आयोग में दो साल में हो गईं 250 से अधिक सीधी भर्तियां
लोक सेवा आयोग की ओर से दिया गया हलफनामा, जल्दबाजी पर उठने लगे सवाल
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भर्तियों को लेकर कुछ ज्यादा जल्दबाजी दिखाई दे रही है। डॉ. अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद तकरीबन दो साल की अवधि में ही आयोग में 250 से अधिक प्रकार की सीधी भर्तियां (केवल साक्षात्कार) हो गईं। यानी, आयोग को एक भर्ती पूरी करने में तीन दिन भी नहीं लगे। इतना ही नहीं इस दौरान आयोग ने पीसीएस की चार भर्तियां समेत कई अन्य परीक्षाओं के भी परिणाम घोषित किए। इसे लेकर प्रतियोगियों ने आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि आयोग ने एक खास जाति तथा क्षेत्र के लोगों की भर्ती के लिए इतनी जल्दबाजी दिखाई। पीसीएस की तीन तथा 29 तरह की सीधी भर्तियों में एक खास वर्ग के लोगों को भर्ती किए जाने को लेकर प्रतियोगियों ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल कर रखी है। सीधी भर्ती में तो आयोग ने ओबीसी के निर्धारित सीट से भी अधिक विशेष जाति के लोगों को सफल घोषित किया है। प्रतियोगियों ने अन्य भर्तियों में भी धांधली के आरोप लगाए हैं। हालांकि, आयोग ने अब चयनितों का नाम देना बंद कर दिया है।
आयोग की ओर से हाईकोर्ट में डॉ. अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद हुई भर्तियों का विवरण भी दिया है। उपलब्धियां गिनाते हुए आयोग की ओर से बताया गया है कि इस दौरान 250 से अधिक तरह की भर्तियां की गईं। इसमें 2005 में विज्ञापित पद भी शामिल हैं। इसमें पुलिस विभाग में सहायक निदेशक लाई डिटेक्टर, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, राजकीय महाविद्यालयों में प्रवक्ता, अवर अभियंता, खान निरीक्षक समेत कई तरह के पदाें की सीधी भर्तियां शामिल हैं।
इसके विपरीत प्रतियोगियों का आरोप है कि आयोग ने एक विशेष जाति के लोगों को भरने के लिए यह अभियान चला रखा है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से दाखिल पीआईएल में सीधी भर्ती की 29 नियुक्तियां शामिल की गईं हैं। उनका कहना है कि इसमें ओबीसी की सीट की 156.66 प्रतिशत यानी, डेढ़ गुना से भी अधिक एक जाति के लोगों की नियुक्ति हुई है। इसी आधार पर उन्होंने पीसीएस की तीन तथा लोअर सबऑर्डिनेट की दो भर्तियों को भी पीआईएल में शामिल किया है। आयोग ने लोअर सबऑर्डिनेट-2008 और 2009 की मार्कशीट अभी तक जारी नहीं की है।
प्रतियोगियों का दावा है कि शासन से एकत्रित जानकारी के अनुसार लोअर सबऑर्डिनेट-2008 में चयनित विशेष जाति के 82 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 34 से 36 अंक मिले हैं। पीआईएल दाखिल करने वाले अवनीश पांडेय का कहना है कि विरोध के बाद आयोग ने सफल अभ्यर्थियों का नाम देना बंद कर दिया है। यह सब आयोग ने जानबूझकर किया जिससे कि धांधली सामने न आने पाए।
ओबीसी की सीट से भी अधिक एक जाति के अभ्यर्थियों का चयन
प्रतियोगियों ने पीआईएल में दिया 29 तरह की सीधी भर्ती का विवरण
लोक सेवा आयोग की ओर से दिया गया हलफनामा, जल्दबाजी पर उठने लगे सवाल
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भर्तियों को लेकर कुछ ज्यादा जल्दबाजी दिखाई दे रही है। डॉ. अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद तकरीबन दो साल की अवधि में ही आयोग में 250 से अधिक प्रकार की सीधी भर्तियां (केवल साक्षात्कार) हो गईं। यानी, आयोग को एक भर्ती पूरी करने में तीन दिन भी नहीं लगे। इतना ही नहीं इस दौरान आयोग ने पीसीएस की चार भर्तियां समेत कई अन्य परीक्षाओं के भी परिणाम घोषित किए। इसे लेकर प्रतियोगियों ने आपत्ति जताई है। उनका आरोप है कि आयोग ने एक खास जाति तथा क्षेत्र के लोगों की भर्ती के लिए इतनी जल्दबाजी दिखाई। पीसीएस की तीन तथा 29 तरह की सीधी भर्तियों में एक खास वर्ग के लोगों को भर्ती किए जाने को लेकर प्रतियोगियों ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल कर रखी है। सीधी भर्ती में तो आयोग ने ओबीसी के निर्धारित सीट से भी अधिक विशेष जाति के लोगों को सफल घोषित किया है। प्रतियोगियों ने अन्य भर्तियों में भी धांधली के आरोप लगाए हैं। हालांकि, आयोग ने अब चयनितों का नाम देना बंद कर दिया है।
आयोग की ओर से हाईकोर्ट में डॉ. अनिल यादव के अध्यक्ष बनने के बाद हुई भर्तियों का विवरण भी दिया है। उपलब्धियां गिनाते हुए आयोग की ओर से बताया गया है कि इस दौरान 250 से अधिक तरह की भर्तियां की गईं। इसमें 2005 में विज्ञापित पद भी शामिल हैं। इसमें पुलिस विभाग में सहायक निदेशक लाई डिटेक्टर, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, राजकीय महाविद्यालयों में प्रवक्ता, अवर अभियंता, खान निरीक्षक समेत कई तरह के पदाें की सीधी भर्तियां शामिल हैं।
इसके विपरीत प्रतियोगियों का आरोप है कि आयोग ने एक विशेष जाति के लोगों को भरने के लिए यह अभियान चला रखा है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से दाखिल पीआईएल में सीधी भर्ती की 29 नियुक्तियां शामिल की गईं हैं। उनका कहना है कि इसमें ओबीसी की सीट की 156.66 प्रतिशत यानी, डेढ़ गुना से भी अधिक एक जाति के लोगों की नियुक्ति हुई है। इसी आधार पर उन्होंने पीसीएस की तीन तथा लोअर सबऑर्डिनेट की दो भर्तियों को भी पीआईएल में शामिल किया है। आयोग ने लोअर सबऑर्डिनेट-2008 और 2009 की मार्कशीट अभी तक जारी नहीं की है।
प्रतियोगियों का दावा है कि शासन से एकत्रित जानकारी के अनुसार लोअर सबऑर्डिनेट-2008 में चयनित विशेष जाति के 82 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 34 से 36 अंक मिले हैं। पीआईएल दाखिल करने वाले अवनीश पांडेय का कहना है कि विरोध के बाद आयोग ने सफल अभ्यर्थियों का नाम देना बंद कर दिया है। यह सब आयोग ने जानबूझकर किया जिससे कि धांधली सामने न आने पाए।
ओबीसी की सीट से भी अधिक एक जाति के अभ्यर्थियों का चयन
प्रतियोगियों ने पीआईएल में दिया 29 तरह की सीधी भर्ती का विवरण
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