अंबेडकर विश्वविद्यालय के पांच हजार से अधिक बीएड डिग्री धारकों पर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी है। इन्होंने सत्र 2004-05 में फर्जी तरीके से बीएड किया था। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की जांच में
फर्जी पाए गए हैं। टीम ने विवि को सभी के रोल नंबर सौंप दिए हैं।
बीएड सत्र 2004-05 की परीक्षा में करीब 13 हजार 386 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। विवि ने सभी को मार्कशीट जारी कर दी थीं। इन्हीं मार्कशीट की बदौलत तमाम ने प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षा विभाग में नौकरियां पा लीं। करीब चार साल पहले बड़ौत में विवि की फर्जी मार्कशीट के सहारे शिक्षक भर्तियों का राज खुला। पहले सीबीसीआईडी ने जांच की। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर मामला एसआईटी को सौंपा गया। एसआईटी ने इस मामले की दो साल तक जांच की। अब टीम की जांच पूरी हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक जांच में सिर्फ 8200 असली परीक्षार्थी पाए गए। इन्होंने नियमानुसार बीएड में एडमिशन लिया था। सभी को प्रवेश पत्र जारी किए गए थे, जबकि 5186 लोग फर्जी पाए गए। इन्हें तमाम कॉलेजों में परीक्षार्थी दिखाया गया था। जांच करने पर किसी भी कॉलेज में इनका रिकार्ड नहीं मिला। यानि सभी मामले जनरेट किए गए थे। चार्टों में इनके नाम सीधे ही बढ़ा दिए गए। कुछ चार्ट बदल भी डाले गए। एसआईटी ने ऐसे सभी फर्जी बीएड धाकरों के नाम, पते, रोल नंबर और तैनाती भी विवि को उपलब्ध कराई है। अब विवि इनका रिजल्ट निरस्त करने जा रहा है। यानि रुपये देकर डिग्री लेने वाले कहीं के नहीं रहे।
छिनेगी नौकरी, जाएंगे जेल
एसआईटी भी इनके खिलाफ सख्त होने जा रही है। हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी गई है। अब इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। फर्जी डिग्रियों के सहारे शिक्षक नियुक्ति पा गए लोगों की नौकरियां जाएंगी। इनसे शासन रिकवरी भी करेगा। अधिकतर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
रडार पर हैं तमाम कर्माचारी
बीएड घोटाले में तमाम कर्मचारी भी एसआईटी के रडार पर हैं। इनमें से तीन को जेल हो चुकी है। कुछ के खिलाफ वारंट तामील हो चुके हैं। इतने दिनों तक कर्मचारियों को बचाने वाले अधिकारी भी नपेंगे। बता दें कि एसआईटी 2004 से लेकर अब तक के सभी रजिस्ट्रार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का फैसला ले चुकी है।
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फर्जी पाए गए हैं। टीम ने विवि को सभी के रोल नंबर सौंप दिए हैं।
बीएड सत्र 2004-05 की परीक्षा में करीब 13 हजार 386 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। विवि ने सभी को मार्कशीट जारी कर दी थीं। इन्हीं मार्कशीट की बदौलत तमाम ने प्राइमरी और माध्यमिक शिक्षा विभाग में नौकरियां पा लीं। करीब चार साल पहले बड़ौत में विवि की फर्जी मार्कशीट के सहारे शिक्षक भर्तियों का राज खुला। पहले सीबीसीआईडी ने जांच की। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर मामला एसआईटी को सौंपा गया। एसआईटी ने इस मामले की दो साल तक जांच की। अब टीम की जांच पूरी हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक जांच में सिर्फ 8200 असली परीक्षार्थी पाए गए। इन्होंने नियमानुसार बीएड में एडमिशन लिया था। सभी को प्रवेश पत्र जारी किए गए थे, जबकि 5186 लोग फर्जी पाए गए। इन्हें तमाम कॉलेजों में परीक्षार्थी दिखाया गया था। जांच करने पर किसी भी कॉलेज में इनका रिकार्ड नहीं मिला। यानि सभी मामले जनरेट किए गए थे। चार्टों में इनके नाम सीधे ही बढ़ा दिए गए। कुछ चार्ट बदल भी डाले गए। एसआईटी ने ऐसे सभी फर्जी बीएड धाकरों के नाम, पते, रोल नंबर और तैनाती भी विवि को उपलब्ध कराई है। अब विवि इनका रिजल्ट निरस्त करने जा रहा है। यानि रुपये देकर डिग्री लेने वाले कहीं के नहीं रहे।
छिनेगी नौकरी, जाएंगे जेल
एसआईटी भी इनके खिलाफ सख्त होने जा रही है। हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी गई है। अब इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। फर्जी डिग्रियों के सहारे शिक्षक नियुक्ति पा गए लोगों की नौकरियां जाएंगी। इनसे शासन रिकवरी भी करेगा। अधिकतर को जेल भी जाना पड़ सकता है।
रडार पर हैं तमाम कर्माचारी
बीएड घोटाले में तमाम कर्मचारी भी एसआईटी के रडार पर हैं। इनमें से तीन को जेल हो चुकी है। कुछ के खिलाफ वारंट तामील हो चुके हैं। इतने दिनों तक कर्मचारियों को बचाने वाले अधिकारी भी नपेंगे। बता दें कि एसआईटी 2004 से लेकर अब तक के सभी रजिस्ट्रार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का फैसला ले चुकी है।
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