नमस्कार मित्रों ,
जैसा कि कल बताया गया था रिव्यू पड़ चुका है , उसी में लिखी गई कुछ पंक्तियाँ :-
मा० सर्वोच्च न्यायालय के 7-12-2015 के आदेशानुसार 1100 लोग जो कि न्यायालय में वादी/प्रतिवादी थे को नौकरी दी गई जिन्हे आपके अंतिम निर्णय में सुरक्षित रखा गया है और कंटिन्यू करने को भी कहा है -
मित्रों ,
हमने रिव्यू में मुख्यतः ये ही बात रखी है कि मा० न्यायालय के समक्ष ये याचिका (167/2015 ) तभी से है जब आप अंतिम रूप से मामले का निर्णय कर रहे थे जिसमे चयन के मानक को तय करना था और शिक्षामित्रों के केस का निस्तारण जो आपने किया है वो प्रमुख तौर पर इसी याचिका में उठाया गया था लेकिन आपने शिक्षामित्रों के मुद्दे में तो विस्तृत आदेश दे दिया है पर इस याचिका को ऐसी जगह टैग करके आदेश सुना दिया है जहाँ इसकी कोई ग्रीवांस ही नहीं थी तो कृपा करके इसे पुनः सुना जाए क्यूंकि इसके माध्यम से ही आप जान पाएंगे कि एक वो धड़ा जो कि मुख्य रूप से शिक्षामित्रों के विरुद्ध लड़ा है उसे मा० न्यायालय ने कुछ नहीं दिया है जबकि जो कि पूर्ण रूप से अवैध ठहरा दिए हैं उन्हें दो मौके तक दिए हैं |
रिव्यू फाइल हो चुकी है जिस पर जल्द ही सुनवाई की संभावना है लेकिन जैसा बताया रिव्यू में उम्मीद कम ही होती हैं तो उसके लिए इन्ही सभी चीज़ों को लेकर दुसरे प्रकार से कार्य भी किया जाएगा |
धन्यवाद
हर हर महादेव
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
जैसा कि कल बताया गया था रिव्यू पड़ चुका है , उसी में लिखी गई कुछ पंक्तियाँ :-
मा० सर्वोच्च न्यायालय के 7-12-2015 के आदेशानुसार 1100 लोग जो कि न्यायालय में वादी/प्रतिवादी थे को नौकरी दी गई जिन्हे आपके अंतिम निर्णय में सुरक्षित रखा गया है और कंटिन्यू करने को भी कहा है -
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मित्रों ,
हमने रिव्यू में मुख्यतः ये ही बात रखी है कि मा० न्यायालय के समक्ष ये याचिका (167/2015 ) तभी से है जब आप अंतिम रूप से मामले का निर्णय कर रहे थे जिसमे चयन के मानक को तय करना था और शिक्षामित्रों के केस का निस्तारण जो आपने किया है वो प्रमुख तौर पर इसी याचिका में उठाया गया था लेकिन आपने शिक्षामित्रों के मुद्दे में तो विस्तृत आदेश दे दिया है पर इस याचिका को ऐसी जगह टैग करके आदेश सुना दिया है जहाँ इसकी कोई ग्रीवांस ही नहीं थी तो कृपा करके इसे पुनः सुना जाए क्यूंकि इसके माध्यम से ही आप जान पाएंगे कि एक वो धड़ा जो कि मुख्य रूप से शिक्षामित्रों के विरुद्ध लड़ा है उसे मा० न्यायालय ने कुछ नहीं दिया है जबकि जो कि पूर्ण रूप से अवैध ठहरा दिए हैं उन्हें दो मौके तक दिए हैं |
रिव्यू फाइल हो चुकी है जिस पर जल्द ही सुनवाई की संभावना है लेकिन जैसा बताया रिव्यू में उम्मीद कम ही होती हैं तो उसके लिए इन्ही सभी चीज़ों को लेकर दुसरे प्रकार से कार्य भी किया जाएगा |
धन्यवाद
हर हर महादेव
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