Breaking Posts

Top Post Ad

फेसबुक पर टी ई टी से छूट देने की भ्रामक न्यूज़ , वर्ना हाई कोर्ट में शिक्षा मित्रो के खिलाफ फैसला नहीं आता

फेसबुक पर टी ई टी से छूट देने की भ्रामक न्यूज़ चल रही, वास्तविकता में आजतक टी ई टी से छूट दी ही नहीं गयी वर्ना हाई कोर्ट में शिक्षा मित्रो के खिलाफ फैसला नहीं आता -राजस्थान , उड़ीसा आदि तमाम राज्यों का हाल आपके सामने है

TET से छूट सिर्फ तभी संभव थी जब राज्य में योग्यभ्यार्थीयों की कमी हो या पर्याप्त शिक्षा संस्थानों की कमी हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में लाखों TET पास अभ्यर्थी पहले से ही मौजूद हैं
दुसरी बात अन्य राज्यों राजस्थान, उड़ीसा आदि में शिक्षा मित्रों की तर्ज पर पैरा टीचर्स भर्ती किये जाते हैं, लेकिन वहां कोई छूट नहीं है,
अगर शिक्षा मित्र पहले से ही शिक्षक है तो दोबारा उनके आवेदन व् नियुक्ति क्यों हुई, और उनका नियोक्ता जिला स्तर पर कैसे हुआ, उनकी भर्ती में आरक्षण के नियम का पालन क्यों नहीं हुआ,
उनकी ट्रेनिंग पर भी सवाल हैं।

बच्चों के शिक्षा के अधिकार के तहत RTE ACT आया, जिसने अच्छी शिक्षा की बुनियाद के लिए गाइड लाइंस बनायी हुई हैं, और ये RTE ACT  का पालन होना जरूरी है।


नीचे दी गयी भ्रामक न्यूज़ 1 साल पुरानी है , जो की अधूरी जानकारी पर टिकी है, राजस्थान में कोई छूट नहीं मिली, उत्तराखंड में भी कंडीशनल थी।

हाईकोर्ट में सवाल किसी एक मुद्दे पर नहीं है ,
बल्कि TET के अलावा भी तमाम प्रश्न हैं, और अब सुप्रीम कोर्ट में कुछ और नए प्रश्न उठने की  खबर सामने आ रही है , जिसमे B ED धारी अब SM की ट्रेनिंग पर सवाल उठाने जा रहे हैं

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता,केंद्र सरकार शिक्षा मित्रों एवं अस्थाई शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देने के अपने रुख पर कायम है।
उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों का टीईटी का मसला हालांकि सुप्रीम कोर्ट में उलझा हुआ है लेकिन केंद्र ने फिर साफ किया है अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य नहीं है।
मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षक परिषद (एनसीटीई) ने शिक्षा मित्रों या अस्थाई शिक्षकों को पहले से कार्यरत शिक्षक की श्रेणी में रखा है।
उनके अस्थाई होने से उन्हें पहले से कार्यरत शिक्षक की श्रेणी से नहीं हटाया जा सकता है। इसलिए इन नियमों के तहत उन्हें स्थाई करने की प्रक्रिया को नई नियुक्त नहीं माना जाएगा। इसलिए एनसीटीई और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुसार अस्थाई शिक्षकों को स्थाई करना नई नियुक्ति के दायरे में नहीं आता है और शिक्षा का अधिकार कानून के तहत उन पर टीईटी की आवश्यकता नहीं थोपी जा सकती है।
एनसीटीई के नियमों के तहत यदि ऐसे शिक्षकों की न्यूनतम योग्यताएं आदि कम हैं तो सरकार को एक निश्चित अवधि के भीतर उसे पूरा कराना होगा। सरकार को इसके लिए एनसीटीई के स्वीकृत मानकों के अनुरूप उन्हें प्रशिक्षण देना होगा। बता दें कि देश में करीब पांच लाख से भी अधिक शिक्षक 2010 के पहले से ही बतौर अस्थाई शिक्षक नियुक्त हैं।
उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों में उन्हें नियमित करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इनके लिए टीईटी की अनिवार्यता को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
लेकिन मंत्रालय का कहना है कि वह पहले भी इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट कर चुका है।
इस मसले पर हाल ही में उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से भी मुलाकात की थी। और वर्तमान केन्द्रीय मन्त्री मा० प्रकाश जावेडकर जी का भी रूख प्रदेश के शिक्षा मित्रो के प्रति सही लग रहा है।
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook