नोटबंदी: आपकी ID से ऐसे हुआ दूसरों का कालाधन सफेद

नई दिल्‍ली. कालाधन रोकने के लिए सरकार ने नोटबंदी जैसा एक बड़ा फैसला लिया था। लेकिन नतीजा कुछ और ही निकल रहे हैं। नोटबंदी के फैसले के बाद बड़े पैमाने पर कालेधन को सफेद करने के कई मामले सामने आये हैं।
लेकिन एक चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ है कि मोबाइल फोन आउटलेट से लाखों लोगों की आइडी और स्‍कूल-कॉलेजों से भारी संख्‍या में छात्र-छात्राओं के पहचान पत्रों का दुरुपयोग कर कालेधन को सफेद करने का खेल खेला गया है। माना जा रहा है कि बैंकों ने ब्‍लैक मनी रखने वालों से मिलीभगत कर सरकार का खेल खराब कर दिया। लेकिन सरकार अब इन संदिग्‍ध बैंकों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। सरकार ने राष्‍ट्रीय स्‍तर पर आइबी से इसकी रिपोर्ट जमा करवानी शुरू कर दी है। कार्रवाई की जिम्‍मेदारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपी गई है। ईडी ने देश के 10 बैंकों की 50 शाखाओं पर छापे मारकर काम शुरू भी कर दिया है।
अवैध तरीके से ब्‍लैक मनी को व्‍हाइट में बदला गया
बताया गया है कि नोटबंदी के दो सप्‍ताह बाद तक यानी 24 नवंबर तक नोट एक्‍सचेंज के नाम पर बड़े पैमाने पर ब्‍लैक मनी को व्‍हाइट में बदलने का काम हुआ। नोटबंदी के दौरान अनियमितता बरतने के आरोप में अब तक 27 बैंक कर्मी सस्‍पेंड हो चुके हैं। एक्‍सिस बैंक के मैनेजर तो 40 करोड़ रुपये की काली रकम सफेद करने के आरोप में पकड़े जा चुके हैं। न्‍यूज 18 इंडिया कि खबर के मुताबिक, देशभर में गड़बड़ी करने वाले बैंकों की संख्‍या करीब 25 हजार बताई जा रही है। कालेधन को समाप्‍त करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने का एलान किया था। इसे बैंक में एक्‍सचेंज करने और जमा करने का वक्‍त दिया था। बताया गया है कि इसी दौरान सभी नियमों को ठेंगा दिखाकर दिन-रात अवैध तरीके से ब्‍लैक मनी को व्‍हाइट में बदला गया है।
बदली गई नोटों की संख्‍या
सूत्रों के मुताबिक आइबी ने यूपी के 1325 ऐसे बैंक चिन्‍हित किए हैं जिन्होंने नियमों से परे जाकर पुराने नोटों को नए नोटों में बदला है। दूसरी ओर हरियाणा में भेजी गई आइबी की गाइडलाइन के मुताबिक 21 बिंदुओं पर उन्‍हें बैंकों की रिपोर्ट भेजनी है। उन्‍हें उन बैंकों पर निगाह रखने के लिए कहा गया है जहां बार-बार हंगामा हो रहा है और नो कैश का बोर्ड लगाया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हर रोज औसत से ज्‍यादा नोट बदले गए हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हर रोज की बदली गई नोटों की संख्‍या पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि बैंकों में दिन-रात काम किया गया है।
ऐसे खेला गया खेल
एक ही आइडी से एक ही व्‍यक्‍ति को कई-कई बार पुराने के बदले नए नोट दिए गए। आइडी मोबाइल फोन आउटलेट से ली गई। इसके अलावा स्‍कूल-कॉलेज से छात्र-छात्राओं की आइडी एकत्र की गई। जनता को आइडी पर 4000 के बदले 2000 या उससे भी कम रकम देकर उसका इस्‍तेमाल ब्‍लैक मनी को वहाइट में बदलने के लिए किया गया। दो नामी मोबाइल कंपनी के आउटलेट चलाने वाले एक व्‍यक्‍ति ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ये आउटलेट वाले पर निर्भर करता है कि वो किसी भी ग्राहक की आइडी अपने पास कितने दिन तक रखता है। लेकिन आमतौर पर किसी भी आउटलेट पर एक से डेढ़ हजार तक आइडी आराम से मिल जाती हैं। कुछ लोग सीधे आइडी खरीदने आए तो कुछ लोगों ने दूसरों को आइडी खरीदने भेजा। रहा सवाल कितने की बिकी तो जिसका जैसे सौदा पट गया। क्‍योंकि यह खेल आउटलेट वालों को भी समझ में आ गया था तो 400 से 500 रुपये तक एक आइडी के वसूले गए। एक शहर में एक कंपनी की कम से कम 6 से 8 आउटलेट होते हैं।
छात्रों की आइडी का इस्‍तेमाल नोट बदलने में होने लगा
सवाल उठता है कि कालेधन को सफेद करने के लिए कॉलेज के छात्रों की ही आइडी का इस्‍तेमाल क्‍यों किया गया और छात्रों की आइडी इतनी आसानी से मिल कैसे गई? जांच पड़ताल में सामने आया है कि कुछ बड़ी-बड़ी डीम्‍ड यूनिवर्सिटी और कॉलेज संचालकों ने भी कालेधन को सफेद किया है। इसके लिए उन्‍होंने नोट बदलने की प्रक्रिया को चुना। काम आसान भी था। क्‍योंकि ये कोई बाध्‍यता नहीं थी कि जहां आप नोट बदल रहे हैं वहां आपका खाता होना जरूरी है। कॉलेज वालों के पास छात्रों की आइडी भी मौजूद थी। उसी से कालाधन सफेद कर लिया। कहा जाता है कि कॉलेज संचालकों का यह तरीका बैंक कर्मियों को भी समझ में आ गया। फिर क्‍या था, देशभर में धड़ाधड़ छात्रों की आइडी का इस्‍तेमाल नोट बदलने में होने लगा। नाम न लिखने की शर्त पर एक कॉलेज संचालक ने बताया कि छात्रवृत्‍ति के चलते बहुत सारे छात्रों का बैंक अकाउंट होता है। मोबाइल नम्‍बर भी होता है, जिसके चलते बैंककर्मियों को नोट बदलने में आसानी हो गई। बस इसी बात को बहुत सारे बैंक वाले आसानी से समझ गए और उन्‍होंने दूसरे लोगों को भी यह तरीका अपनाने की सलाह दे डाली।
200 से 500 रुपये तक में बिकी छात्रों की आइडी
ये खेल शुरू होते ही छात्रों की आइडी की मांग होने लगी। कालेधन वालों ने कॉलेज और यूनिवर्सिटी के चक्‍कर लगाने शुरू कर दिए। कहीं-कहीं तो बैंककर्मियों ने खुद ही छात्रों की आइडी की जुगाड़ करके कालेधन वालों को दी। 200 रुपये प्रति आइडी से शुरू हुआ खेल 500 रुपये आइडी तक पहुंच गया। जिन शहरों के बैंक आए आइबी के निशाने पर उनमें दिल्‍ली, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, जौनपुर, इटावा, कन्‍नौज, अलीगढ़, बरेली, मऊ, आगरा, मेरठ, गोंडा, गाजीपुर, पीलीभीत, गोरखपुर, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, आजमगढ़, बदायूं, संभल, गाजियाबाद, नोएडा, लखनऊ, बरेली, कानपुर, इलाहबाद, हाथरस, रामपुर, सहारनपुर, बहराइच, बांदा, फर्रुखाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव आदि हैं।
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