जांच में 57 अभ्यर्थियों की बीएड व स्नातक की कुल 114 मार्कशीट फर्जी निकलीं : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Latest updates

जागरण संवाददाता, लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट बनाने का धंधा जोरों पर है और इस काम में बड़ा गिरोह सक्रिय है। फर्जी मार्कशीट मिलने से लविवि की साख को बट्टा भी लग रहा है मगर वह एसटीएफ को जांच के लिए पत्र लिखकर खामोश बैठ गया है। जांच शुरू न हो पाने के कारण ही फर्जीवाड़ा करने वालों के हौसले बुलंद हैं और आए दिन फर्जी मार्कशीट के मामले सामने आ रहे हैं।
यह हालत तब है जब खुद लविवि में प्रारंभिक जांच में विवि की स्टेशनरी का प्रयोग और यहां किसी की सांठगांठ से खेल होने पर शक जताया गया था, लेकिन जांच ठंडे बस्ते में है।

लविवि में मंगलवार को 114 फर्जी मार्कशीट पाए जाने के मामले के बाद यह साफ हो गया है कि पूरे प्रदेश में शिक्षक भर्ती, अनुदेशक भर्ती व अन्य सरकारी नौकरियों में धड़ल्ले से फर्जी मार्कशीट लगाने का काम जारी है। सिर्फ एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में ही 417 फर्जी मार्कशीट निकल चुकी हैं। वहीं अनुदेशक और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में स्नातक व बीपीएड की करीब 300 से अधिक फर्जी मार्कशीट लखीमपुर खीरी व अन्य जिलों में निकल चुकी हैं। ऐसे में अप्रैल से लेकर अगस्त तक कुल 717 से अधिक फर्जी मार्कशीट पकड़े जाने से साफ है कि करने वाला कोई गिरोह सक्रिय है मगर इन सबके बावजूद जांच को गति नहीं मिल पा रही। लविवि ने मई में इस प्रकरण की जांच के लिए तत्कालीन डीन फैकल्टी ऑफ लॉ प्रो.आरआर लायल की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई मगर उन्होंने जांच करने में असमर्थता जता दी। इसके बाद विश्वविद्यालय ने सीधे एसटीएफ को पत्र लिखकर फर्जीवाड़े की जांच करने की सिफारिश की। लविवि के प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय कहते हैं कि हम फिर से एसटीएफ को पत्र लिखेंगे और अब विश्वविद्यालय जांच के काम में तेजी लाएगा।

मार्कशीट की जांच में सक्रियता मगर फर्जीवाड़े पर सुस्ती : लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग ने एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती, प्राइमरी शिक्षक भर्ती और अनुदेशकों की भर्ती में लगाई गई मार्कशीट की जांच में काफी सक्रियता दिखाई। खुद परीक्षा नियंत्रक एसके शुक्ला की पहल पर प्रत्येक मार्कशीट की जांच के दो हजार रुपए माध्यमिक शिक्षा विभाग के लिए माफ कर दिए गए। इसके बाद मार्कशीट की जांच में और तेजी आ गई मगर विश्वविद्यालय प्रशासन इस पूरे प्रकरण के फर्जीवाड़े की जांच में सक्रियता नहीं दिखा पा रहा।

अभी लविवि की फर्जी मार्कशीट बनाना सबसे आसान : लविवि की मार्कशीट पर सुरक्षा के उपाय न होने के कारण धंधेबाजों के लिए यहां की मार्कशीट बनाना सबसे आसान है। यही कारण है कि सिर्फ पांच हजार रुपये में ही धंधेबाज फर्जी मार्कशीट तैयार कर देते हैं। फिलहाल फर्जीवाड़े से सबक लेकर अब लविवि प्रशासन सुरक्षा के कड़े उपाय कर रहा है। इसके तहत बार कोड, होलोग्राम जैसे करीब नौ उपाय मार्कशीट पर किए जा रहे हैं।

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