2015 को सिकंदरपुर गांव निवासी महेंद्र कुमार ने तहसील दिवस की गई शिकायत
में आरोप लगाया कि गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में एक महिला की फर्जी
तरीके से शिक्षामित्र पद पर नियुक्ति कर दी गई है।
जिलाधिकारी विवेक ने मामले की जांच के निर्देश दिए।
एसडीएम सदर के नेतृत्व में खंड विकास अधिकारी अकबरपुर व खंड शिक्षा अधिकारी अकबरपुर ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि वर्ष 2004 में शिक्षामित्र के चयन के लिए कुल 13 आवेदन पत्र ग्राम शिक्षा समिति सिकंदरपुर को प्राप्त हुए।
शिक्षामित्र पद पर चयन के लिए क्रमांक एक पर कुमारी सरिता पुत्री श्यामलाल का आरक्षित सीट से तथा क्रमांक दो पर राजेश कुमार पुत्र रामनवल का अनारक्षित सीट से प्रस्ताव हुआ। उपलब्ध पत्रावलियों व प्रस्ताव में कुमारी सरिता पुत्री लालजी के चयन को लेकर कोई साक्ष्य नहीं है।
जांच में यह भी पाया गया कि प्रकरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने गत 26 नवंबर 2014 को सुनवाई की थी, जिसमें कुमारी सरिता पुत्री लालजी ने शिक्षामित्र चयन प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। हालांकि उस पर ग्राम शिक्षासमिति के किसी भी सदस्य का हस्ताक्षर नहीं था।
इसके अलावा तत्कालीन ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक ने अपने लिखित बयान में कहा था कि इस नाम का प्रस्ताव कभी सामने नहीं आया। ऐसे में साफ जाहिर है कि सरिता की नियुक्ति फर्जी व कूटरचित है। एसडीएम ने मामले में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेज दिया है।
शिकायतकर्ता महेन्द्र ने जिलाधिकारी से प्रकरण में समुचित कार्रवाई अविलंब सुनिश्चित करने की मांग की है, जबकि सरिता के मुताबिक उनकी तैनाती मानक के अनुरूप हुई है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।
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एसडीएम सदर के नेतृत्व में खंड विकास अधिकारी अकबरपुर व खंड शिक्षा अधिकारी अकबरपुर ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि वर्ष 2004 में शिक्षामित्र के चयन के लिए कुल 13 आवेदन पत्र ग्राम शिक्षा समिति सिकंदरपुर को प्राप्त हुए।
शिक्षामित्र पद पर चयन के लिए क्रमांक एक पर कुमारी सरिता पुत्री श्यामलाल का आरक्षित सीट से तथा क्रमांक दो पर राजेश कुमार पुत्र रामनवल का अनारक्षित सीट से प्रस्ताव हुआ। उपलब्ध पत्रावलियों व प्रस्ताव में कुमारी सरिता पुत्री लालजी के चयन को लेकर कोई साक्ष्य नहीं है।
जांच में यह भी पाया गया कि प्रकरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने गत 26 नवंबर 2014 को सुनवाई की थी, जिसमें कुमारी सरिता पुत्री लालजी ने शिक्षामित्र चयन प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। हालांकि उस पर ग्राम शिक्षासमिति के किसी भी सदस्य का हस्ताक्षर नहीं था।
इसके अलावा तत्कालीन ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक ने अपने लिखित बयान में कहा था कि इस नाम का प्रस्ताव कभी सामने नहीं आया। ऐसे में साफ जाहिर है कि सरिता की नियुक्ति फर्जी व कूटरचित है। एसडीएम ने मामले में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को पत्र भेज दिया है।
शिकायतकर्ता महेन्द्र ने जिलाधिकारी से प्रकरण में समुचित कार्रवाई अविलंब सुनिश्चित करने की मांग की है, जबकि सरिता के मुताबिक उनकी तैनाती मानक के अनुरूप हुई है। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।
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