आधे-अधूरे कोर्स के बीच ही कराई जा रहीं परीक्षाएं
करनैलगंज (गोंडा)। अलग-अलग समय पर कराए गए पंचायत चुनाव से सरकारी स्कूलों की पठन-पाठन व्यवस्था चौपट हो गई है। पहली बार डीडीसी और बीडीसी का चुनाव हुआ तो अब ग्राम प्रधानी व पंचायत सदस्यों के चुनाव से सरकारी स्कूलों की पढ़ाई चौपट होने की कगार पर है।
आधे-अधूरे कोर्स के बीच ही वार्षिक परीक्षाओं को संपन्न कराने की तैयारी हो रही है। मतदाता सूची से लेकर मतगणना तक कराने की जिम्मेदारी निभाने वाले मास्टर साहब बच्चों को पढ़ाने को मौका ही नहीं पाते तो कोर्स कैसे पूरा होगा।
करनैलगंज तहसील में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत का चुनाव ऐसे समय पर हुआ, जब स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षाओं का आयोजन होना था। परिषदीय विद्यालयों को ही मतदान केंद्र बनाया जाता है। एक व दो नवंबर को मतगणना के बाद कुछ विद्यालयों में आनन-फानन में परीक्षाएं अधूरे कोर्स के बीच ही निपटा ली गईं। वहीं, आधे से अधिक स्कूलों में परीक्षाएं सोमवार से प्रारंभ होनी हैं। एक बार फिर पंचायत चुनाव का दूसरा चरण प्रधान एवं ग्राम पंचायत सदस्य चुनाव का शुरू हो गया है। इस चुनाव में परिषदीय, प्राथमिक व जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को मतदाता सूची पुनरीक्षण से लेकर मतदान कराने व मतगणना कराने तक की ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता क्या होगी। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
क्या कहते हैं शिक्षक
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
करनैलगंज (गोंडा)। अलग-अलग समय पर कराए गए पंचायत चुनाव से सरकारी स्कूलों की पठन-पाठन व्यवस्था चौपट हो गई है। पहली बार डीडीसी और बीडीसी का चुनाव हुआ तो अब ग्राम प्रधानी व पंचायत सदस्यों के चुनाव से सरकारी स्कूलों की पढ़ाई चौपट होने की कगार पर है।
आधे-अधूरे कोर्स के बीच ही वार्षिक परीक्षाओं को संपन्न कराने की तैयारी हो रही है। मतदाता सूची से लेकर मतगणना तक कराने की जिम्मेदारी निभाने वाले मास्टर साहब बच्चों को पढ़ाने को मौका ही नहीं पाते तो कोर्स कैसे पूरा होगा।
करनैलगंज तहसील में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत का चुनाव ऐसे समय पर हुआ, जब स्कूलों में अर्धवार्षिक परीक्षाओं का आयोजन होना था। परिषदीय विद्यालयों को ही मतदान केंद्र बनाया जाता है। एक व दो नवंबर को मतगणना के बाद कुछ विद्यालयों में आनन-फानन में परीक्षाएं अधूरे कोर्स के बीच ही निपटा ली गईं। वहीं, आधे से अधिक स्कूलों में परीक्षाएं सोमवार से प्रारंभ होनी हैं। एक बार फिर पंचायत चुनाव का दूसरा चरण प्रधान एवं ग्राम पंचायत सदस्य चुनाव का शुरू हो गया है। इस चुनाव में परिषदीय, प्राथमिक व जूनियर स्कूलों के शिक्षकों को मतदाता सूची पुनरीक्षण से लेकर मतदान कराने व मतगणना कराने तक की ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता क्या होगी। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
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