पीसीएस-प्री में गलत सवाल पूछे जाने का मामला
इलाहाबाद। पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2015 में गलत प्रश्न पूछे जाने के मामले में लोक सेवा आयोग द्वारा जवाब दाखिल करने में की जा रही हीलाहवाली पर अदालत ने नाराजगी जताई है। इस मामले को लेकर अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल की है। इस पर कोर्ट ने आयोग को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
बुधवार को प्रकरण की सुनवाई के दौरान याची के वकील ने बताया के उनकी ओर से आयोग को सात बार नोटिस भेजा जा चुका है इसके बावजूद कोई उत्तर नहीं दिया जा रहा है।
याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ आयोग द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए उसे दो सप्ताह का और समय दिया है। वकील आलोक मिश्र के अनुसार कोर्ट ने कहा है कि यदि जवाब दाखिल नहीं होता है तो सचिव स्वयं उपस्थित होकर इस मामले में स्पष्टीकरण दें। उल्लेखनीय है कि पीसीएस प्री 2015 परीक्षा का परिणाम पांच जून को घोषित किया गया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि प्रारंभिक परीक्षा में कुछ प्रश्नों के विकल्प में गलत उत्तर दिए गए हैं। जिसकी वजह से उनके प्राप्तांक में दस अंकों तक का अंतर आ रहा है। कोर्ट के आदेश पर आयोग ने 18 जून को आंसर की जारी की। आंसर की देखने से प्रश्नों के जवाब गलत होने की पुष्टि हुई, इसके बावजूद आयोग ने बिना संशोधन रिजल्ट जारी किए मुख्य परीक्षा करवा ली।
दो सप्ताह में जवाब दें, नहीं तो सचिव स्वयं हों हाजिर
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इलाहाबाद। पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2015 में गलत प्रश्न पूछे जाने के मामले में लोक सेवा आयोग द्वारा जवाब दाखिल करने में की जा रही हीलाहवाली पर अदालत ने नाराजगी जताई है। इस मामले को लेकर अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल की है। इस पर कोर्ट ने आयोग को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
बुधवार को प्रकरण की सुनवाई के दौरान याची के वकील ने बताया के उनकी ओर से आयोग को सात बार नोटिस भेजा जा चुका है इसके बावजूद कोई उत्तर नहीं दिया जा रहा है।
याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति अरुण टंडन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ आयोग द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए उसे दो सप्ताह का और समय दिया है। वकील आलोक मिश्र के अनुसार कोर्ट ने कहा है कि यदि जवाब दाखिल नहीं होता है तो सचिव स्वयं उपस्थित होकर इस मामले में स्पष्टीकरण दें। उल्लेखनीय है कि पीसीएस प्री 2015 परीक्षा का परिणाम पांच जून को घोषित किया गया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि प्रारंभिक परीक्षा में कुछ प्रश्नों के विकल्प में गलत उत्तर दिए गए हैं। जिसकी वजह से उनके प्राप्तांक में दस अंकों तक का अंतर आ रहा है। कोर्ट के आदेश पर आयोग ने 18 जून को आंसर की जारी की। आंसर की देखने से प्रश्नों के जवाब गलत होने की पुष्टि हुई, इसके बावजूद आयोग ने बिना संशोधन रिजल्ट जारी किए मुख्य परीक्षा करवा ली।
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