कोर्ट के 105/90 या अधिक वालों का प्रत्यावेदन माँगा है जिसकी कोई जरुरत नहीं थी सभी रिकॉर्ड बेसिक विभाग के पास उपलब्ध है .....अगर कोर्ट को कुछ मागना था तो 2011 से 2015 तक की टेंशन, टूटे खुआवों का हिसाब , परिवार वालों की टूटटी उम्मीद,फॉर्म और केस लड़ने के लिए उधारी , 4 सालों से झेली जा रही जलालत , कोर्ट के भागदौड़ में फटे जूतों
और कपड़ों के रिकॉर्ड के साथ साथ लाठी चार्ज में लगी चोटों का हिसाब भी माँगना था ।
ये सभी कर्ज तो फिर भी चुकाये जा सकते हैं पर इस लड़ाई में हमारे jo साथी साथ छोड़ कर चले गये उनका कर्ज कैसे चुकाया जायेगा ।
अगर प्रत्यावेदन सिर्फ 72825 के लिए मांगे जा रहे हैं तो ये बेरोजगारों के साथ बहुत घिनौना मजाक होगा , न्याय पालिका को ईश्वर के तुल्य मानना जाता है और ईश्वर अपनी संतानों के साथ कभी मजाक नहीं करता ऐसी ही उम्मीद है , क्यूं कि भगवान् के यहाँ देर है अंधेर नहीं ।