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दो माह बाद भी बीईओ दबाए बैठे एलपीसी : गैर जनपद रिलीव हो चुके 358 शिक्षकों का मामला

अमर उजाला ब्यूरो लखीमपुर खीरी। अगस्त में दूसरे जनपदों को रिलीव हो चुके 358 शिक्षकों को अब तक अंतिम वेतन प्रमाण पत्र (एलपीसी) नहीं दिया जा सका है, जिससे इन शिक्षकों को नई तैनाती स्थल पर वेतन नहीं मिल पा रहा है।
ऐसा इसलिए हुआ है कि संबंधित बीईओ ने अभी एलपीसी जारी नहीं की है, जिससे लेखा विभाग भी खुद को असहाय पा रहा है। वहीं एलपीसी न मिलने से परेशान शिक्षक और शिक्षिकाएं बीएसए दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल रहा है।
गैर जनपद तबादले के लिए 611 शिक्षकों ने आवेदन किया था, जिसमें से 358 शिक्षक रिलीव होकर नए तैनाती स्थलों पर कार्यरत हैं। इनमें करीब 40 शिक्षकों का प्रधानाध्यापक पद से सहायक अध्यापक पद पर डिमोशन भी हुआ है। रिलीव होने के दो माह बाद भी इन्हें एलपीसी जारी नहीं की गई है, जिससे इन शिक्षकों को करीब तीन माह से वेतन नहीं मिल सका। खासकर दिवाली पर भी इन्हें वेतन नहीं मिल सका, जबकि प्रदेश सरकार ने इस बार दिवाली पर वेतन देने के लिए आदेश जारी किया था। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी शिक्षकों की परेशानी से बेपरवाह बने हुए हैं। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर दोषारोपण किया जा रहा है। जबकि डिमोशन हुए 40 शिक्षकों से रिकवरी का पेंच भी एलपीसी जारी होने में देरी का सबब बन सकता है, जिसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। बीएसए ने एलपीसी जारी न होने के लिए लेखा विभाग को जिम्मेदार बताया है, जबकि लेखा विभाग के अधिकारी बीईओ द्वारा एलपीसी न भेजे जाने की बात कह रहे हैं। लब्बोलुआब यह है कि अभी विभाग के दो धड़ों के बीच जिम्मेदारी ही फिक्स नहीं हो सकी है। ऐसे में एलपीसी के लिए शिक्षकों को अभी और दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

लेखाधिकारी अवकाश पर थे, जिससे एलपीसी जारी होने में देरी हुई। अब उन्हीं के द्वारा एलपीसी जारी की जाएगी। एलपीसी में बीईओ की भूमिका नहीं है। कुछ शिक्षकों ने स्वेच्छा से डिमोशन लिया है, जिनकी रिकवरी नहीं की जाएगी। -संजय कुमार शुक्ला, बीएसए
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कितने शिक्षक रिलीव हुए हैं और कितने पदावनत? इसकी सूचना अभी कार्यालय में उपलब्ध नहीं कराई गई है। परिषद सचिव ने प्रपत्र जारी किया है, जिस पर खंड शिक्षा अधिकारियों को एलपीसी जारी करनी है। अभी तक किसी ब्लाक से एलपीसी प्राप्त नहीं हुई। हमें तो सिर्फ काउंटर साइन करना है।
-डीपी सिंह, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी
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