- माध्यमिक शिक्षा मंत्री से लेकर विभाग व यूनिवर्सिटी सभी ने साधी चुप्पी
- अभी तक एलयू में ही पकड़ी गई 570 से अधिक फर्जी मार्कशीट्स
- शासन ने एलटी ग्रेड की नियुक्ति पत्र भी जारी करना शुरू कर दिया
LUCKNOW: राजकीय स्कूल में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए प्रदेश के सभी मंडलों में चल रही एलटी ग्रेड की भर्ती प्रक्रिया ही पूरी तरह से संदेह के घेरे में आ गई है. लखनऊ, इलाहाबाद, मेरठ, मिर्जापुर जैसे मंडलों में फर्जी मार्कशीट्स के सहारे आवेदन करने का मामला सामने आ चुका है.
इसके बाद भी इतने बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े के बाद भी सरकार की नींद नहीं खुली है. इस मामले पर जांच के आदेश तो दूर फर्जीवाड़े में शामिल आरोपी कैंडीडेट्स के खिलाफ कार्रवाई करने तक से बच रही है. जबकि शासन में पेश हुए रिपोर्ट में एलटी ग्रेड में बडे़ स्तर पर फर्जी मार्कशीट्स के प्रयोग करने का खुलासा हो चुका है.
चहेतों को नौकरी दिलाने की साजिश
वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ के चंदेल गुट के प्रवक्ता डॉ. महेंद्र नाथ राय का कहना है कि यह पूरे सिस्टम पर ही सवालिया निशान लगा रही है. सरकार व विभाग को अब फर्जीवाड़े के कितने सबूत चाहिए की वह आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करें. अभी तक एलटी ग्रेड में स्टेट के लगभग सभी यूनिवर्सिटी से इस भर्ती प्रक्रिया में यूज किए गए मार्कशीट्स के फर्जी होने के सबूत मिल चुके है. यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड भी इसकी पुष्टि करते हैं इसके बाद भी अभी तक इतने बड़े प्रकरण में सबकी चुप्पी कायम है. इससे तो बस एक ही बात है सरकार व विभाग इस भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से अपने चहेतों को नौकरी दिलाना चाह रही है. जबकि यहां 570 फर्जी मार्कशीटें पकड़ी जा चुकी हैं.
माध्यमिक शिक्षा मंत्री का आदेश हवा में
पूरे प्रदेश के मंडलों में हो रही एलटी ग्रेड की भर्ती प्रक्रिया में करीब 27 लाख आवेदन फॉर्म्स में आए थे. जिसमें से अभी तक एक तिहाई कैंडीडेट्स के डॉक्यूमेंट फर्जी होने की संभावना माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी जता चुके है. इसे लेकर स्टेट के सभी मंडलों के जेडी ने आवेदन फॉर्म्स के वेरीफिकेशन कराने की मांग की थी. इसके बाद से विभाग ने कैंडिडेट्स के डॉक्यूमेंट्स की जांच के लिए यूनिवर्सिटी से वेरीफिकेशन कराना शुरू किया. बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला पकड़ में आने के बाद माध्यमिक शिक्षा मंत्री महबूब अली ने सभी मंडलों से फर्जी मामलों की रिपोर्ट मांगने के साथ ही मामले की विशेष जांच कराने की बात कही थी. आलम यह है कि इस भर्ती प्रक्रिया में कैंडीडेट्स को नियुक्ति पत्र भी मिलना शुरू हो चुकी है. पर अभी तक न तो मंत्री जो इस फर्जीवाड़े के जांच कराने की याद आई है और न ही सरकार को. वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन इस मामले की जांच एसटीएफ से कराने की मांग शासन से कराकर चुप बैठ गई है.
एसटीएफ जांच के लिए लेटर भेज काम खत्म
लखनऊ यूनिवर्सिटी ने कई फर्जी मार्कशीटें पकड़े जाने के बाद फर्जी मार्कशीट बनाने के बड़े रैकेट की आशंका के बाद मामले की जांच एसटीएफ से कराने के लिए शासन को लेटर भेजा था. वहीं दूसरी ओर इस पर एलयू में डीन लॉ रहे प्रो. आरआर लॉयल की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी. वहीं इसकी जांच एसटीएफ से कराने के लिए प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र भी लिखा था. फर्जीवाड़ा बड़ा होने पर इसका रिमाइंडर भी भेजा गया था. इसके बाद भी अभी तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. खुद एलयू की ही जांच कमेटी की एक भी बैठक नहीं हो पाई है.
570 पहुंचा एलयू का आंकड़ा
फर्जी मार्कशीट मामले में यूनिवर्सिटी अकेले लखनऊ मंडल की 303 मार्कशीट्स को फर्जी बता चुकी है. इसके अलावा लखीमपुर में अनुदेशक भर्ती में 121, इलाहाबाद में 8, मेरठ में 21 और मिर्जापुर से जांच के लिए आई 114 मार्कशीटों को फर्जी बता चुकी है.
एलयू में कमेटी की मीटिंग क्यों नहीं हुई इस पर बात करेंगे. वहीं मामले की विशेष जांच के लिए प्रमुख सचिव से मिलेंगे. यह पूरा मामला हमारी साख से जुड़ा है.
प्रो. एसबी निमसे, वीसी एलयू
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