपए के लायक थे।।
9 bsa ऑफीस के आगे धरना करना।झुनझुना बजाने के समान है।।
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