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टीईटी 2011 की गायब ओएमआर शीट पर बोर्ड की मुहर: माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कराई थी प्रदेश की पहली टीईटी2011, मूल्यांकन करने वाली फर्म पर ओएमआर शीट गुम होने का मुकदमा : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

इलाहाबाद : न्यायालय में स्वीकारोक्ति के बाद अब पुलिस थाने में भी टीईटी-2011 की ओएमआर शीट गुम होने की हकीकत एफआइआर के रूप में दर्ज हो गई है। प्रदेश की पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा में वाइटनर प्रकरण
के बाद ओएमआर शीट गुम होने का राजफाश हो सका।
‘दैनिक जागरण’ ने 20 अप्रैल के अंक में इसे प्रमुखता से उजागर किया था। शासन के फरमान पर ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली फर्म के दो लोगों के विरुद्ध नामजद मुकदमा लिखाया गया है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद ने टीईटी 2011 का आयोजन किया था।

इस परीक्षा में भ्रष्टाचार समेत कई आरोप लगे। रिजल्ट जारी होने व बड़े अफसरों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सारे रिकॉर्ड जब्त कर लिये थे। जांच में पुलिस को पुख्ता सुबूत हाथ लगे कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर वाइटनर का प्रयोग हुआ। यही अभिलेख अभ्यर्थियों ने जनसूचना अधिकार के तहत हासिल किए और उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। हाईकोर्ट ने आठ अक्टूबर 2015 को बेसिक शिक्षा सचिव को निर्देश दिया कि इस प्रकरण की जांच कर वाइटनर प्रयोग करने वालों की सूची चार महीने में उपलब्ध कराए साथ ही ऐसा करने वालों पर कार्रवाई भी की जाए। सचिव ने इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखा। परिषद सचिव ने शासन को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि परिषद इस मामले की जांच नहीं कर सकता, क्योंकि टीईटी 2011 के अंकपत्र की सीडी बहुत मुश्किल से फरवरी 2015 में मिल सकी। इसके सिवा कोई अभिलेख नहीं है तो आखिर जांच हो पाना संभव नहीं है।

टीईटी 2011 की पांच लाख 96 हजार ओएमआर शीट का पुनमरूल्यांकन का अनुपालन न होने पर हाईकोर्ट ने तत्कालीन बेसिक शिक्षा सचिव आशीष कुमार गोयल को तलब किया। सचिव ने छह अप्रैल को हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल कर कहा कि टीईटी 2011 कराने वाली संस्था माध्यमिक शिक्षा परिषद के पास कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है। पांच लाख 96 हजार 733 उत्तर पुस्तिकाओं में से सिर्फ 3114 ओएमआर ही थाना अकबरपुर जिला कानपुर देहात पुलिस के पास जमा हैं।
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जिसमें से 74 ओएमआर शीट में वाइटनर लगा है। सचिव ने यह भी लिखा है कि ओएमआर शीट का मूल्यांकन करने वाली फर्म एसके प्रिंटेक डाटा क्रिएटिव सल्यूशन नई दिल्ली के पास पांच लाख 93 हजार उत्तरपुस्तिकाएं थीं, किंतु उक्त फर्म अब पते पर नहीं पाई गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि फर्म का अता-पता नहीं हैं और न ही उनसे संपर्क हो सकने की स्थिति है। अब इस मामले में शासन का निर्देश मिलने के बाद परिषद सचिव शैल यादव ने शुक्रवार को इलाहाबाद के सिविल लाइन थाने में मूल्यांकन करने वाली कंपनी के दो लोगों नीरज कुमार व विपिन कुमार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया है।
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