ऐसा नहीं है कि 2015 की ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी टीईटी) में ही
सफलता का ग्राफ काफी नीचे आया है बल्कि 2013 में तो सफल अभ्यर्थियों की
संख्या इस बार से भी कम रही है।
हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है, लेकिन परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी एवं उनकी सफलता दोनों का ग्राफ गिर रहा है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में एनसीटीई के निर्देश लागू होने के बाद से शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य है। पहली बार सूबे में 2011 में यह परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कराई, उसमें अब तक के रिकॉर्ड में सर्वाधिक अभ्यर्थी शामिल हुए और उसी के सापेक्ष उन्हें सफलता भी मिली। इसके बाद से यह इम्तिहान परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश करा रहा है। परीक्षा नियामक ने अब तीसरा इम्तिहान कराया है और इसमें शामिल होने वाले अभ्यर्थी बढ़ रहे हैं, पर ग्राफ 2011 को पार नहीं कर सका है। ऐसे ही परीक्षा परिणाम भी अधिकतम 24.99 तक ही पहुंचा है। इसकी मुख्य वजह स्तरीय प्रश्नपत्र का होना एवं परीक्षार्थियों की लचर तैयारी ही है। हालत यह है कि परीक्षार्थी ओएमआर शीट में अपने से जुड़ी सारी सूचनाएं तक नहीं भर रहे हैं। इससे असफल अभ्यर्थियों का आंकड़ा बढ़ रहा है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव नीना श्रीवास्तव ने कहा कि टीईटी परीक्षा में नियमों एवं प्रश्नपत्र की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया गया है।
सवाल कठिन नहीं थे बल्कि युवाओं की तैयारी करने में कहीं न कहीं कमी रही होगी।=2011 : 11 लाख 53 हजार 155 अभ्यर्थी पंजीकृत, 11 लाख 21 हजार 310 परीक्षा में शामिल, पांच लाख 72 हजार 599 (51.06 फीसद) सफल 1=2013 : सात लाख 65 हजार 673 अभ्यर्थी पंजीकृत, सात लाख 22 हजार 566 परीक्षा में शामिल, एक लाख दो हजार 755 (14.22 फीसद) सफल 1=2014 : आठ लाख 48 हजार 986 अभ्यर्थी पंजीकृत, सात लाख 78 हजार 807 परीक्षा में शामिल, एक लाख 94 हजार 700 (24.99) सफल 1=2015 : नौ लाख 30 हजार 168 अभ्यर्थी पंजीकृत, आठ लाख 60 हजार 57 परीक्षा में शामिल, एक लाख 46 हजार 415 (17 फीसद) सफल 1(वर्ष 2012 में टीईटी परीक्षा का आयोजन नहीं हुआ)62011 में सबसे अधिक अभ्यर्थी बैठे और आधे से अधिक उत्तीर्ण हुए 162013 में तो महज 14 फीसद युवा ही उत्तीर्ण कर सके थे परीक्षा
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हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है, लेकिन परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी एवं उनकी सफलता दोनों का ग्राफ गिर रहा है।
बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में एनसीटीई के निर्देश लागू होने के बाद से शिक्षक बनने के लिए टीईटी अनिवार्य है। पहली बार सूबे में 2011 में यह परीक्षा माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कराई, उसमें अब तक के रिकॉर्ड में सर्वाधिक अभ्यर्थी शामिल हुए और उसी के सापेक्ष उन्हें सफलता भी मिली। इसके बाद से यह इम्तिहान परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश करा रहा है। परीक्षा नियामक ने अब तीसरा इम्तिहान कराया है और इसमें शामिल होने वाले अभ्यर्थी बढ़ रहे हैं, पर ग्राफ 2011 को पार नहीं कर सका है। ऐसे ही परीक्षा परिणाम भी अधिकतम 24.99 तक ही पहुंचा है। इसकी मुख्य वजह स्तरीय प्रश्नपत्र का होना एवं परीक्षार्थियों की लचर तैयारी ही है। हालत यह है कि परीक्षार्थी ओएमआर शीट में अपने से जुड़ी सारी सूचनाएं तक नहीं भर रहे हैं। इससे असफल अभ्यर्थियों का आंकड़ा बढ़ रहा है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव नीना श्रीवास्तव ने कहा कि टीईटी परीक्षा में नियमों एवं प्रश्नपत्र की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया गया है।
सवाल कठिन नहीं थे बल्कि युवाओं की तैयारी करने में कहीं न कहीं कमी रही होगी।=2011 : 11 लाख 53 हजार 155 अभ्यर्थी पंजीकृत, 11 लाख 21 हजार 310 परीक्षा में शामिल, पांच लाख 72 हजार 599 (51.06 फीसद) सफल 1=2013 : सात लाख 65 हजार 673 अभ्यर्थी पंजीकृत, सात लाख 22 हजार 566 परीक्षा में शामिल, एक लाख दो हजार 755 (14.22 फीसद) सफल 1=2014 : आठ लाख 48 हजार 986 अभ्यर्थी पंजीकृत, सात लाख 78 हजार 807 परीक्षा में शामिल, एक लाख 94 हजार 700 (24.99) सफल 1=2015 : नौ लाख 30 हजार 168 अभ्यर्थी पंजीकृत, आठ लाख 60 हजार 57 परीक्षा में शामिल, एक लाख 46 हजार 415 (17 फीसद) सफल 1(वर्ष 2012 में टीईटी परीक्षा का आयोजन नहीं हुआ)62011 में सबसे अधिक अभ्यर्थी बैठे और आधे से अधिक उत्तीर्ण हुए 162013 में तो महज 14 फीसद युवा ही उत्तीर्ण कर सके थे परीक्षा
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