2297 खाली पद चिह्न्ति डायटों से पुष्टि का इंतजार
बीटीसी-2013 में खाली सीटों पर नामांकन का रास्ता साफ
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : सूबे में बीटीसी-2013 में दाखिले के लिए तीसरे चरण की काउंसिलिंग के बाद खाली सीटों पर नामांकन का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को इस बाबत औपचारिक कदम उठाए जाने की संभावना है। कोशिश है कि 30 अप्रैल तक नये सिरे से दाखिले के लिए कॉलेज का आवंटन सुनिश्चित कर दिया जाए।
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बीटीसी-2013 में खाली सीटों पर नामांकन का रास्ता साफ
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : सूबे में बीटीसी-2013 में दाखिले के लिए तीसरे चरण की काउंसिलिंग के बाद खाली सीटों पर नामांकन का रास्ता साफ हो गया है। गुरुवार को इस बाबत औपचारिक कदम उठाए जाने की संभावना है। कोशिश है कि 30 अप्रैल तक नये सिरे से दाखिले के लिए कॉलेज का आवंटन सुनिश्चित कर दिया जाए।
सचिव परीक्षा नियामक
प्राधिकारी को छह माह से लंबित करीब 2297 सीटें खाली होने की सूचना डायट
प्राचार्यो ने भिजवा दी है। इसमें सौ से ज्यादा सीटें आगरा, मेरठ,
गाजियाबाद, गाजीपुर और आजमगढ़ आदि बड़े जिलों में खाली हैं। सचिव परीक्षा
नियामक प्राधिकारी ने डायट प्राचार्यो से एक बार फिर खाली सीटों की पुष्टि
कर 23 अप्रैल तक सूचित करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि दाखिले को लेकर सर्वाधिक पेच अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों को लेकर फंसा है।
अल्पसंख्यक कॉलेज शतप्रतिशत सीटों पर खुद दावा ठोक रहे हैं जबकि 50 फीसद सीट ही मैनेजमेंट कोटा के तहत आवंटित है। ऐसे में कुछ अल्पसंख्यक कॉलेजों ने हाईकोर्ट की शरण लेकर शतप्रतिशत सीटों पर अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर ली है। बीटीसी-2013 में 21 अल्पसंख्यक कॉलेज दाखिले के लिए अधिकृत हैं। ऐसे में इन कॉलेजों ने खुद के स्तर पर पहले और दूसरे चरण की काउंसिलिंग में शत प्रतिशत सीटों पर दाखिले की प्रक्रिया पूरी कर ली। उधर, डायट ने तीसरे चरण की काउंसिलिंग के बाद सैकड़ों विद्यार्थियों को अल्पसंख्यक कॉलेज आवंटित कर दिए लेकिन अल्पसंख्यक कॉलेज सीट खाली नहीं होने का हवाला देकर दाखिले से इन्कार कर रहे हैं। 2013 सत्र में सर्वाधिक अल्पसंख्यक कॉलेज मेरठ और बागपत जिले के हैं।
डायट में बीटीसी 2013-14 में दाखिले के लिए तीसरे चरण में करीब 11 हजार अभ्यर्थियों ने काउंसिलिंग करवाया था। लेकिन काउंसिलिंग को छह माह बीतने को अभी तक दाखिले की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। ऐसे में आगामी सत्र भी प्रभावित हो रहा है। अब अगर नये सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होती है तो इसे पूरा होने में कम से कम चार से पांच माह का समय लगेगा।
महत्वपूर्ण यह है कि सत्र संचालन के लिए कोई समय सीमा तय नहीं होने की वजह से घालमेल की स्थिति बनी हुई है।
गौरतलब है कि दाखिले को लेकर सर्वाधिक पेच अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों को लेकर फंसा है।
अल्पसंख्यक कॉलेज शतप्रतिशत सीटों पर खुद दावा ठोक रहे हैं जबकि 50 फीसद सीट ही मैनेजमेंट कोटा के तहत आवंटित है। ऐसे में कुछ अल्पसंख्यक कॉलेजों ने हाईकोर्ट की शरण लेकर शतप्रतिशत सीटों पर अपनी दावेदारी सुनिश्चित कर ली है। बीटीसी-2013 में 21 अल्पसंख्यक कॉलेज दाखिले के लिए अधिकृत हैं। ऐसे में इन कॉलेजों ने खुद के स्तर पर पहले और दूसरे चरण की काउंसिलिंग में शत प्रतिशत सीटों पर दाखिले की प्रक्रिया पूरी कर ली। उधर, डायट ने तीसरे चरण की काउंसिलिंग के बाद सैकड़ों विद्यार्थियों को अल्पसंख्यक कॉलेज आवंटित कर दिए लेकिन अल्पसंख्यक कॉलेज सीट खाली नहीं होने का हवाला देकर दाखिले से इन्कार कर रहे हैं। 2013 सत्र में सर्वाधिक अल्पसंख्यक कॉलेज मेरठ और बागपत जिले के हैं।
डायट में बीटीसी 2013-14 में दाखिले के लिए तीसरे चरण में करीब 11 हजार अभ्यर्थियों ने काउंसिलिंग करवाया था। लेकिन काउंसिलिंग को छह माह बीतने को अभी तक दाखिले की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। ऐसे में आगामी सत्र भी प्रभावित हो रहा है। अब अगर नये सत्र की प्रवेश प्रक्रिया शुरू होती है तो इसे पूरा होने में कम से कम चार से पांच माह का समय लगेगा।
महत्वपूर्ण यह है कि सत्र संचालन के लिए कोई समय सीमा तय नहीं होने की वजह से घालमेल की स्थिति बनी हुई है।
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