बस्ती: केंद्र सरकार द्वारा निजी विद्यालय में भी अध्यापन हेतु टीईटी
योग्यता अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद प्राइवेट शिक्षकों में बेचैनी
है। उन्हें इस बात की ¨चता सता रही है कि कहीं ऐसा न हो कि उनकी रोजी खतरे
में पड़ जाए।
केंद्र सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के क्रम में एक ऐसा आदेश जारी करते हुए कहा कि निजी विद्यालयों में भी पढ़ाने के लिए शिक्षकों को टीईटी पास होना जरूरी है। यह आदेश केंद्र की संस्थाओं के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों की शिक्षण संस्थाओं पर भी प्रभावी होगा। उत्तरप्रदेश में अधिकांश निजी विद्यालयों में बिना टीईटी पास किए अध्यापक शिक्षण कार्य कर रहे हैं। तमाम ऐसे अध्यापक भी हैं, जो शिक्षा स्नातक भी नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार के निर्देश पर यदि राज्य सरकारों ने भी टीईटी योग्यता अनिवार्य किया तो न केवल अधिकांश अध्यापक अपने पेशे से वंचित हो जाएंगे बल्कि विद्यालयों में शिक्षण कार्य भी बुरी तरह प्रभावित होगा। बताना जरूरी है कि विगत वर्षों से केंद्र व राज्य बोर्ड द्वारा कराई गई शिक्षक पात्रता परीक्षा में परीक्षा परिणाम प्रतिशत काफी कम ही रहा। ऐसे में देश भर के निजी विद्यालयों में टीईटी पास शिक्षण की नियुक्ति किया जाना बड़ी चुनौती है। कप्तानगंज के एक इंटरकालेज में पढ़ा रहे विनोद यादव कहते हैं, कि बीते सात वर्षों से प्राइवेट विद्यालय में पढ़ा कर परिवार का पेट भर रहे हैं ऐसे में अचानक ऐसे निर्णय से तो रोजी चली जाएंगी। एक अन्य कालेज के मनोज तिवारी कहते हैं कि एक दशक से इसी पेशे में रहकर ¨जदगी गुजार दी। 2011 में पास की गई टीईटी की वैधता भी समाप्त हो चुकी है। पिछली सरकार ने राहत देते हुए सरकारी मानदेय देना शुरू किया था। वर्तमान सरकार ने उसमें और बढ़ोतरी करने के बजाय नया आदेश जारी कर हमें बेरोजगार बनाने का पूरा इंतजाम कर दिया है। एक अन्य शिक्षक हरिश्चंद्र तिवारी कहते हैं कि अब पढ़ाई की उम्र गुजर चुकी है ऐसे में कठिन माने जाने वाली टीईटी परीक्षा पास कर पाना हम जैसे लोगों के लिए संभव नहीं है। मतलब साफ है कि सरकार हम जैसों की रोटी छीन लेना चाहती है। एक कालेज के प्रबंधक आशुतोष दीपक कहते हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है परंतु इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करते हुए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। एक कालेज के प्रधानाचार्य अनिल तिवारी के मुताबिक तत्काल इतनी मात्रा में टीईटी पास अध्यापकों का मिलना संभव नहीं हो सकेगा। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। बृजेंद्र मिश्र, राजेश मिश्र, राघवेंद्र पाठक, पूनम पांडेय, पूनम यादव, जितेंद्र यादव, अरूण उपध्याय, संतोष तिवारी, कुलदीप ¨सह, अजय ¨सह जैसे तमाम अध्यापक अपने भविष्य की ¨चता में है।
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केंद्र सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के क्रम में एक ऐसा आदेश जारी करते हुए कहा कि निजी विद्यालयों में भी पढ़ाने के लिए शिक्षकों को टीईटी पास होना जरूरी है। यह आदेश केंद्र की संस्थाओं के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों की शिक्षण संस्थाओं पर भी प्रभावी होगा। उत्तरप्रदेश में अधिकांश निजी विद्यालयों में बिना टीईटी पास किए अध्यापक शिक्षण कार्य कर रहे हैं। तमाम ऐसे अध्यापक भी हैं, जो शिक्षा स्नातक भी नहीं है। ऐसे में केंद्र सरकार के निर्देश पर यदि राज्य सरकारों ने भी टीईटी योग्यता अनिवार्य किया तो न केवल अधिकांश अध्यापक अपने पेशे से वंचित हो जाएंगे बल्कि विद्यालयों में शिक्षण कार्य भी बुरी तरह प्रभावित होगा। बताना जरूरी है कि विगत वर्षों से केंद्र व राज्य बोर्ड द्वारा कराई गई शिक्षक पात्रता परीक्षा में परीक्षा परिणाम प्रतिशत काफी कम ही रहा। ऐसे में देश भर के निजी विद्यालयों में टीईटी पास शिक्षण की नियुक्ति किया जाना बड़ी चुनौती है। कप्तानगंज के एक इंटरकालेज में पढ़ा रहे विनोद यादव कहते हैं, कि बीते सात वर्षों से प्राइवेट विद्यालय में पढ़ा कर परिवार का पेट भर रहे हैं ऐसे में अचानक ऐसे निर्णय से तो रोजी चली जाएंगी। एक अन्य कालेज के मनोज तिवारी कहते हैं कि एक दशक से इसी पेशे में रहकर ¨जदगी गुजार दी। 2011 में पास की गई टीईटी की वैधता भी समाप्त हो चुकी है। पिछली सरकार ने राहत देते हुए सरकारी मानदेय देना शुरू किया था। वर्तमान सरकार ने उसमें और बढ़ोतरी करने के बजाय नया आदेश जारी कर हमें बेरोजगार बनाने का पूरा इंतजाम कर दिया है। एक अन्य शिक्षक हरिश्चंद्र तिवारी कहते हैं कि अब पढ़ाई की उम्र गुजर चुकी है ऐसे में कठिन माने जाने वाली टीईटी परीक्षा पास कर पाना हम जैसे लोगों के लिए संभव नहीं है। मतलब साफ है कि सरकार हम जैसों की रोटी छीन लेना चाहती है। एक कालेज के प्रबंधक आशुतोष दीपक कहते हैं कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है परंतु इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करते हुए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। एक कालेज के प्रधानाचार्य अनिल तिवारी के मुताबिक तत्काल इतनी मात्रा में टीईटी पास अध्यापकों का मिलना संभव नहीं हो सकेगा। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। बृजेंद्र मिश्र, राजेश मिश्र, राघवेंद्र पाठक, पूनम पांडेय, पूनम यादव, जितेंद्र यादव, अरूण उपध्याय, संतोष तिवारी, कुलदीप ¨सह, अजय ¨सह जैसे तमाम अध्यापक अपने भविष्य की ¨चता में है।
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