शिक्षामित्र की पूरी कहानी 2001 से लेकर 2019 तक की पूरी दस्ता

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा को सुदृढ़ करने और शिक्षकों की कमी पूरी करने के लिये 26 मई 2001 में शिक्षा मित्रों की नियुक्ती की गयी थी इन्हें पूर्ण शिक्षकों के बराबर वेतन नहीं दिया जाता था और इनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर सत्रवार होती थी । भारत के अन्य प्रदेशों में भी इस तरह के उप-शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थीं सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार ने संविदा पर शिक्षको को रखने की योजना की शुरुवात की।
इसमे यह विशेश ध्यान दिया गया था कि विद्यालय जिस गांव में हो उसी गांव का शिक्षित पुरूष या महिला सम्बंधित विद्यालय में 11 माह के शिक्षा सत्र के लिए जिलाधिकारी की अध्य्क्षता में गठित समित के माध्यम से चयन कर शिक्षामित्रों कों नियुक्त किया गया था । इनकी नियुंतम योग्यता इण्टर मिडीएट रखी गई लेकिन बी एड को वरीयता दी गई। नियुक्त के पहले इन चयनित शिक्षामित्रों कों एक माह के आवासीय प्रशिक्षण के लिए सम्बंधित जिला शिक्षा एव प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्इत किया गया । इन्हे प्रति माह इस कार्य के लिए 2250 रुपए मानदेय दिया जाता रहा। इनकी सेवाओ से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने 2006 में 2250सें बढाकर 3500 ऋपए प्रति माह मानदेय देना शुरुकर दिया था | 4 अगस्त 2009 कों आर टी ई लागू होने पर उस समय की तत्कालीन बसपा सरकार नें इन्हे एन सी टी ई से अनुमति लेकर दुरस्थ शिक्षा के माध्यम से २ वर्षीय बी.टी .सी का प्रशिक्षण करानें का फैसला लिया |और 9 जून, 2014 - तत्कालीन सपा सरकार ने पहले चरण में प्रशिक्षित 58 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने का आदेश जारी किया जिसकें बाद 58 हजार शिक्षा मित्रों कों सहायक अध्यापक बना दिया गया और 8 अप्रैल, 2015- दूसरे चरण में प्रशिक्षित लगभग 90 हजार शिक्षामित्रों के समायोजन का आदेश जारी किया गया लेकिन रेगुलर बी.टी.सी वालों नें इसकें खिलाफ हाईकोर्ट मुकदमा कर दिया जिसकें बाद 12 सितम्बर, 2015- हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध ठहराते हुए इसे रद्द कर दिया| और उस समय की तत्कालीन सपा सरकार नें हाई कोर्ट कें फैसलें कें खिलाफ 7 दिसम्बर, 2015 - सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की जिसकें बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई और और साथ में बचे हुए शिक्षामित्रों के समायोजन पर भी रोक लगा दी । और 25 जुलाई, 2017कों सुप्रीम कोर्ट ने भी शिक्षामित्रों कें समायोजन रद्द कर दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट यें भी कहा की शिक्षामित्र तत्काल नहीं हटाए जाएंगे। शिक्षामित्रों को शिक्षक भर्ती की औपचारिक परीक्षा में बैठना होगा और उन्हें लगातार दो प्रयासों में यह परीक्षा पास करनी होगी। शिक्षक भर्ती परीक्षा में शिक्षामित्रों को अध्यापन अनुभव का वेटेज तथा उम्र सीमा में रियायत दी जा सकती है।