न मिला मानदेय तो होगा आंदोलन
मऊ : सात माह बीतने के बाद भी आज तक टीईटी उत्तीर्ण प्रशिक्षु शिक्षकों को मानदेय के नाम पर एक धेला भी नहीं मिला। इससे उन्हें घोर आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। प्रतिदिन न्यूनतम लगभग एक सौ रुपये खर्च करके आ-जा रहे शिक्षकों की तंगहाली के दबाव से अब उनका धैर्य जवाब देने लगा है। रोज-रोज के विभागीय आश्वासनों से तंग आकर उन्होंने अब आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
इसके लिए उन्होंने पूरी रणनीति भी तैयार कर ली है।
रविवार को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में हुई टीईटी संघर्ष मोर्चा की बैठक में इस योजना पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में मोर्चा के जिलाध्यक्ष रणवीर ¨सह ने कहा कि सात माह बीतने के बाद भी हमें मानदेय नहीं मिला। जबकि सभी जनपदों में छह माह का मानदेय सभी प्रशिक्षु शिक्षकों को दिया जा चुका है।
जनपद के प्रशिक्षु शिक्षक जब भी इस संबंध में यहां के बीएसए से बात करते हैं तो वे केवल आश्वासन ही देते हैं, मानदेय नहीं। मानदेय न मिलने के कारण प्रशिक्षु शिक्षक पूरी तरह से आर्थिक संकट झेल रहे हैं। हालात अब भुखमरी की कगार तक आ पहुंचे हैं। जबकि प्रत्येक प्रशिक्षु शिक्षक को प्रतिदिन विद्यालय आने-जाने में एक सौ रुपये से अधिक खर्च होते हैं।
उन्होंने कहा कि अब इस मसले पर विभागीय अधिकारियों की बातों का भरोसा नहीं रह गया है। उनसे गुहार लगाते हम लोग थक चुके हैं। इस संबंध में शीघ्र ही एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मिलेगा। उनसे शिक्षाधिकारियों की लापरवाही के कारण मानदेय भुगतान में जान-बूझकर की जा रही देरी पर वार्ता की जाएगी। तब भी अगर भुगतान न हुआ तो सभी प्रशिक्षु शिक्षक कलेक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन को बाध्य होंगे।
अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। मोर्चा की उपाध्यक्ष दीप्ति ¨सह ने कहा कि मानदेय हमारा हक है, इसे हम लेकर रहेंगे। जिले के शिक्षाधिकारी नहीं चाहते कि हमें मानदेय मिले, इसके लिए हमें आंदोलन शुरू करना होगा। इस मौके पर सुनील कुमार, राजेश मिश्र, गंगासागर, मनोज यादव, सीमा, सविता यादव, विवेक ¨सह, फखरे आलम, पंकज, मुहम्मद अहमद आदि उपस्थित थे।
मऊ : सात माह बीतने के बाद भी आज तक टीईटी उत्तीर्ण प्रशिक्षु शिक्षकों को मानदेय के नाम पर एक धेला भी नहीं मिला। इससे उन्हें घोर आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। प्रतिदिन न्यूनतम लगभग एक सौ रुपये खर्च करके आ-जा रहे शिक्षकों की तंगहाली के दबाव से अब उनका धैर्य जवाब देने लगा है। रोज-रोज के विभागीय आश्वासनों से तंग आकर उन्होंने अब आंदोलन करने का निर्णय लिया है।
इसके लिए उन्होंने पूरी रणनीति भी तैयार कर ली है।
रविवार को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में हुई टीईटी संघर्ष मोर्चा की बैठक में इस योजना पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में मोर्चा के जिलाध्यक्ष रणवीर ¨सह ने कहा कि सात माह बीतने के बाद भी हमें मानदेय नहीं मिला। जबकि सभी जनपदों में छह माह का मानदेय सभी प्रशिक्षु शिक्षकों को दिया जा चुका है।
जनपद के प्रशिक्षु शिक्षक जब भी इस संबंध में यहां के बीएसए से बात करते हैं तो वे केवल आश्वासन ही देते हैं, मानदेय नहीं। मानदेय न मिलने के कारण प्रशिक्षु शिक्षक पूरी तरह से आर्थिक संकट झेल रहे हैं। हालात अब भुखमरी की कगार तक आ पहुंचे हैं। जबकि प्रत्येक प्रशिक्षु शिक्षक को प्रतिदिन विद्यालय आने-जाने में एक सौ रुपये से अधिक खर्च होते हैं।
उन्होंने कहा कि अब इस मसले पर विभागीय अधिकारियों की बातों का भरोसा नहीं रह गया है। उनसे गुहार लगाते हम लोग थक चुके हैं। इस संबंध में शीघ्र ही एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मिलेगा। उनसे शिक्षाधिकारियों की लापरवाही के कारण मानदेय भुगतान में जान-बूझकर की जा रही देरी पर वार्ता की जाएगी। तब भी अगर भुगतान न हुआ तो सभी प्रशिक्षु शिक्षक कलेक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन को बाध्य होंगे।
अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। मोर्चा की उपाध्यक्ष दीप्ति ¨सह ने कहा कि मानदेय हमारा हक है, इसे हम लेकर रहेंगे। जिले के शिक्षाधिकारी नहीं चाहते कि हमें मानदेय मिले, इसके लिए हमें आंदोलन शुरू करना होगा। इस मौके पर सुनील कुमार, राजेश मिश्र, गंगासागर, मनोज यादव, सीमा, सविता यादव, विवेक ¨सह, फखरे आलम, पंकज, मुहम्मद अहमद आदि उपस्थित थे।
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