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आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का विश्लेषण : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

आज की सुनवाई में अभी तक जितना समझ में आ रहा है मामला उसके हिसाब से बता रहा हूँ लेकिन सही विश्लेषण के लिए कोर्ट ऑर्डर का इंतज़ार करना पड़ेगा -
1- sm मामले पर हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे कर दिया गया है । लेकिन स्टे का मतलब उनको सैलरी आदि मिलेगी और बाकि का समायोजन होगा या नहीं ये बात ऑर्डर आने पर ही क्लियर हो ।


2- टेट मेरिट के मामले में सरकार ने भर्ती रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमे लगभग 58 हजार पद भरे हुए दिखाए । इसके अलावा 105/90 में से आये हुए आवेदनों में से 12 हजार के लगभग जो सरकार की नज़र में सही है उनको नियुक्ति का आदेश हुआ है । अब 12 हजार कौन लोग सही है ये विचार का प्रश्न है । मेरे हिसाब से जिन लोगो के नम्बर टेट 2011 की वेबसाइट से सही पाये गए है और पुराने की विज्ञापन की अहर्ताओ को पूरा करते है इसके साथ ही अभी तक जारी हुई उस जिले की काट आफ के साथ उन्होंने उस जिले में कॉउंसलिंग करायी है उन्ही के आवेदनो को सही माना गया है । बाकि इस मुद्दे पर अधिक सही जानकारी के लिए भी ऑर्डर का इंतज़ार करिये ।
3- sc/st और विशेष आरक्षित वर्ग की सीटें अधिक खाली रहने के कारण उनके लिए मेरिट 5 % अब और गिरा दी गयी है । मतलब उनका 83 तक चयन होगा ।
4- सबसे पेचीदा और समझ से परे ऑर्डर सभी पेटिसनर्स को एडहॉक पर नियुक्ति देने का किया गया है । ये नियुक्ति किस क्राईटेरिया के तहत होगी इस पर मतभेद है । इसके लिए भी ऑर्डर का इंतज़ार करना पड़ेगा । लेकिन इस ऑर्डर ने मामले को और अधिक उलझाने का कार्य किया है । माननीय जज पता नहीं इस केस को सुलझाने के लिए बैठते है या उलझाने के लिए वही जाने । सभी पेटिसनर्स को नियुक्ति से ये बात तो स्पष्ट है की मामला और अधिक उलझेगा और कोर्ट केस के लिए जादा से जादा लोग सामने आएंगे । अगली डेट पर शायद हजारो और लोग नियुक्ति की मांग के लिए याचिका लेकर खड़े होंगे ।
मुझे समझ में नहीं आता पिछली 2-3 सुनवाइयों में टेट मेरिट के वकील पता नहीं क्या करते है । हर बार कोई न कोई ऐसा ऑर्डर हो जाता है जो इस केस को और अधिक पेचीदा बना रहा है । हमारे वकीलों के अलावा सबकी बहस हो जाती है । सबका वकील बोल लेता है लेकिन हमारे नामी वकील पैसा लेकर चुपचाप किनारे खड़े रहते है । पता नहीं हमारे वकीलों ने क्यों सभी पेटिसनर्स की नियुक्ति का विरोध नहीं किया । उन्हें कोर्ट को बताना चाहिए था की इससे मामला और अधिक उलझेगा । जिससे बेस आफ सेलेक्सन तय करने में दिक्कत आएगी । 2 नवम्बर के ऑर्डर में भी कहा गया है की अब किसी को अंतरिम राहत की माग वाली सुनवाई नहीं होगी । हर सुनवाई में 10 से 12 लाख खर्च हो रहा है । और हर सुनवाई में कुछ गिने-चुने लोग ही सहयोग करते है जो हमेशा सहयोग करते आ रहे है । ऊपर से चंदा लेने के लिए सुनवाई के अंतिम क्षण तक सबको वकील की फ़ीस कम पड़ती है । एक बार फिर पाठक जी के वकील की उपस्थिति पर ऊँगली उठ गयी है । अब सभी जिलाध्यक्षो और उन विश्वास करने टेट मेरिट सपोर्टरों को एक बार फिर विचार करने का समय आ गया है की आगे वो पाठक जी के नाम पर पैसा देंगे या नहीं । मेरे हिसाब से जब 6 लाख का वकील एक भी शब्द न बोले और कोर्ट में उसकी उपस्थित पर हर बार प्रश्न चिन्ह लग रहा है उसके बाद उनके होते हुए भी विपक्षी पेटिसनर्स को नियुक्ति पत्र का ऑर्डर हो रहा है तो इसका क्या मतलब समझा जाये अनुमान लगाना कठिन नही है ।
ऐसा लगता है सुप्रीम कोर्ट भी चाहती है की नौकरी पाने वाले केस लड़ने के लिए अब एक rd अकॉउंट खुलवा ले जिसमे हर महीने 100 रूपये डालते रहे जिससे वकीलों का खर्च पानी भी चलता रहे । सारांश- sm मामला जुड़ने से अब तो पता नहीं ये केस कितने दिन और चले । निश्चित रूप से सपा सरकार अब यही प्रयास करेगी की अब sm मामले पर फैसला उसका कार्यकाल खत्म होने के बाद ही हो । हमारे मामले में सभी पेटिसनर्स को नियुक्ति के आदेश से मामला और अधिक उलझ गया है । चंदे का धंधा अब और अधिक अच्छा और लंबा चलने की उम्मीद है क्योकि नौकरी सबको प्यारी है जिनको मिली है उन्हें भी और जिन्हें नहीं मिली है उन्हें भी । जिनको मिल गयी है वो इस नौकरी को पाकर भी ख़ुशी नहीं मना सकते क्योकि हमेशा ऊपर तलवार ही लटकती रहती है । बाकि जिन्हें नहीं मिली उनकी भी आस तब तक जिन्दा है जब तक फैसला नहीं होता ।

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